ETV Bharat / state

लखनऊ: देर तक सोने से बिगड़ सकती है बायोलॉजिकल क्लॉक, इन बातों का रखें ध्यान - बायोलॉजिकल क्लॉक के बारे में

उत्तर प्रदेश के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों का मानना है कि देर तक सोने से आपकी बायोलॉजिकल क्लॉक बिगड़ सकती है. लॉकडाउन के कारण लोगों की दिनचर्या में बदलाव देखा जा रहा है. लोग देर तक सो रहे हैं, जिस पर डॉक्टरों ने चिंता जताई है.

बायोलॉजिकल क्लॉक
बायोलॉजिकल क्लॉक
author img

By

Published : Apr 22, 2020, 1:36 PM IST

लखनऊ: देशव्यापी लॉकडाउन में लोग घरों में बैठे-बैठे अपनी आदतों को भी बदलते जा रहे हैं. इनमे देर रात तक जागना और सुबह देर तक सोने से उनकी बायोलॉजिकल क्लॉक बिगड़ रही है. ऐसे में मनोवैज्ञानिक और विशेषज्ञ कहते हैं कि उन्हें वापस अपने रूटीन में जाने पर कई लाइफस्टाइल डिसऑर्डर होने की आशंका हो सकती है.

देर तक सोने से बिगड़ सकती है बायोलॉजिकल क्लॉक

बदल रही लोगों की जीवन शैली

पिछले लगभग एक महीने से लॉकडाउन के चलते लोगों के पास या तो घरों से काम करने की आजादी है या फिर उनके पास कोई काम नहीं है. ऐसे में आराम की जिंदगी में उनका रूटीन भी चेंज हो रहा है.
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मानसिक रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पीके दलाल कहते हैं कि इस लॉकडाउन के दौरान तमाम लोगों ने अपनी दिनचर्या में काफी बदलाव किए हैं. इस बदलाव की वजह से उनके खानपान की दिनचर्या भी प्रभावित हो रही है. लोग सुबह देर से उठते हैं और दिन में खा-पीकर सो जाते हैं. इस वजह से देर रात तक जागते हैं और यह दिनचर्या उनकी लगातार चलती आ रही है. ऐसे में उनके इम्यून सिस्टम पर असर पड़ना स्वाभाविक है.

मेटाबॉलिक डिसऑर्डर होने की आशंका

डॉ. दलाल ने बताया कि देर तक सोने की वजह से उनके खानपान की शैली बदल रही है. साथ ही उनका फैमिली टाइम भी कहीं न कहीं डिस्टर्ब हो रहा है. देर रात जब वह जागते हैं तो घर के बाकी सदस्य सो रहे होते हैं. ऐसे में आपसी मेलजोल नहीं रहता है और जागने की वजह से उन्हें कुछ न कुछ खाने की आदत होती है. ऐसे में डाइजेस्टिव सिस्टम पर भी असर पड़ता है. इसकी वजह से मेटाबॉलिक डिसऑर्डर्स भी होने की आशंका अधिक होती है.

बायोलॉजिकल क्लॉक पर पड़ेगा असर

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. डी हिमांशु कहते हैं कि लगातार देर रात तक जागने और सुबह देर तक सोने की वजह से लाइफ़स्टाइल डिसऑर्डर्स होने की आशंका भी लोगों में बढ़ती जा रही है. वे कहते हैं कि इस दौरान लोग फिजिकल एक्टिविटी कम कर देते हैं यानी डेली एक्टिविटी कम हो जाती है और एक्सरसाइज जैसी ना हो पाने की वजह से उनकी बायोलॉजिकल क्लॉक भी बिगड़ जाती है. बायोलॉजिकल क्लॉक का बिगड़ना ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए सबसे ज्यादा खतरे की बात होती है, क्योंकि दिन और रात की साईकिल मिल करके ही रक्तचाप को नियंत्रित रखती है. इसे स्कारडियन रिदम कहा जाता है. इसके जरा सा भी बिगड़ने से ब्लड प्रेशर हाई या लो होने की आशंका रहती है.

इसके अलावा बायोलॉजिकल क्लॉक के बिगड़ने से डायबिटीज के मरीजों के लिए भी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. लोग देर रात तक जागते हैं और सुबह देर तक सोते हैं. इस वजह से उनका सुबह का नाश्ता या एक समय का खाना नहीं होता पाता है. ऐसे में उनके शुगर लेवल पर असर पड़ सकता है. इसके अलावा बहुत सारे लोगों में अब एब्डोमिनल बॉल्स मोमेंट प्रभावित होने की भी आशंका रहती है.

डॉ. दलाल कहते हैं कि इस दिनचर्या को सही करने के लिए लोग अपनी एक रूटीन को सेट कर सकते हैं और एक चार्ट बना सकते हैं, जिसमें वह दिन भर में क्या काम करेंगे, उसकी वह लिस्ट बना सकते हैं. इसके तहत वह अपनी कई पुरानी अच्छी आदतों को भी शामिल कर सकते हैं. किसी तरह की क्रिएटिविटी को शामिल कर सकते हैं. अपने लिए गीत संगीत या डांसिंग जैसे क्रियाकलापों को शामिल कर सकते हैं.

कैसे मेंटेन रखें बायोलॉजिकल क्लॉक

बायोलॉजिकल क्लॉक को मेंटेन रखने के लिए घर पर कम से कम 40 मिनट तक डेली एक्सरसाइज करनी जरूरी है. इसके अलावा 8 घंटे की नींद पूरी तरह से और सही समय पर लीजिए.

इसे भी पढ़ें:-यूपी के नागरिक का कहीं भी हो निधन, पार्थिव शरीर उसके घर लाएगी योगी सरकार

जब लॉकडाउन के बाद दोबारा अपनी पुरानी दिनचर्या अपनानी होगी. उस समय बायोलॉजिकल क्लॉक के बिगड़ने की वजह से बहुत सारे लोगों को कॉन्स्टिपेशन, शुगर ब्लड प्रेशर के साथ लाइफ़स्टाइल डिसऑर्डर होने के चांस हो सकते हैं.
डॉ. डी. हिमांशु, प्रोफेसर, मेडिसिन डिपार्टमेंट, केजीएमयू

इस लॉकडाउन में लोगों को सुनहरा अवसर मिला है कि वह अपने परिवार के साथ समय बिता सकते हैं. इसकी वजह से उनका मानसिक तनाव भी कम होगा और रिश्ते भी मजबूत होंगे. यह आपकी शारीरिक मानसिक और बौद्धिक क्षमता का विकास करने में भी सहायक हो सकता है.
डॉ. पीके दलाल, विभागाध्यक्ष, मानसिक रोग विभाग केजीएमयू

लखनऊ: देशव्यापी लॉकडाउन में लोग घरों में बैठे-बैठे अपनी आदतों को भी बदलते जा रहे हैं. इनमे देर रात तक जागना और सुबह देर तक सोने से उनकी बायोलॉजिकल क्लॉक बिगड़ रही है. ऐसे में मनोवैज्ञानिक और विशेषज्ञ कहते हैं कि उन्हें वापस अपने रूटीन में जाने पर कई लाइफस्टाइल डिसऑर्डर होने की आशंका हो सकती है.

देर तक सोने से बिगड़ सकती है बायोलॉजिकल क्लॉक

बदल रही लोगों की जीवन शैली

पिछले लगभग एक महीने से लॉकडाउन के चलते लोगों के पास या तो घरों से काम करने की आजादी है या फिर उनके पास कोई काम नहीं है. ऐसे में आराम की जिंदगी में उनका रूटीन भी चेंज हो रहा है.
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मानसिक रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पीके दलाल कहते हैं कि इस लॉकडाउन के दौरान तमाम लोगों ने अपनी दिनचर्या में काफी बदलाव किए हैं. इस बदलाव की वजह से उनके खानपान की दिनचर्या भी प्रभावित हो रही है. लोग सुबह देर से उठते हैं और दिन में खा-पीकर सो जाते हैं. इस वजह से देर रात तक जागते हैं और यह दिनचर्या उनकी लगातार चलती आ रही है. ऐसे में उनके इम्यून सिस्टम पर असर पड़ना स्वाभाविक है.

मेटाबॉलिक डिसऑर्डर होने की आशंका

डॉ. दलाल ने बताया कि देर तक सोने की वजह से उनके खानपान की शैली बदल रही है. साथ ही उनका फैमिली टाइम भी कहीं न कहीं डिस्टर्ब हो रहा है. देर रात जब वह जागते हैं तो घर के बाकी सदस्य सो रहे होते हैं. ऐसे में आपसी मेलजोल नहीं रहता है और जागने की वजह से उन्हें कुछ न कुछ खाने की आदत होती है. ऐसे में डाइजेस्टिव सिस्टम पर भी असर पड़ता है. इसकी वजह से मेटाबॉलिक डिसऑर्डर्स भी होने की आशंका अधिक होती है.

बायोलॉजिकल क्लॉक पर पड़ेगा असर

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. डी हिमांशु कहते हैं कि लगातार देर रात तक जागने और सुबह देर तक सोने की वजह से लाइफ़स्टाइल डिसऑर्डर्स होने की आशंका भी लोगों में बढ़ती जा रही है. वे कहते हैं कि इस दौरान लोग फिजिकल एक्टिविटी कम कर देते हैं यानी डेली एक्टिविटी कम हो जाती है और एक्सरसाइज जैसी ना हो पाने की वजह से उनकी बायोलॉजिकल क्लॉक भी बिगड़ जाती है. बायोलॉजिकल क्लॉक का बिगड़ना ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए सबसे ज्यादा खतरे की बात होती है, क्योंकि दिन और रात की साईकिल मिल करके ही रक्तचाप को नियंत्रित रखती है. इसे स्कारडियन रिदम कहा जाता है. इसके जरा सा भी बिगड़ने से ब्लड प्रेशर हाई या लो होने की आशंका रहती है.

इसके अलावा बायोलॉजिकल क्लॉक के बिगड़ने से डायबिटीज के मरीजों के लिए भी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. लोग देर रात तक जागते हैं और सुबह देर तक सोते हैं. इस वजह से उनका सुबह का नाश्ता या एक समय का खाना नहीं होता पाता है. ऐसे में उनके शुगर लेवल पर असर पड़ सकता है. इसके अलावा बहुत सारे लोगों में अब एब्डोमिनल बॉल्स मोमेंट प्रभावित होने की भी आशंका रहती है.

डॉ. दलाल कहते हैं कि इस दिनचर्या को सही करने के लिए लोग अपनी एक रूटीन को सेट कर सकते हैं और एक चार्ट बना सकते हैं, जिसमें वह दिन भर में क्या काम करेंगे, उसकी वह लिस्ट बना सकते हैं. इसके तहत वह अपनी कई पुरानी अच्छी आदतों को भी शामिल कर सकते हैं. किसी तरह की क्रिएटिविटी को शामिल कर सकते हैं. अपने लिए गीत संगीत या डांसिंग जैसे क्रियाकलापों को शामिल कर सकते हैं.

कैसे मेंटेन रखें बायोलॉजिकल क्लॉक

बायोलॉजिकल क्लॉक को मेंटेन रखने के लिए घर पर कम से कम 40 मिनट तक डेली एक्सरसाइज करनी जरूरी है. इसके अलावा 8 घंटे की नींद पूरी तरह से और सही समय पर लीजिए.

इसे भी पढ़ें:-यूपी के नागरिक का कहीं भी हो निधन, पार्थिव शरीर उसके घर लाएगी योगी सरकार

जब लॉकडाउन के बाद दोबारा अपनी पुरानी दिनचर्या अपनानी होगी. उस समय बायोलॉजिकल क्लॉक के बिगड़ने की वजह से बहुत सारे लोगों को कॉन्स्टिपेशन, शुगर ब्लड प्रेशर के साथ लाइफ़स्टाइल डिसऑर्डर होने के चांस हो सकते हैं.
डॉ. डी. हिमांशु, प्रोफेसर, मेडिसिन डिपार्टमेंट, केजीएमयू

इस लॉकडाउन में लोगों को सुनहरा अवसर मिला है कि वह अपने परिवार के साथ समय बिता सकते हैं. इसकी वजह से उनका मानसिक तनाव भी कम होगा और रिश्ते भी मजबूत होंगे. यह आपकी शारीरिक मानसिक और बौद्धिक क्षमता का विकास करने में भी सहायक हो सकता है.
डॉ. पीके दलाल, विभागाध्यक्ष, मानसिक रोग विभाग केजीएमयू

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.