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गणतंत्र दिवसः बाराबंकी में थ्री नॉट थ्री की विदाई, हरदोई की झांकियों ने मोहा मन

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी, हरदोई में गणतंत्र दिवस के अवसर पर विभिन्न प्रकार की झांकियां निकाली गईं. वहीं गणतंत्र दिवस पर बाराबंकी जिले में थ्री नॉट थ्री की रविवार को विदाई हो गई.

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गणतंत्र दिवस पर निकाली गई झांकिया
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Published : Jan 26, 2020, 10:01 PM IST

बाराबंकी: पहले और दूसरे विश्वयुद्ध में अपनी उपयोगिता साबित कर चुकी व यूपी पुलिस के हर ऑपरेशन में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली थ्री नॉट थ्री की रविवार को विदाई हो गई. इस शस्त्र का गणतंत्र दिवस पर आखिरी बार प्रदर्शन किया गया. इस अंतिम प्रदर्शन को देखने के लिए लोगों की खासी भीड़ जमा रही.

बाराबंकी में गणतंत्र दिवस के अवसर पर थ्री नॉट थ्री की हुई विदाई
थ्री नॉट थ्री राइफल कभी आरक्षियों का प्रमुख हथियार हुआ करती थी. आज तक यह यूपी पुलिस के हर ऑपरेशन में कंधे से कंधा मिलाकर चली. डकैत हों या बदमाश इसे देखकर भाग खड़े होते थे लेकिन अब यह नहीं दिखाई देगी क्योंकि इसकी जगह अब इंसास जैसे अत्याधुनिक हथियार ले लेंगे. गणतंत्र दिवस के मौके पर इस राइफल से फायरिंग करते हुए इसके आखिरी बार इस्तेमाल करने के एहसास ने आरक्षियों को भावुक कर दिया.
1889 में थ्री नॉट थ्री का यूके में हुआ था निर्माण
  • इस राइफल का डिजाइन यूनाइटेड किंगडम के जेम्स पेरिस ली ने तैयार किया था.
  • सन 1889 से ली एनफील्ड कंपनी ने इसका निर्माण शुरू किया.
  • इसका नाम शार्ट मैगजीन ली एनफील्ड था.
  • इसके बैरल का डायमीटर 0.303 इंच था.
  • लिहाजा यह थ्री नॉट थ्री के रूप में मशहूर हो गई.

इसकी मारक क्षमता 500 गज है और मैगजीन क्षमता 10 राउंड है. यह बोल्ट एक्शन राइफल है. इस 3 नॉट 3 राइफल को सबसे पहले ब्रिटिश की पैदल सेना द्वारा प्रमुख हथियार के रूप में अपनाया गया.

1945 से यूपी पुलिस कर रही थी थ्री नॉट थ्री का प्रयोग

प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध समेत कई मौकों पर इसने अपनी उपयोगिता सिद्ध की. भारत में इसका निर्माण 1907 में शुरू हुआ. ईशापुर की इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में इसका निर्माण शुरू हुआ था. उसके बाद इसके कई संस्करण निकाले गए. साल 2013 तक ज्यादातर सुरक्षा एजेंसियां इसी का इस्तेमाल करती रहीं. यूपी पुलिस 1945 से इस राइफल का इस्तेमाल करती आ रही है लेकिन बदलते वक्त और आधुनिक तकनीक के चलते इसकी उपयोगिता घटती जा रही थी. लिहाजा इसकी विदाई कर दी गई.

हरदोई: गणतंत्र दिवस में जिले के करीब 42 विभागों और विद्यालयों द्वारा एक विशाल झांकियों का आयोजन किया गया. इसमें करीब 110 झांकियों को निकाला गया. पूरे जिले में इस झांकी के निकलने से जनपदवासियों ने इसका लुफ्त उठाया. जिले में हुए विकास कार्यों को भी विभागों ने इस झांकी के माध्यम से दर्शाया. करीब 2 किलोमीटर लंबी इस झांकी में तमाम निजी और सरकारी विद्यालयों के मेधावियों ने भी झांकियों के माध्यम से राष्ट्रीय एकता और कौमी एकता का प्रदर्शन कर लोगों में जागरूकता का प्रसार किया.

हरदोई में गणतंत्र दिवस पर निकाली गई कई झांकिया

झांकियों में हरदोई जिले के सभी 42 विभागों द्वारा इसमें हिस्सा लिया गया. झांकियों के माध्यम से जिले के सरकारी विभागों में चल रही योजनाओं द्वारा हुए विकास कार्यों को दर्शाया गया. सिनेमा चौराहे पर सभी प्रशासनिक अधिकारियों और जिलाधिकारी ने सलामी देकर झांकियों का स्वागत किया.

इस वर्ष पिछले दो वर्षों से बेहतर झांकियों का आयोजन किया गया. इसके लिए सभी विभागों के जिम्मेदारों को धन्यवाद देता हूं. इस झांकी का उद्देश्य है कि लोगों तक सरकार की योजनाओं की जानकारी पहुंचे.
पुलकित खरे, जिलाधिकारी

बाराबंकी: पहले और दूसरे विश्वयुद्ध में अपनी उपयोगिता साबित कर चुकी व यूपी पुलिस के हर ऑपरेशन में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली थ्री नॉट थ्री की रविवार को विदाई हो गई. इस शस्त्र का गणतंत्र दिवस पर आखिरी बार प्रदर्शन किया गया. इस अंतिम प्रदर्शन को देखने के लिए लोगों की खासी भीड़ जमा रही.

बाराबंकी में गणतंत्र दिवस के अवसर पर थ्री नॉट थ्री की हुई विदाई
थ्री नॉट थ्री राइफल कभी आरक्षियों का प्रमुख हथियार हुआ करती थी. आज तक यह यूपी पुलिस के हर ऑपरेशन में कंधे से कंधा मिलाकर चली. डकैत हों या बदमाश इसे देखकर भाग खड़े होते थे लेकिन अब यह नहीं दिखाई देगी क्योंकि इसकी जगह अब इंसास जैसे अत्याधुनिक हथियार ले लेंगे. गणतंत्र दिवस के मौके पर इस राइफल से फायरिंग करते हुए इसके आखिरी बार इस्तेमाल करने के एहसास ने आरक्षियों को भावुक कर दिया.1889 में थ्री नॉट थ्री का यूके में हुआ था निर्माण
  • इस राइफल का डिजाइन यूनाइटेड किंगडम के जेम्स पेरिस ली ने तैयार किया था.
  • सन 1889 से ली एनफील्ड कंपनी ने इसका निर्माण शुरू किया.
  • इसका नाम शार्ट मैगजीन ली एनफील्ड था.
  • इसके बैरल का डायमीटर 0.303 इंच था.
  • लिहाजा यह थ्री नॉट थ्री के रूप में मशहूर हो गई.

इसकी मारक क्षमता 500 गज है और मैगजीन क्षमता 10 राउंड है. यह बोल्ट एक्शन राइफल है. इस 3 नॉट 3 राइफल को सबसे पहले ब्रिटिश की पैदल सेना द्वारा प्रमुख हथियार के रूप में अपनाया गया.

1945 से यूपी पुलिस कर रही थी थ्री नॉट थ्री का प्रयोग

प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध समेत कई मौकों पर इसने अपनी उपयोगिता सिद्ध की. भारत में इसका निर्माण 1907 में शुरू हुआ. ईशापुर की इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में इसका निर्माण शुरू हुआ था. उसके बाद इसके कई संस्करण निकाले गए. साल 2013 तक ज्यादातर सुरक्षा एजेंसियां इसी का इस्तेमाल करती रहीं. यूपी पुलिस 1945 से इस राइफल का इस्तेमाल करती आ रही है लेकिन बदलते वक्त और आधुनिक तकनीक के चलते इसकी उपयोगिता घटती जा रही थी. लिहाजा इसकी विदाई कर दी गई.

हरदोई: गणतंत्र दिवस में जिले के करीब 42 विभागों और विद्यालयों द्वारा एक विशाल झांकियों का आयोजन किया गया. इसमें करीब 110 झांकियों को निकाला गया. पूरे जिले में इस झांकी के निकलने से जनपदवासियों ने इसका लुफ्त उठाया. जिले में हुए विकास कार्यों को भी विभागों ने इस झांकी के माध्यम से दर्शाया. करीब 2 किलोमीटर लंबी इस झांकी में तमाम निजी और सरकारी विद्यालयों के मेधावियों ने भी झांकियों के माध्यम से राष्ट्रीय एकता और कौमी एकता का प्रदर्शन कर लोगों में जागरूकता का प्रसार किया.

हरदोई में गणतंत्र दिवस पर निकाली गई कई झांकिया

झांकियों में हरदोई जिले के सभी 42 विभागों द्वारा इसमें हिस्सा लिया गया. झांकियों के माध्यम से जिले के सरकारी विभागों में चल रही योजनाओं द्वारा हुए विकास कार्यों को दर्शाया गया. सिनेमा चौराहे पर सभी प्रशासनिक अधिकारियों और जिलाधिकारी ने सलामी देकर झांकियों का स्वागत किया.

इस वर्ष पिछले दो वर्षों से बेहतर झांकियों का आयोजन किया गया. इसके लिए सभी विभागों के जिम्मेदारों को धन्यवाद देता हूं. इस झांकी का उद्देश्य है कि लोगों तक सरकार की योजनाओं की जानकारी पहुंचे.
पुलकित खरे, जिलाधिकारी

Intro:बाराबंकी ,26 जनवरी । पहले और दूसरे विश्वयुद्ध में अपनी उपयोगिता साबित कर चुकी, पुलिस वालों की पहचान रही और यूपी पुलिस के हर ऑपरेशन में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली थ्री नॉट थ्री की रविवार को विदाई हो गई । गणतंत्र दिवस पर आखिरी बार प्रदर्शन के साथ ही उसकी भावभीनी विदाई कर दी गई । इस अंतिम प्रदर्शन को देखने के लिए लोगों की खासी भीड़ जमा रही ।


Body:वीओ - ये है थ्री नॉट थ्री राइफल । कभी ये आरक्षियों का प्रमुख हथियार हुआ करती थी ।आज तक ये यूपी पुलिस के हर ऑपरेशन में कंधे से कंधा मिलाकर चली । डकैत हों या बदमाश इसे देख कर भाग खड़े होते थे लेकिन अब यह नहीं दिखाई देगी क्योंकि इसकी जगह अब इंसास जैसे अत्याधुनिक हथियार ले लेंगे । गणतंत्र दिवस के मौके पर इस राइफल से फायरिंग करते हुए इसके आखिरी बार इस्तेमाल करने के एहसास ने आरक्षियों को भावुक कर दिया ।


वीओ - इस राइफल का डिजाइन यूनाइटेड किंगडम के जेम्स पेरिस ली ने तैयार किया था । सन 1889 से ली एनफील्ड कंपनी ने इसका निर्माण शुरू किया । इसका नाम शार्ट मैगजीन ली एनफील्ड था । इसके बैरल का डायमीटर जीरो पॉइंट 303 इंच था लिहाजा ये थ्री नॉट थ्री के रूप में मशहूर हो गई । इसकी मारक क्षमता 500 गज है और मैगजीन क्षमता 10 राउंड है । यह बोल्ट एक्शन राइफल है । इस 3 नॉट 3 राइफल को सबसे पहले ब्रिटिश की पैदल सेना द्वारा प्रमुख हथियार के रूप में अपनाया गया । प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध समेत कई मौकों पर इसने अपनी उपयोगिता सिद्ध की । भारत में इसका निर्माण 1907 में शुरू हुआ । ईशापुर की इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में इसका निर्माण शुरू हुआ था । उसके बाद इसके कई संस्करण निकाले गए । साल 2013 तक ज्यादातर सुरक्षा एजेंसियां इसी का इस्तेमाल करती रही । यूपी पुलिस 1945 से इस राइफल का इस्तेमाल करती आ रही है लेकिन बदलते वक्त और आधुनिक तकनीक के चलते इसकी उपयोगिता घटती जा रही थी लिहाजा इसकी विदाई कर दी गई ।
बाईट - डॉ अरविंद चतुर्वेदी , पुलिस कप्तान बाराबंकी


Conclusion:रिपोर्ट - अलीम शेख बाराबंकी
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