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यूपी सरकार नहीं कर रही RTE के छात्रों की फीस का भुगतान, एडमिशन रोक सकते हैं संस्थान

आज देश दुनिया का शायद ही ऐसा हिस्सा, वर्ग बचा हो जिसपर कोरोना का प्रतिकूल असर न पड़ा हो. शिक्षा क्षेत्र भी अछूता नहीं है. सरकार भले ही मदद के लिए आगे आकर अपनी जिम्मेदारी निभा रही हो फिरभी स्कूलों की स्थिति दयनीय बनी हुई है. शिक्षा का अधिकार (Right to Education) के तहत सरकार ने निजी स्कूलों को फ्री सीट पर बच्चों के दाखिले कराने के निर्देश दिए थे, साथ ही इस व्यवस्था में होने वाले खर्च का वहन सरकार ने वहन करने की बात कही थी. मगर सरकार द्वारा शुल्क प्रतिपूर्ति में देरी के चलते स्कूल प्रबंधन की हालत खराब है. प्रबधंन का कहना है कि यदि सरकार ने जल्द संज्ञान नहीं लिया तो शायद दाखिले भी रोके जा सकते हैं.

RTE के छात्रों की फीस का नहीं हुआ भुगतान
RTE के छात्रों की फीस का नहीं हुआ भुगतान
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Published : Jul 10, 2021, 4:05 PM IST

लखनऊ: शिक्षा का अधिकार (Right to Education) के तहत सरकार ने निजी स्कूलों की फ्री सीट पर बच्चों के दाखिले कराने के निर्देश दिए थे. व्यवस्था है कि इनकी फीस से लेकर कॉपी किताब का खर्च सरकार को वहन करना है. उत्तर प्रदेश सरकार के आदेशानुसार स्कूलों ने बीते सत्र 2020-21 में बच्चों के दाखिले कराए थे. नए सत्र 21-22 के लिए भी दाखिले हो रहे हैं. लेकिन, अभी तक इनके शुल्क प्रतिपूर्ति का पैसा स्कूलों में नहीं पहुंचा है. एक तो कोरोना संक्रमण, ऊपर से शुल्क प्रतिपूर्ति में इस देरी के कारण स्कूल प्रबंधन की हालत खराब है. संगठन का कहना है कि जल्द ही भुगतान नहीं हुआ तो आगे स्कूल चलाना मुश्किल होगा. ऐसे में मजबूरन दाखिले भी रोके जा सकते हैं.





राजधानी में सीबीएसई, आईएससी और यूपी बोर्ड से जुड़े निजी स्कूलों की संख्या करीब 1040 है. इसके अलावा, बेसिक शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त आठवीं तक के निजी स्कूलों की संख्या 500 से ज्यादा है. शिक्षा के अधिकार के तहत इन सभी स्कूलों में 25% सीटें जरूरतमंद परिवार के बच्चों के लिए आरक्षित रखी गई. इन पर दाखिले लिए जाते हैं. आरटीई के तहत होने वाले दाखिलों पर सरकार की ओर से प्रति छात्र 450 रुपये प्रति माह फीस दिए जाने की व्यवस्था है. यह फीस प्रतिपूर्ति के रूप में विद्यालयों को भेजी जाती है. इसके अलावा 5000 रुपये बच्चे को यूनिफॉर्म, किताबें और दूसरी जरूरतों को पूरा करने के लिए दिए जाने की व्यवस्था की गई है. भुगतान बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से किया जाता है.




निजी स्कूलों के संगठन की मानें तो पिछले एक साल से फीस की प्रतिपूर्ति नहीं की गई है. कोरोना संक्रमण के इस दौर में सरकार द्वारा भी भुगतान न किए जाने के चलते आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है. शिक्षक संघ के मीडिया प्रभारी अभिषेक कुमार सिंह ने बताया कि कुछ बड़े स्कूलों को छोड़ दिया जाए तो छोटे स्कूलों के पास अपने शिक्षकों को वेतन देने के लिए भी पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं हैं. कक्षा 8 तक के बच्चे दाखिले के लिए भी नहीं आ रहे हैं.

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षक संघ के बैनर तले बने वित्तविहीन विद्यालय प्रबंधक एसोसिएशन के लखनऊ जिला अध्यक्ष मोहम्मद हारुन का कहना है कि इस संबंध में उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा से लेकर शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद तक से वार्ता की गई. उनकी ओर से आश्वासन दिया जा रहा है. जल्द ही कोई हल नहीं निकला तो काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.




उत्तर प्रदेश में आरटीई के प्रावधानों के तहत निजी स्कूलों के लिए तीसरे चरण के आवेदन की प्रक्रिया 25 जून से शुरू हुई है. ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रक्रिया के तहत आवेदन लिए जा रहे हैं.


2021 में दो चरणों के बाद की स्थिति

कुल प्राप्त आवेदन क्षेत्र 76,463
कुल सत्यापित आवेदन जिस पर आवंटन किया गया : 56822
कुल आवंटन : 31510
दाखिले की स्थिति करीब 56%


2020 में दाखिले की स्थिति
कुल आवंटन 87,728
दाखिले की स्थिति करीब 42%

2019 की स्थिति
कुल आवंटन 53,330
दाखिले की स्थिति करीब 56 प्रतिशत

लखनऊ: शिक्षा का अधिकार (Right to Education) के तहत सरकार ने निजी स्कूलों की फ्री सीट पर बच्चों के दाखिले कराने के निर्देश दिए थे. व्यवस्था है कि इनकी फीस से लेकर कॉपी किताब का खर्च सरकार को वहन करना है. उत्तर प्रदेश सरकार के आदेशानुसार स्कूलों ने बीते सत्र 2020-21 में बच्चों के दाखिले कराए थे. नए सत्र 21-22 के लिए भी दाखिले हो रहे हैं. लेकिन, अभी तक इनके शुल्क प्रतिपूर्ति का पैसा स्कूलों में नहीं पहुंचा है. एक तो कोरोना संक्रमण, ऊपर से शुल्क प्रतिपूर्ति में इस देरी के कारण स्कूल प्रबंधन की हालत खराब है. संगठन का कहना है कि जल्द ही भुगतान नहीं हुआ तो आगे स्कूल चलाना मुश्किल होगा. ऐसे में मजबूरन दाखिले भी रोके जा सकते हैं.





राजधानी में सीबीएसई, आईएससी और यूपी बोर्ड से जुड़े निजी स्कूलों की संख्या करीब 1040 है. इसके अलावा, बेसिक शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त आठवीं तक के निजी स्कूलों की संख्या 500 से ज्यादा है. शिक्षा के अधिकार के तहत इन सभी स्कूलों में 25% सीटें जरूरतमंद परिवार के बच्चों के लिए आरक्षित रखी गई. इन पर दाखिले लिए जाते हैं. आरटीई के तहत होने वाले दाखिलों पर सरकार की ओर से प्रति छात्र 450 रुपये प्रति माह फीस दिए जाने की व्यवस्था है. यह फीस प्रतिपूर्ति के रूप में विद्यालयों को भेजी जाती है. इसके अलावा 5000 रुपये बच्चे को यूनिफॉर्म, किताबें और दूसरी जरूरतों को पूरा करने के लिए दिए जाने की व्यवस्था की गई है. भुगतान बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से किया जाता है.




निजी स्कूलों के संगठन की मानें तो पिछले एक साल से फीस की प्रतिपूर्ति नहीं की गई है. कोरोना संक्रमण के इस दौर में सरकार द्वारा भी भुगतान न किए जाने के चलते आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है. शिक्षक संघ के मीडिया प्रभारी अभिषेक कुमार सिंह ने बताया कि कुछ बड़े स्कूलों को छोड़ दिया जाए तो छोटे स्कूलों के पास अपने शिक्षकों को वेतन देने के लिए भी पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं हैं. कक्षा 8 तक के बच्चे दाखिले के लिए भी नहीं आ रहे हैं.

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षक संघ के बैनर तले बने वित्तविहीन विद्यालय प्रबंधक एसोसिएशन के लखनऊ जिला अध्यक्ष मोहम्मद हारुन का कहना है कि इस संबंध में उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा से लेकर शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद तक से वार्ता की गई. उनकी ओर से आश्वासन दिया जा रहा है. जल्द ही कोई हल नहीं निकला तो काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.




उत्तर प्रदेश में आरटीई के प्रावधानों के तहत निजी स्कूलों के लिए तीसरे चरण के आवेदन की प्रक्रिया 25 जून से शुरू हुई है. ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रक्रिया के तहत आवेदन लिए जा रहे हैं.


2021 में दो चरणों के बाद की स्थिति

कुल प्राप्त आवेदन क्षेत्र 76,463
कुल सत्यापित आवेदन जिस पर आवंटन किया गया : 56822
कुल आवंटन : 31510
दाखिले की स्थिति करीब 56%


2020 में दाखिले की स्थिति
कुल आवंटन 87,728
दाखिले की स्थिति करीब 42%

2019 की स्थिति
कुल आवंटन 53,330
दाखिले की स्थिति करीब 56 प्रतिशत

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