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चपरासी से लेकर बाबू तक का काम गुरुजी के जिम्मे, कब और कैसे कराएंगे पढ़ाई? - सरकारी प्राइमरी स्कूल

सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों की सफाई से लेकर विभागीय फाइलों तक की जिम्मेदारी शिक्षकों पर है. इन शिक्षकों को मिड डे मील वितरण से लेकर विभाग के अन्य कार्य तक करने पड़ते हैं. इन सब कामों के बीच शिक्षक परेशान हैं. ईटीवी भारत ने इन विद्यालयों की पड़ताल की. देखिए ये रिपोर्ट....

प्राथमिक शिक्षक संघ के सदस्य और शिक्षक अश्विनी कुमार
प्राथमिक शिक्षक संघ के सदस्य और शिक्षक अश्विनी कुमार
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Published : Mar 9, 2021, 11:14 AM IST

लखनऊ: सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों की सफाई से लेकर विभागीय फाइलों तक की जिम्मेदारी शिक्षकों पर है. मिड-डे मील भी बांटना है. विभाग की मीटिंग में बीएसए ऑफिस भी जाना है. सरकार की योजनाओं के संबंध में फाइलें भी तैयार करनी है. सरकारी प्रशिक्षकों में भी भाग लेना है. बेसिक शिक्षा परिषद के प्राइमरी, अपर प्राइमरी स्कूलों की स्थिति पर सरकारी दावों और जमीनी हकीकत के सच की तलाश में ETV BHARAT ने पड़ताल की. ETV BHARAT की पड़ताल में सामने आया है कि जिन शिक्षकों के ऊपर इन स्कूलों की पूरी जिम्मेदारी है. उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है.

जानकारी देते प्राथमिक शिक्षक संघ के सदस्य और शिक्षक अश्विनी कुमार.

पढ़ाने के साथ करने होते हैं कई काम
सरकारी प्राइमरी स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों की शिकायत है कि पढ़ाई के अलावा बीएलओ ड्यूटी से लेकर टीकाकरण तक के काम में उनको लगाया जाता है. ऐसे में सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों का होता है. उनकी कक्षाएं नियमित रूप से नहीं चल पाती. प्राथमिक शिक्षक संघ के सदस्य और शिक्षक अश्विनी कुमार ने बताया कि एकल संचालन वाले स्कूलों में जहां एक ही टीचर है वहां कई बार क्लासेस चला पाना भी मुश्किल होता है.

दफ्तरों में चक्कर काटने में गुजरता समय
अश्विनी कुमार ने बताया कि यह सब काम विभाग की वरीयता में हैं. ऐसे में शिक्षकों के लिए इन्हें पहले पूरा करना होता है. जिन स्कूलों में एक से ज्यादा टीचर है वहां तो जैसे-तैसे काम हो जाता है, लेकिन एक ही टीचर वाले स्कूलों में यह कर पाना मुसीबत बन गया है. हालत यह है कि टीचर विभागीय कार्यों को लेकर सिर्फ और सिर्फ बीएसए कार्यालय से लेकर दूसरे अधिकारियों के दफ्तरों में चक्कर लगाते रहते हैं.

मुद्दे जिन को लेकर परेशान है राजधानी के शिक्षक

  • नव नियुक्त शिक्षकों को तैनात हुए 5 माह हो गए हैं, लखनऊ में इन शिक्षकों का वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है, जबकि जनपद कानपुर में नवीन शिक्षकों से अंडरटेकिंग लेकर वेतन का भुगतान दिसंबर 2020 से किया जा रहा है.
  • अंतर्जनपदीय शिक्षकों की मानव संपदा आईडी और सेवा पंजिका लखनऊ स्थानन्तरित न होने के कारण शिक्षकों को सीसीएल, प्रसूता अवकाश, आकस्मिक और चिकित्सिय अवकाश लेने में दिक्कतें आ रही हैं.
  • अंतर्जनपदीय शिक्षकों का फरवरी 2021 का वेतन न तो लखनऊ से हो रहा है और न ही उनके पूर्व जनपद से. वित्तीय वर्ष 2020-21 में फाइनल आयकर की कटौती शिक्षकों के फरवरी माह के वेतन से होनी है, ऐसी स्थित में अंतर्जनपदीय शिक्षकगण असमंजस में हैं. उनके आयकर न तो पूर्व जनपद में जमा हुए हैं और न ही लखनऊ के सम्बंधित बीआरसी पर जमा किये जा रहे हैं.
  • 13 जुलाई 2012 के शासनादेश में शिक्षक/कर्मचारी अपनी आवश्यकता अनुसार किसी भी बैंक में अपना वेतन प्राप्त कर सकता है, किंतु विकास खण्डों के लिपिकों के द्वारा नव नियुक्त और अंतर्जनपदीय शिक्षकों पर दबाव दिया जा रहा है जहां सभी शिक्षकों का वेतन आ रहा है, वहीं वह भी खाता खुलवाएं.
  • नव नियुक्त और अंतर्जनपदीय शिक्षकों के परिचय पत्र बनवाने की प्रक्रिया की शुरुआत नहीं की गई है.

लखनऊ: सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों की सफाई से लेकर विभागीय फाइलों तक की जिम्मेदारी शिक्षकों पर है. मिड-डे मील भी बांटना है. विभाग की मीटिंग में बीएसए ऑफिस भी जाना है. सरकार की योजनाओं के संबंध में फाइलें भी तैयार करनी है. सरकारी प्रशिक्षकों में भी भाग लेना है. बेसिक शिक्षा परिषद के प्राइमरी, अपर प्राइमरी स्कूलों की स्थिति पर सरकारी दावों और जमीनी हकीकत के सच की तलाश में ETV BHARAT ने पड़ताल की. ETV BHARAT की पड़ताल में सामने आया है कि जिन शिक्षकों के ऊपर इन स्कूलों की पूरी जिम्मेदारी है. उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है.

जानकारी देते प्राथमिक शिक्षक संघ के सदस्य और शिक्षक अश्विनी कुमार.

पढ़ाने के साथ करने होते हैं कई काम
सरकारी प्राइमरी स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों की शिकायत है कि पढ़ाई के अलावा बीएलओ ड्यूटी से लेकर टीकाकरण तक के काम में उनको लगाया जाता है. ऐसे में सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों का होता है. उनकी कक्षाएं नियमित रूप से नहीं चल पाती. प्राथमिक शिक्षक संघ के सदस्य और शिक्षक अश्विनी कुमार ने बताया कि एकल संचालन वाले स्कूलों में जहां एक ही टीचर है वहां कई बार क्लासेस चला पाना भी मुश्किल होता है.

दफ्तरों में चक्कर काटने में गुजरता समय
अश्विनी कुमार ने बताया कि यह सब काम विभाग की वरीयता में हैं. ऐसे में शिक्षकों के लिए इन्हें पहले पूरा करना होता है. जिन स्कूलों में एक से ज्यादा टीचर है वहां तो जैसे-तैसे काम हो जाता है, लेकिन एक ही टीचर वाले स्कूलों में यह कर पाना मुसीबत बन गया है. हालत यह है कि टीचर विभागीय कार्यों को लेकर सिर्फ और सिर्फ बीएसए कार्यालय से लेकर दूसरे अधिकारियों के दफ्तरों में चक्कर लगाते रहते हैं.

मुद्दे जिन को लेकर परेशान है राजधानी के शिक्षक

  • नव नियुक्त शिक्षकों को तैनात हुए 5 माह हो गए हैं, लखनऊ में इन शिक्षकों का वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है, जबकि जनपद कानपुर में नवीन शिक्षकों से अंडरटेकिंग लेकर वेतन का भुगतान दिसंबर 2020 से किया जा रहा है.
  • अंतर्जनपदीय शिक्षकों की मानव संपदा आईडी और सेवा पंजिका लखनऊ स्थानन्तरित न होने के कारण शिक्षकों को सीसीएल, प्रसूता अवकाश, आकस्मिक और चिकित्सिय अवकाश लेने में दिक्कतें आ रही हैं.
  • अंतर्जनपदीय शिक्षकों का फरवरी 2021 का वेतन न तो लखनऊ से हो रहा है और न ही उनके पूर्व जनपद से. वित्तीय वर्ष 2020-21 में फाइनल आयकर की कटौती शिक्षकों के फरवरी माह के वेतन से होनी है, ऐसी स्थित में अंतर्जनपदीय शिक्षकगण असमंजस में हैं. उनके आयकर न तो पूर्व जनपद में जमा हुए हैं और न ही लखनऊ के सम्बंधित बीआरसी पर जमा किये जा रहे हैं.
  • 13 जुलाई 2012 के शासनादेश में शिक्षक/कर्मचारी अपनी आवश्यकता अनुसार किसी भी बैंक में अपना वेतन प्राप्त कर सकता है, किंतु विकास खण्डों के लिपिकों के द्वारा नव नियुक्त और अंतर्जनपदीय शिक्षकों पर दबाव दिया जा रहा है जहां सभी शिक्षकों का वेतन आ रहा है, वहीं वह भी खाता खुलवाएं.
  • नव नियुक्त और अंतर्जनपदीय शिक्षकों के परिचय पत्र बनवाने की प्रक्रिया की शुरुआत नहीं की गई है.

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