लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में आईएएस किंजल सिंह को महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा व ट्रेनिंग के पद से हटाए जाने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर यूपी पब्लिक सर्विस कमीशन ने जवाब देते हुए कहा है कि '28 जून 2023 को सम्बंधित नियमावली में संशोधन करते हुए, यह व्यवस्था कर दी गई है कि आईएएस अधिकारी जो सचिव स्तर से नीचे का न हो, को भी प्रतिनियुक्ति पर महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा व ट्रेनिंग के पद पर तैनात किया जा सकता है.'
मामले में याची स्थानीय अधिवक्ता मोतीलाल यादव ने जनहित याचिका दाखिल करते हुए, आईएएस अधिकारी किंजल सिंह के विरुद्ध अधिकार पृच्छा रिट जारी किए जाने की मांग की है. कहा गया है कि किंजल सिंह एक आईएएस अधिकारी हैं और उनका महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा के पद पर नियुक्ति नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट, रूल्स व रेग्युलेशन्स के विपरीत है. याची ने बताया कि मंगलवार को यूपी पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा उन्हें जवाब की प्रति प्राप्त कराई गई, जिसमें 28 जून 2023 को सम्बंधित नियमावली में संशोधन का हवाला दिया गया है. याची ने बताया कि उनकी याचिका पर संज्ञान लेते हुए, 31 मई 2023 को ही न्यायालय ने सरकार व कमीशन से जवाब मांगा था, उसके बाद उक्त संशोधन किया गया है.
उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, मामले को गम्भीर मुद्दा बताया था व जवाब-तलब किया था. दरअसल. याची की ओर से यह भी कहा गया है कि किंजल सिंह ने मेडिकल की कोई शिक्षा नहीं ली है, लिहाजा वह इस पद पर नियुक्ति पाने की योग्य नहीं हैं. याची की ओर से हाईकोर्ट के 14 मई 2004 के एक अंतरिम आदेश का भी हवाला दिया गया है, जिसमें याची के अनुसार, हाईकोर्ट ने महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा के पद पर आईएएस की नियुक्ति करने पर रोक लगा रखी है. दलील दी गई है कि हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद एक आईएएस अधिकारी को उक्त पद पर नियुक्त किया जाना पूर्णतया विधि विरुद्ध है.