लखनऊ : भारतीय रेलवे के रिसर्च विंग आरडीएसओ ने देश के उत्तरी भागों में स्थित उद्योगों के लिए एक वर्चुअल वेंडर मीट का आयोजन किया. आरडीएसओ के महानिदेशक वीरेन्द्र कुमार और विशेष महानिदेशक एके पांडेय के मुताबिक इस मीट में उद्योग जगत के 150 से अधिक प्रतिनिधियों की ओर से बेहतर प्रतिक्रिया मिली. वेब प्लेटफॉर्म की बाध्यता के चलते अन्य उद्योग प्रतिनिधियों को भी ऐसी ही आगामी बैठकों में भाग लेने का सुझाव दिया गया.
उन्होंने बताया कि देश के सभी उद्योगों को क्षेत्रवार शामिल करने के लिए वेंडर मीट का कार्यक्रम बनाया गया है. वर्चुअल वेंडर मीट को सम्बोधित करते हुए आरडीएसओ के विशेष महानिदेशक (वेंडर डेवेलपमेंट) एके पांडेय ने कहा कि अनुमोदन प्रक्रिया को सरल करने और अनुसंधान को बेहतर बनाने के लिए आरडीएसओ ने अनेक महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं. कार्यकारी निदेशक, क्वालिटी एशोरेंस (मैकेनिकल) लोकेश सिंह, कार्यकारी निदेशक, क्वालिटी एशोरेंस (संकेत एवं दूरसंचार) पराग कुमार गोयल ने आरडीएसओ की ऑनलाइन वेंडर अनुमोदन प्रक्रिया और व्यापर करने में सुगमता बढ़ाने के लिए किए गए उपायों व पांच से कम स्रोतों वाली मदों के विवरण का विस्तृत प्रेजेंटेशन दिया.
प्रतिनिधियों को यह भी बताया गया कि पांच स्रोतों से कम वाली आरडीएसओ नियंत्रित मदों के लिए अनेक उपाय किए गए हैं. पांच स्रोतों से कम वाली मदों के लिए पंजीकरण प्रभार मध्यम/लघु उद्योगों के लिए 1,50,000 रुपए से घटाकर 10,000 रुपये और अन्य के लिए 2,50000 रुपये से घटाकर 50,000 रुपए कर दिया है. पंजीकरण प्रक्रिया से लेकर आवेदन को मंजूरी प्रदान करने की सभी प्रक्रियाएं ऑनलाइन हैं.
भारत के आत्मनिर्भरता और मेक-इन-इंडिया प्रयासों के अंतर्गत घरेलू विनिर्माताओं को प्राथमिकता दी जाएगी. सामग्री पूरी खरीद डिजिटल प्लेटफॉर्म से की जाती है. विवरणों, ड्राइंग, तकनीकी दस्तावेजों की सूची इत्यादि सभी दस्तावेज आरडीएसओ की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं. ये नि:शुल्क डाउनलोड किए जा सकते हैं. पंजीकरण, परीक्षण, परामर्श प्रभार इत्यादि के लिए भुगतान केवल ऑनलाइन है.