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सपा-भाजपा के सोशल मीडिया विवाद से सहमत नहीं बड़े नेता, फिर भी जारी है रार - Analysis of UP Bureau Chief Alok Tripathi

राजनीतिक दलों के बीच होने वाली तकरार अब मर्यादाओं की सीमा लांघ रही है. इसके लिए किसी एक दल को दोषी ठहराना उचित नहीं होगा. सोशल मीडिया के इस दौर में हर कोई दल बेहूदा और लफ्फाजी भरे तंज कसने में पीछे नहीं है. हालांकि राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेता इसे उचित नहीं मानते हैं. पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी (Analysis of UP Bureau Chief Alok Tripathi) का विश्लेषण.

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Published : Jan 9, 2023, 11:09 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के बीच सोशल मीडिया (sp bjp social media controversy) पर शुरू हुई जुबानी जंग अब सड़कों पर उतर आई है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (SP President Akhilesh Yadav) रविवार को अपने सोशल मीडिया देखने वाले युवक की गिरफ्तारी के बाद पुलिस मुख्यालय पहुंचे और सरकार पर तमाम आरोप लगाए. इस घटना को लेकर दिनभर हंगामा होता रहा. यह लड़ाई कहां जाकर रुकेगी कहना कठिन है. हालांकि यह जरूर है कि पार्टी के दिग्गज नेता इस तरह की स्तरहीन राजनीति को पसंद नहीं करते. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी इस तरह की राजनीति को अमर्यादित और गैर जरूरी बताते हैं. सपा में कई ऐसे नेता हैं, जो गैर जरूरी, स्तरहीन और निजी टिप्पणियों को पसंद नहीं करते.

सपा-भाजपा विवाद.
सपा-भाजपा विवाद.

एक दौर था जब राजनीति में परस्पर विरोधी (Samajwadi and BJP's altercation ) होने के बावजूद लोग कभी भी एक दूसरे पर निजी टिप्पणियां नहीं करते थे. यही नहीं तमाम पक्ष-विपक्षी के नेता कार्यक्रमों और निजी आयोजनों में एक-दूसरे से मिलते थे, कुशलक्षेम पूछते थे, दुख-सुख में भी शरीक होते थे. संसद और विधान भवनों में भी कई बार यह बात हुई कि विरोध नीतियों का होना चाहिए, परस्पर नहीं. दो पूर्व प्रधानमंत्रियों अटल बिहारी वाजपेयी और चंद्रशेखर की दोस्त और विरोध एक राजनीतिक मिसाल हो सकती है. चंद्रशेखर अटल जी को अपना गुरु मानते थे और संसद में अपने तर्कों से अटल जी का खूब विरोध भी करते थे. राजनीति का तकाजा भी यही है. यदि नेताओं में दलीय दुर्भावना बढ़ी और यदि बात बदला लेने और सत्ता के दुरुपयोग तक पहुंची तो इसमें नुकसान सभी का होगा, क्योंकि सत्ता किसी एक की नहीं होती. जो आज सत्ता में हैं, कल वह विपक्ष में हो सकता है. हालांकि यह बातें न तो सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेता समझ रहे हैं और न ही मुख्य विपक्षी पार्टी सपा के नेता. दोनों ही दलों के नेताओं ने मर्यादा की सीमाएं लांघी और एक-दूसरे पर व्यक्तिगत और ओछी टिप्पणियां करते रहे. इसे लेकर भाजपा नेताओं ने सपाइयों पर एफआईआर कराई, तो ऐसी ही टिप्पणियों को लेकर सपा ने भी भाजपा नेता के खिलाफ केस दर्ज कराया. हैरानी की बात है कि दोनों ही दलों का नेतृत्व अपने नेताओं को स्तरहीन और घटिया टिप्पणियां करने से क्यों नहीं रोक रहा है, जबकि इन दलों के तमाम नेता ऐसी टिप्पणियों से इत्तेफाक नहीं रखते.

सपा-भाजपा विवाद.
सपा-भाजपा विवाद.

इस संबंध में पूछे जाने पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी (State BJP President Bhupendra Singh Chowdhary) कहते हैं 'मेरे अपना निजी मत है कि हमें मर्यादा की सीमा नहीं लांघनी चाहिए. हम लोकतंत्र में हैं और हमें जनता में अपनी बात मर्यादा और शालीनता के साथ रखनी चाहिए. हमारा ऐसा ही स्वभाव है. हमारी पार्टी का भी ऐसा ही आचरण रहा है. वह क्या करते हैं, उन्हें जाना चाहिए, लेकिन निजी हमलों पर अपनी मर्यादा के साथ अपनी बात कहनी चाहिए. मैं इस मत का हूं. यदि हमारी ओर से इस तरह की कोई बात हुई हो तो उसे देखेंगे, लेकिन मेरा मत यह ही कि हमें मर्यादा, भाषा की मर्यादा और एक दूसरे पर व्यक्तिगत हमले न करके ही अपना काम करना चाहिए.'

सपा-भाजपा के सोशल मीडिया विवाद
सपा-भाजपा के सोशल मीडिया विवाद

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव (Samajwadi Party senior leader Shivpal Singh Yadav) का कहना है कि 'जो भी राजनीति में स्वस्थ परंपराएं रही हैं, भारतीय जनता पार्टी उन्हें खत्म कर रही है. देखिए, जो मैंने कहा है कि अभी तो हम देख रहे हैं. निन्नानवे (99) तक वार हम बर्दाश्त करेंगे, लेकिन यह संख्या जब पार हुई तो फिर बर्दाश्त नहीं करेंगे.' वहीं समाजवादी पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि 'ऐसी टिप्पणियों को किसी भी सूरत में उचित नहीं ठहराया जा सकता है.' वह कहते हैं कि 'दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं को भी ध्यान देना चाहिए कि उनके कनिष्ठ साथी किस तरह के बयान दे रहे हैं. उनके बयान पार्टी की नीतियों और आचरण के अनुरूप हैं या नहीं. यदि नहीं हैं, तो उन्हें तत्काल बुलाकर टोका क्यों नहीं. यह गलती तो दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की भी है.

यह भी पढ़ें : सुलतानपुर में दिनदहाड़े सनसनीखेज वारदात, बंधन बैंक कर्मचारी से 23 हजार रुपये लूटे

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के बीच सोशल मीडिया (sp bjp social media controversy) पर शुरू हुई जुबानी जंग अब सड़कों पर उतर आई है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (SP President Akhilesh Yadav) रविवार को अपने सोशल मीडिया देखने वाले युवक की गिरफ्तारी के बाद पुलिस मुख्यालय पहुंचे और सरकार पर तमाम आरोप लगाए. इस घटना को लेकर दिनभर हंगामा होता रहा. यह लड़ाई कहां जाकर रुकेगी कहना कठिन है. हालांकि यह जरूर है कि पार्टी के दिग्गज नेता इस तरह की स्तरहीन राजनीति को पसंद नहीं करते. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी इस तरह की राजनीति को अमर्यादित और गैर जरूरी बताते हैं. सपा में कई ऐसे नेता हैं, जो गैर जरूरी, स्तरहीन और निजी टिप्पणियों को पसंद नहीं करते.

सपा-भाजपा विवाद.
सपा-भाजपा विवाद.

एक दौर था जब राजनीति में परस्पर विरोधी (Samajwadi and BJP's altercation ) होने के बावजूद लोग कभी भी एक दूसरे पर निजी टिप्पणियां नहीं करते थे. यही नहीं तमाम पक्ष-विपक्षी के नेता कार्यक्रमों और निजी आयोजनों में एक-दूसरे से मिलते थे, कुशलक्षेम पूछते थे, दुख-सुख में भी शरीक होते थे. संसद और विधान भवनों में भी कई बार यह बात हुई कि विरोध नीतियों का होना चाहिए, परस्पर नहीं. दो पूर्व प्रधानमंत्रियों अटल बिहारी वाजपेयी और चंद्रशेखर की दोस्त और विरोध एक राजनीतिक मिसाल हो सकती है. चंद्रशेखर अटल जी को अपना गुरु मानते थे और संसद में अपने तर्कों से अटल जी का खूब विरोध भी करते थे. राजनीति का तकाजा भी यही है. यदि नेताओं में दलीय दुर्भावना बढ़ी और यदि बात बदला लेने और सत्ता के दुरुपयोग तक पहुंची तो इसमें नुकसान सभी का होगा, क्योंकि सत्ता किसी एक की नहीं होती. जो आज सत्ता में हैं, कल वह विपक्ष में हो सकता है. हालांकि यह बातें न तो सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेता समझ रहे हैं और न ही मुख्य विपक्षी पार्टी सपा के नेता. दोनों ही दलों के नेताओं ने मर्यादा की सीमाएं लांघी और एक-दूसरे पर व्यक्तिगत और ओछी टिप्पणियां करते रहे. इसे लेकर भाजपा नेताओं ने सपाइयों पर एफआईआर कराई, तो ऐसी ही टिप्पणियों को लेकर सपा ने भी भाजपा नेता के खिलाफ केस दर्ज कराया. हैरानी की बात है कि दोनों ही दलों का नेतृत्व अपने नेताओं को स्तरहीन और घटिया टिप्पणियां करने से क्यों नहीं रोक रहा है, जबकि इन दलों के तमाम नेता ऐसी टिप्पणियों से इत्तेफाक नहीं रखते.

सपा-भाजपा विवाद.
सपा-भाजपा विवाद.

इस संबंध में पूछे जाने पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी (State BJP President Bhupendra Singh Chowdhary) कहते हैं 'मेरे अपना निजी मत है कि हमें मर्यादा की सीमा नहीं लांघनी चाहिए. हम लोकतंत्र में हैं और हमें जनता में अपनी बात मर्यादा और शालीनता के साथ रखनी चाहिए. हमारा ऐसा ही स्वभाव है. हमारी पार्टी का भी ऐसा ही आचरण रहा है. वह क्या करते हैं, उन्हें जाना चाहिए, लेकिन निजी हमलों पर अपनी मर्यादा के साथ अपनी बात कहनी चाहिए. मैं इस मत का हूं. यदि हमारी ओर से इस तरह की कोई बात हुई हो तो उसे देखेंगे, लेकिन मेरा मत यह ही कि हमें मर्यादा, भाषा की मर्यादा और एक दूसरे पर व्यक्तिगत हमले न करके ही अपना काम करना चाहिए.'

सपा-भाजपा के सोशल मीडिया विवाद
सपा-भाजपा के सोशल मीडिया विवाद

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव (Samajwadi Party senior leader Shivpal Singh Yadav) का कहना है कि 'जो भी राजनीति में स्वस्थ परंपराएं रही हैं, भारतीय जनता पार्टी उन्हें खत्म कर रही है. देखिए, जो मैंने कहा है कि अभी तो हम देख रहे हैं. निन्नानवे (99) तक वार हम बर्दाश्त करेंगे, लेकिन यह संख्या जब पार हुई तो फिर बर्दाश्त नहीं करेंगे.' वहीं समाजवादी पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि 'ऐसी टिप्पणियों को किसी भी सूरत में उचित नहीं ठहराया जा सकता है.' वह कहते हैं कि 'दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं को भी ध्यान देना चाहिए कि उनके कनिष्ठ साथी किस तरह के बयान दे रहे हैं. उनके बयान पार्टी की नीतियों और आचरण के अनुरूप हैं या नहीं. यदि नहीं हैं, तो उन्हें तत्काल बुलाकर टोका क्यों नहीं. यह गलती तो दोनों ही दलों के वरिष्ठ नेताओं की भी है.

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