लखनऊः उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायकों की शपथ ग्रहण के बाद मंगलवार को भाजपा के वरिष्ठ विधायक सतीश महाना निर्विरोध विधानसभा अध्यक्ष निर्वाचित हो गए. विधानसभा सदन में अध्यक्ष की कुर्सी यानी पीठ पर सतीश महाना को नेता सदन सीएम योगी आदित्यनाथ व नेता विरोधी दल अखिलेश यादव ने खोजकर बैठाया. पुरानी परंपरा के अनुसार सदन में अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद सदन के अंदर ही अन्य सामान्य चेयर पर छुपकर बैठने और फिर नेता सदन व अन्य सदस्यों की तरफ से उन्हें खोजकर अध्यक्ष चेयर यानी पीठ पर आसीन कराने की परंपरा का पालन किया गया. जानकार बताते हैं कि यह ब्रिटिश परम्परा विधानसभा सदन में अध्यक्ष को कुर्सी पर बिठाने की वर्षों से निभाई जा रही है. यह परंपरा इसलिए निभाई जाती है कि विधानसभा अध्यक्ष किसी दल के बजाय पूरे सदन के अध्यक्ष होते हैं और सबके अधिकारों का संरक्षण करते हैं.
उत्तर प्रदेश को अपेक्षआओं पर खरा उतरना होगा
इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब दुनिया अपने द्वंद में उलझी है तो भारत और उत्तर प्रदेश को अपेक्षआओं पर खरा उतरना होगा. आम जनमानस ने सभी जनप्रतिनिधियों पर भरोसा किया है. उस विश्वास पर कहीं भी अविश्वास नहीं होना चाहिए. सीएम योगी ने कहा कि अब हमें विकास और 25 करोड़ लोगों के बारे में सोचना है. सर्व सम्मति से विधानसभा अध्यक्ष चुना जाना इस बात का उदाहरण है कि हम मिलकर काम करेंगे. उन्होंने कहा कि 17 वीं विधानसभा में महामारी के दौरान सदन चलाया था. हमने एक मिसाल का काम किया. पिछली विधानसभा में हमने तीन ही साल काम किया. दो साल कोरोना की भेंट चढ़ गया था. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर लगातार 36 घंटे सदन चलाया गया था. इन सब पर एक सकारात्मक पहल हुई थी. हमने 2019 में विशेष सत्र आयोजित किया था. 31 दिसंबर 2019 को भी विशेष सत्र आयोजित किया था.
पिछली सरकार में औद्योगिक विभाग में बेहतरीन काम किया
योगी ने आगे कहा कि हम सब जानते हैं कि विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के पास सार्वजनिक जीवन का बड़ा अनुभव है. सामान्य कार्यकर्ता से लेकर आठ बार विधायक बने और अब विधानसभा अध्यक्ष हैं. कुशलतापूर्वक मंत्री पद भी संभाला है. उन्होंने खुद की कोई जाति न घोषित की हो. जिसने नाम के आगे महाना जोड़ा और कहा कि सेवा करते करते हम महान हो गए हैं. सीएम योगी ने कहा कि पिछली सरकार में औद्योगिक विभाग में बेहतरीन काम किया. लाखों युवाओं को नौकरी से जोड़ा गया है. यह भी उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास मंत्री के तौर पर आपने (सतीश महाना) काम किया है. आपका निर्विरोध चयन ऐसे समय मे हुआ है देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. भारत को अगर समयबद्ध तक लक्ष्यों को पाना हो तो शुरुआत उत्तर प्रदेश से होनी चाहिए. मैं विश्वास व्यक्त करता हूं कि हमारी 18 वीं विधानसभा प्रदेश के विकास में योगदान करेगी. शासन की योजनाओं को अगर वे समयबद्ध तरीके तक अपने क्षेत्र में आगे पहुंचाएगा तो निश्चित तौर पर वह भी बार बार चुना जाएगा और एक दिन वह भी विधानसभा अध्यक्ष बनेगा. राज्य के हित और 25 करोड़ लोगों के हित के लिए यहां चर्चा होगी.
आपको (सतीश महाना) छिपना न पड़ेः अखिलेश
वहीं, अखिलेश यादव ने कहा कि न जाने कितने स्पीकर इस लोकतंत्र में कुर्बान हो गए. मैं शुभकामनाएं दूंगा कि आपको (सतीश महाना) छिपना न पड़े. अखिलेश यादव ने कहा कि 'नफीसुल हसन, बाबू बनारसी दास और ऐसे ही अनेक बड़े नाम इस पद पर रहे. सदस्य लगातार जीतता है जो जनता के बीच रहता है. आप कई बार समितियों के सदस्य रहे हैं. जब भी हम सवाल उठाएंगे आप हम सदस्यों के अधिकार की रक्षा करेंगे. आप राइट साइड से आए हैं आपको लेफ्ट की ओर देखना होगा. हाउस के रैफरी हैं. आप कानपुर से हैं. आप जितना विपक्ष को मौका देंगे उतना लोकतंत्र मजबूत होगा.' अखिलेश यादव ने आगे कहा कि ' मंत्री बड़ी तैयारी से आते थे मगर आपके सवालों का जवाब नहीं दे पाते थे. आपको ध्यान देना होगा कि हम सब निर्वाचित होकर आए हैं.'
राजनीति में मतभेद हो लेकिन मनभेद न हो: सतीश महाना
निर्विरोध विधानसभा अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद सतीश महाना ने कहा कि नवनिर्वाचित सदस्यों का सदन और उसके बाहर भी ऐसा आचरण और व्यवहार होना चाहिए, जिससे उन्हे बार-बार क्षेत्र की सेवा करने का अवसर मिले. उन्होंने कहा कि सदन में चर्चा परिचर्चा और संवाद का स्थान होना चाहिए. राजनीति में मतभेद हो लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में काम करने की प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए. उन्होंने योगी आदित्यनाथ को कठोर निर्णय लेने वाला मुख्यमंत्री बताते हुए कहा कि सदन में निरंतरता बनाये रखने के लिए जरूरी है कि जनता के संपर्क में रहे. सदनों में हिंसा और हुडदंग की परंपरा को गलत बताते हुए कहा कि सदस्यों के इस आचरण से जनता में गलत संदेश जाता है. इस मौके पर उन्होेने पूर्व में विधानसभा में हुई हिंसक घटनाओं और अमर्यादित आचरण की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि सम्मानित सदनों में इस तरह का आचरण अशोभनीय है. इसका स्वस्थ लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं होना चाहिए.