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UP Police : कानपुर लूट तो बानगी भर है, खाकी के दामन में पहले भी लगे हैं 'दाग'

राजधानी समेत प्रदेश के कई जगहों पर पुलिसकर्मियों ने शर्मसार करने वाली घटनाएं (UP Police) की हैं. यूपी पुलिस पर कई गंभीर आरोप भी लगे. दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी हुई.

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Published : Feb 24, 2023, 6:08 PM IST

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पूर्व डीजीपी एके जैन

लखनऊ : यूपी पुलिस का स्लोगन है 'सुरक्षा आपकी संकल्प हमारा' लेकिन कैसी सुरक्षा कैसा संकल्प. जब अपराध रोकने वाले हाथ अपराध करने लग जाएं तो क्या होगा. हालही में कानपुर में दो दरोगा और एक सिपाही पर एक हार्डवेयर कारोबारी से 5.30 लाख रुपये लूटने का आरोप लगा. कारोबारी के विरोध करने पर उसे फर्जी केस में फंसाने की धमकी दी और पीटा भी. फिलहाल तीनों पुलिसकर्मी गिरफ्तार कर लिए गए हैं. ऐसे में अब एक बार फिर सवाल उठने लगा है कि पुलिस किस लिए होती है? क्योंकि यूपी में बीते वर्षों में एक नहीं बल्कि दर्जनों घटनाओं में पुलिस अपराधी बनकर उभरी है, जिसने पूरे विभाग को शर्मसार किया है.


ताजा मामला कानपुर का है, जहां कानपुर देहात के सिकंदरा निवासी हार्डवेयर कारोबारी सत्यम शर्मा बीती बुधवार की रात लगभग आठ बजे 5.30 लाख रुपये लेकर उन्नाव से अपने घर लौट रहा था. रास्ते में एक ढाबे के पास कारोबारी को डीसीपी वेस्ट कार्यालय में तैनात दरोगा यतीश कुमार, हेड कांस्टेबल अब्दुल और सचेंडी थाने में तैनात दरोगा रोहित सिंह ने रोक लिया. इसके बाद कारोबारी को धमकाया गया और मारपीट कर उसके पास रखे रुपये लेकर पुलिस वाले फरार हो गए. पीड़ित व्यापारी ने जब कमिश्नर से शिकायत की तो मामला सबके सामने आया. कमिश्नर ने तीनों आरोपी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर गिरफ्तार करवाया.

रेप पीड़िता के साथ थाने में SO ने किया रेप : इससे पहले ललितपुर की एक 13 साल की मासूम बेटी थाने गई थी, अपने साथ हुए रेप की शिकायत दर्ज कराने, लेकिन वहां उसकी आबरू तार-तार कर दी. दरअसल, 13 साल की नाबालिक बेटी के साथ चार युवकों ने रेप किया था. जिसे लेकर 27 अप्रैल 2022 को उसे पाली थाने में इंस्पेक्टर तिलकधारी सरोज ने बयान के लिए बुलाया था, जिसके बाद इंस्पेक्टर पर कमरे में ले जाकर रेप करने का आरोप लगा. बच्ची को जब चाइल्ड लाइन को सौंपा गया तो मामले का खुलासा हुआ कि यूपी पुलिस के एक जवान ने ऐसी घटना को अंजाम दिया है.


हत्या का पुलिस पर लगा आरोप : न्याय की आस लेकर थाने गयी एक बेटी की आबरू लूटने का आरोप पुलिस पर लगा था, जिसके बाद ललितपुर से 575 किलोमीटर दूर चंदौली जिले में 22 साल की युवती की हत्या का भी आरोप लगा. 1 मई 2022 को चंदौली के सैयदराजा थाने की पुलिस बालू व्यापारी कन्हैया यादव को पकड़ने के लिए उसके घर पहुंची थी. घर में कन्हैया की दो बेटी अकेले थीं. ऐसे में यूपी की बहादुर पुलिस ने उसी घर में बेटियों पर थर्ड डिग्री का कहर ढहा दिया. व्यापारी की छोटी बेटी ने बताया था कि 'पुलिस उसकी बहन निशा को दूसरे कमरे में ले गयी और तब तक मारती रही जब तक उसकी चीखे सन्नाटे में बदल नहीं गई. निशा के शांत होते ही पुलिस मौके से निकल गयी और जब छोटी बेटी ने अंदर जाकर देखा तो निशा पंखे से लटकी मिली और उसकी सांसें उखड़ चुकी थीं. आलाधिकारियों ने आरोपी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था.


ग्राफिक
ग्राफिक

- मई 2022 को राजधानी में तैनात दो सिपाहियों ने बर्थडे पार्टी कर रहे कुछ युवकों को पहले धमकाया और फिर उनके पास मौजूद 15 हजार रुपए छीन लिए. यही नहीं जब उन युवकों ने विरोध किया तो झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दे डाली. पीड़ित युवक ने इसका वीडियो सोशल मीडिया में पोस्ट किया तो आलाधिकारियों ने आनन-फानन में मुकदमा दर्ज कराकर आरोपी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया.


- साल 2021 में लखनऊ के 8 पुलिस कर्मियों के खिलाफ डकैती का मुदकमा खुद पुलिस ने दर्ज किया. आरोप था कि इन पुलिस कर्मियों ने लखनऊ से कानपुर जाकर आईपीएल में सट्टा लगाने के आरोप में एक युवक को पकड़ा था और उससे 40 लाख रुपये लूट लिए थे. कोर्ट के आदेश के बाद यह मुकदमा दर्ज हुआ था.


- बर्रा निवासी 28 वर्षीय संजीत यादव का 26 जून 2020 को अपहरण हो गया था. बदमाशों ने 30 लाख की फिरौती मांगी थी. परिजनों ने आरोप लगाया था कि उन्होंने 30 लाख रुपये की फिरौती पुलिस को दी थी. जो रकम बदमाश लेकर फरार हो गए थे, लेकिन संजीत का कुछ पता नहीं चला था. बाद में पता चला कि संजीत की हत्या पैसे देने से पहले ही कर दी गयी थी.

- अप्रैल 2018 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपने 13 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ डकैती और गोली मारने के आरोप में केस दर्ज किया. दरअसल, फर्रुखाबाद जिले के पुलिस द्वारा एक घर में गोलीबारी और फर्जी मुठभेड़ को अंजाम दिया गया था, जिसमें एक लड़के के पैर में गोली लगी थी. ये घटना 21 फरवरी की है, जिसके बाद परिवार वालों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट के आदेश पर यूपी पुलिस को अपने ही अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करना पड़ा.

- साल 2018 को लखनऊ में एप्पल कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक त्रिपाठी को रात में दो सिपाहियों ने तलाशी लेने के बहाने परेशान किया. जिसका विरोध करने पर सिपाही संदीप ने विवेक की गोली मार कर हत्या कर दी. उस वक़्त विवेक अपनी महिला मित्र के साथ गाड़ी में मौजूद था.

- राजधानी लखनऊ में तैनात इनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेक्टर संजय राय पर साल 2013 को इकतरफा प्यार के जुनून में एक ट्रेनी महिला सब इंस्पेक्टर के मासूम ममेरे भाई को गोलियों से छलनी करवाने का आरोप लगा था. छानबीन के बाद इंस्पेक्टर संजय राय पर हत्या का मामला दर्ज हुआ और जेल जाना पड़ा था.




दोषी पुलिसकर्मियों पर होगी सख्त कार्रवाई : उत्तर प्रदेश पुलिस के दागदार कर्मियों के कारनामों की लिस्ट इतनी लंबी है कि उनके किये गए बहादुरी के किस्से भी बौने लगने लगेंगे, लेकिन यूपी के सबसे बड़े कोतवाल एडीजी कानून व्यवस्था से पूछा गया कि उनकी पुलिस नाक कटवा रही है तो जवाब देते हुए कहा कि 'पुलिस के द्वारा या किसी भी व्यक्ति के द्वारा कोई भी गलत कार्य किया जाएगा तो उसके विरूद्ध नियमानुसार कठोर कार्रवाई की जाएगी.'



उत्तर प्रदेश में लंबे समय तक पुलिस सेवा में रहे और डीजीपी के पद से रिटायर हुए एके जैन कहते हैं कि 'मेरा मानना है कि अपराध करने वाले पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जानी चाहिए, यही नहीं जब भी कोई घटना प्रकाश में आए उसमें निसंकोच अधिकारी उसे सार्वजनिक करें तभी इन सभी तरह की घटनाओं पर अंकुश लग सकेगा. जैन कहते हैं कि इन कर्मियों को पुलिस सेवा से बर्खास्त किया जाना चाहिए और अगर गैंग बनाकर कोई ऐसा कार्य कर रही है और एसओजी में लंबे समय से तैनात हैं उनको तत्काल उनके पद से हटा कर दूरस्थ जिलों में भेजना चाहिए.'


पूर्व डीजीपी कहते हैं कि 'न सिर्फ कानपुर की घटना बल्कि बीते सालों में वो तमाम घटनाएं जिसमें खाकी पर दाग लगा है वो दुर्भाग्यपूर्ण हैं. जैन इसके पीछे पुलिस एक्ट को जिम्मेदार मानते हैं जो अंग्रेजों द्वारा जनता के दमन के लिए बनाया गया था. उनका मानना है कि 1857 की क्रांति के बाद साल 1861 में बना पुलिस एक्ट आज भी लागू है और इसी से पुलिस गवर्न हो रही है. जिसमें बदलाव की जरूरत है. जैन खाकी के दागदार होने के पीछे पुलिस अधिकारियों की पोस्टिंग में राजनीतिक हस्तक्षेप को भी मानते हैं. उनका मानना है कि जब विधायक और सांसद पुलिस कर्मियों व अधिकारियों की अपने क्षेत्र में पोस्टिंग कराते हैं तो पुलिस मनबढ़ हो जाती है और ऐसी घटनाएं करने लगती है.'




वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र त्रिपाठी का मानना है कि 'जब किसी को शक्ति दी जाती है तो उसका दुरुपयोग भी होता है. सरकार ने पुलिस को माफ़ियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए खुली छूट दे रखी है जो उचित भी है, लेकिन उस शक्ति का सुपर विज़न अधिकारियों को करना होता है. राज्य में मातहतों का पर्यवेक्षणन और सुपर विजन दोनों ही लचर है. राघवेंद्र कहते हैं कि जब भी ऐसी कोई घटना होती है तो सरकार कोई भी हो कभी ऐसी कार्रवाई नहीं करती है जो नजीर बन सके और जब तब ऐसा नहीं होगा पुलिसकर्मी ऐसे ही अपराध करते रहेंगे.

यह भी पढ़ें : UP Jail में स्मार्ट वॉच बैन, कारागार के अधिकारियों व कर्मचारियों के पहनने पर भी पाबंदी

पूर्व डीजीपी एके जैन

लखनऊ : यूपी पुलिस का स्लोगन है 'सुरक्षा आपकी संकल्प हमारा' लेकिन कैसी सुरक्षा कैसा संकल्प. जब अपराध रोकने वाले हाथ अपराध करने लग जाएं तो क्या होगा. हालही में कानपुर में दो दरोगा और एक सिपाही पर एक हार्डवेयर कारोबारी से 5.30 लाख रुपये लूटने का आरोप लगा. कारोबारी के विरोध करने पर उसे फर्जी केस में फंसाने की धमकी दी और पीटा भी. फिलहाल तीनों पुलिसकर्मी गिरफ्तार कर लिए गए हैं. ऐसे में अब एक बार फिर सवाल उठने लगा है कि पुलिस किस लिए होती है? क्योंकि यूपी में बीते वर्षों में एक नहीं बल्कि दर्जनों घटनाओं में पुलिस अपराधी बनकर उभरी है, जिसने पूरे विभाग को शर्मसार किया है.


ताजा मामला कानपुर का है, जहां कानपुर देहात के सिकंदरा निवासी हार्डवेयर कारोबारी सत्यम शर्मा बीती बुधवार की रात लगभग आठ बजे 5.30 लाख रुपये लेकर उन्नाव से अपने घर लौट रहा था. रास्ते में एक ढाबे के पास कारोबारी को डीसीपी वेस्ट कार्यालय में तैनात दरोगा यतीश कुमार, हेड कांस्टेबल अब्दुल और सचेंडी थाने में तैनात दरोगा रोहित सिंह ने रोक लिया. इसके बाद कारोबारी को धमकाया गया और मारपीट कर उसके पास रखे रुपये लेकर पुलिस वाले फरार हो गए. पीड़ित व्यापारी ने जब कमिश्नर से शिकायत की तो मामला सबके सामने आया. कमिश्नर ने तीनों आरोपी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर गिरफ्तार करवाया.

रेप पीड़िता के साथ थाने में SO ने किया रेप : इससे पहले ललितपुर की एक 13 साल की मासूम बेटी थाने गई थी, अपने साथ हुए रेप की शिकायत दर्ज कराने, लेकिन वहां उसकी आबरू तार-तार कर दी. दरअसल, 13 साल की नाबालिक बेटी के साथ चार युवकों ने रेप किया था. जिसे लेकर 27 अप्रैल 2022 को उसे पाली थाने में इंस्पेक्टर तिलकधारी सरोज ने बयान के लिए बुलाया था, जिसके बाद इंस्पेक्टर पर कमरे में ले जाकर रेप करने का आरोप लगा. बच्ची को जब चाइल्ड लाइन को सौंपा गया तो मामले का खुलासा हुआ कि यूपी पुलिस के एक जवान ने ऐसी घटना को अंजाम दिया है.


हत्या का पुलिस पर लगा आरोप : न्याय की आस लेकर थाने गयी एक बेटी की आबरू लूटने का आरोप पुलिस पर लगा था, जिसके बाद ललितपुर से 575 किलोमीटर दूर चंदौली जिले में 22 साल की युवती की हत्या का भी आरोप लगा. 1 मई 2022 को चंदौली के सैयदराजा थाने की पुलिस बालू व्यापारी कन्हैया यादव को पकड़ने के लिए उसके घर पहुंची थी. घर में कन्हैया की दो बेटी अकेले थीं. ऐसे में यूपी की बहादुर पुलिस ने उसी घर में बेटियों पर थर्ड डिग्री का कहर ढहा दिया. व्यापारी की छोटी बेटी ने बताया था कि 'पुलिस उसकी बहन निशा को दूसरे कमरे में ले गयी और तब तक मारती रही जब तक उसकी चीखे सन्नाटे में बदल नहीं गई. निशा के शांत होते ही पुलिस मौके से निकल गयी और जब छोटी बेटी ने अंदर जाकर देखा तो निशा पंखे से लटकी मिली और उसकी सांसें उखड़ चुकी थीं. आलाधिकारियों ने आरोपी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था.


ग्राफिक
ग्राफिक

- मई 2022 को राजधानी में तैनात दो सिपाहियों ने बर्थडे पार्टी कर रहे कुछ युवकों को पहले धमकाया और फिर उनके पास मौजूद 15 हजार रुपए छीन लिए. यही नहीं जब उन युवकों ने विरोध किया तो झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दे डाली. पीड़ित युवक ने इसका वीडियो सोशल मीडिया में पोस्ट किया तो आलाधिकारियों ने आनन-फानन में मुकदमा दर्ज कराकर आरोपी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया.


- साल 2021 में लखनऊ के 8 पुलिस कर्मियों के खिलाफ डकैती का मुदकमा खुद पुलिस ने दर्ज किया. आरोप था कि इन पुलिस कर्मियों ने लखनऊ से कानपुर जाकर आईपीएल में सट्टा लगाने के आरोप में एक युवक को पकड़ा था और उससे 40 लाख रुपये लूट लिए थे. कोर्ट के आदेश के बाद यह मुकदमा दर्ज हुआ था.


- बर्रा निवासी 28 वर्षीय संजीत यादव का 26 जून 2020 को अपहरण हो गया था. बदमाशों ने 30 लाख की फिरौती मांगी थी. परिजनों ने आरोप लगाया था कि उन्होंने 30 लाख रुपये की फिरौती पुलिस को दी थी. जो रकम बदमाश लेकर फरार हो गए थे, लेकिन संजीत का कुछ पता नहीं चला था. बाद में पता चला कि संजीत की हत्या पैसे देने से पहले ही कर दी गयी थी.

- अप्रैल 2018 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपने 13 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ डकैती और गोली मारने के आरोप में केस दर्ज किया. दरअसल, फर्रुखाबाद जिले के पुलिस द्वारा एक घर में गोलीबारी और फर्जी मुठभेड़ को अंजाम दिया गया था, जिसमें एक लड़के के पैर में गोली लगी थी. ये घटना 21 फरवरी की है, जिसके बाद परिवार वालों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट के आदेश पर यूपी पुलिस को अपने ही अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करना पड़ा.

- साल 2018 को लखनऊ में एप्पल कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक त्रिपाठी को रात में दो सिपाहियों ने तलाशी लेने के बहाने परेशान किया. जिसका विरोध करने पर सिपाही संदीप ने विवेक की गोली मार कर हत्या कर दी. उस वक़्त विवेक अपनी महिला मित्र के साथ गाड़ी में मौजूद था.

- राजधानी लखनऊ में तैनात इनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेक्टर संजय राय पर साल 2013 को इकतरफा प्यार के जुनून में एक ट्रेनी महिला सब इंस्पेक्टर के मासूम ममेरे भाई को गोलियों से छलनी करवाने का आरोप लगा था. छानबीन के बाद इंस्पेक्टर संजय राय पर हत्या का मामला दर्ज हुआ और जेल जाना पड़ा था.




दोषी पुलिसकर्मियों पर होगी सख्त कार्रवाई : उत्तर प्रदेश पुलिस के दागदार कर्मियों के कारनामों की लिस्ट इतनी लंबी है कि उनके किये गए बहादुरी के किस्से भी बौने लगने लगेंगे, लेकिन यूपी के सबसे बड़े कोतवाल एडीजी कानून व्यवस्था से पूछा गया कि उनकी पुलिस नाक कटवा रही है तो जवाब देते हुए कहा कि 'पुलिस के द्वारा या किसी भी व्यक्ति के द्वारा कोई भी गलत कार्य किया जाएगा तो उसके विरूद्ध नियमानुसार कठोर कार्रवाई की जाएगी.'



उत्तर प्रदेश में लंबे समय तक पुलिस सेवा में रहे और डीजीपी के पद से रिटायर हुए एके जैन कहते हैं कि 'मेरा मानना है कि अपराध करने वाले पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जानी चाहिए, यही नहीं जब भी कोई घटना प्रकाश में आए उसमें निसंकोच अधिकारी उसे सार्वजनिक करें तभी इन सभी तरह की घटनाओं पर अंकुश लग सकेगा. जैन कहते हैं कि इन कर्मियों को पुलिस सेवा से बर्खास्त किया जाना चाहिए और अगर गैंग बनाकर कोई ऐसा कार्य कर रही है और एसओजी में लंबे समय से तैनात हैं उनको तत्काल उनके पद से हटा कर दूरस्थ जिलों में भेजना चाहिए.'


पूर्व डीजीपी कहते हैं कि 'न सिर्फ कानपुर की घटना बल्कि बीते सालों में वो तमाम घटनाएं जिसमें खाकी पर दाग लगा है वो दुर्भाग्यपूर्ण हैं. जैन इसके पीछे पुलिस एक्ट को जिम्मेदार मानते हैं जो अंग्रेजों द्वारा जनता के दमन के लिए बनाया गया था. उनका मानना है कि 1857 की क्रांति के बाद साल 1861 में बना पुलिस एक्ट आज भी लागू है और इसी से पुलिस गवर्न हो रही है. जिसमें बदलाव की जरूरत है. जैन खाकी के दागदार होने के पीछे पुलिस अधिकारियों की पोस्टिंग में राजनीतिक हस्तक्षेप को भी मानते हैं. उनका मानना है कि जब विधायक और सांसद पुलिस कर्मियों व अधिकारियों की अपने क्षेत्र में पोस्टिंग कराते हैं तो पुलिस मनबढ़ हो जाती है और ऐसी घटनाएं करने लगती है.'




वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र त्रिपाठी का मानना है कि 'जब किसी को शक्ति दी जाती है तो उसका दुरुपयोग भी होता है. सरकार ने पुलिस को माफ़ियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए खुली छूट दे रखी है जो उचित भी है, लेकिन उस शक्ति का सुपर विज़न अधिकारियों को करना होता है. राज्य में मातहतों का पर्यवेक्षणन और सुपर विजन दोनों ही लचर है. राघवेंद्र कहते हैं कि जब भी ऐसी कोई घटना होती है तो सरकार कोई भी हो कभी ऐसी कार्रवाई नहीं करती है जो नजीर बन सके और जब तब ऐसा नहीं होगा पुलिसकर्मी ऐसे ही अपराध करते रहेंगे.

यह भी पढ़ें : UP Jail में स्मार्ट वॉच बैन, कारागार के अधिकारियों व कर्मचारियों के पहनने पर भी पाबंदी

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