लखनऊ: पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक एम. देवराज ने अगले 15 दिनों के लिए प्रदेश भर में स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक लगा दी है. अब प्रदेश में पुरानी तकनीक पर आधारित स्मार्ट मीटर फिलहाल 15 दिन तक नहीं लगाए जाएंगे. दरअसल, प्रदेश में लगभग 40 लाख स्मार्ट मीटर खरीदे जा रहे हैं, जिसकी कुल प्रोजेक्ट लागत लगभग 1 हजार 927 करोड़ है. इसकी पुरानी टेक्नोलॉजी 2जी और 3जी को लेकर हो रहे विवाद पर गुरुवार को विराम लग गया. एमडी ने एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड ( ईईएसएल ) को पत्र भेजकर 15 दिन तक स्मार्ट मीटर लगाने की पूरी प्रकिया स्थगित करने के निर्देश दिए हैं.
जन्माष्टमी के दिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के अन्य जिलों में स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं की बत्ती गुल हो गई थी, जिससे पूरे पावर कारपोरेशन में हड़कंप मच गया था. ऊर्जा मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लिया था. मुख्यमंत्री ने पूरे मामले की जांच के लिए एसटीएफ का गठन किया था, वहीं ऊर्जा मंत्री की तरफ से पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष को समिति बनाकर गहनता से जांच करने के निर्देश जारी किए गए थे. अब पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक एम. देवराज ने एक्शन लेते हुए 15 दिन तक पूरे प्रदेश में किसी भी तरह के स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक लगा दी है.
प्रदेश में अब केवल उच्च तकनीक आधारित स्मार्ट मीटर ही लगेंगे. ये मीटर एनबीआईओटी संचार तकनीक पर आधरित होंगे. यह तकनीक मशीन से मशीन के बीच डाटा कम्युनिकेशन की सबसे उच्च तकनीक है. ये 4जी टेक्नोलॉजी के समतुल्य है.
बता दें कि दो दिन पहले प्रदेश के उपभोक्ताओं की समस्या पर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से मुलाकात कर पुरानी टेक्नोलॉजी 2जी और 3जी पर आधारित स्मार्ट मीटरों पर रोक लगाने की मांग की थी. उन्होंने सिर्फ उच्च तकनीक के स्मार्ट मीटर लगाने की बात कही थी, जिसके बाद ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने पावर कार्पोरेशन के चेयरमैन को पत्र लिखकर निर्देश दिए थे.
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