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राजा भइया की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, सीओ जियाउल हक हत्याकांड में CBI की अर्जी को हाईकोर्ट ने किया खारिज - इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच

प्रतापगढ़ के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह ऊर्फ राजा भइया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. कुंडा सीओ जियाउल हक समेत दो अन्य की हत्या के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अग्रिम विवेचना को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका खारिज कर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Sep 23, 2021, 10:45 PM IST

Updated : Sep 24, 2021, 8:48 AM IST

लखनऊ : प्रतापगढ़ में कुंडा सीओ जियाउल हक और दो अन्य की हत्या मामले में पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इलाहाबाद की हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस मामले में अग्रिम विवेचना के आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका को खारिज कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की एकल पीठ ने पारित किया.

यह याचिका वर्ष 2014 से ही विचाराधीन थी. सीबीआई की ओर से किसी के भी पेश न होने पर कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया. उल्लेखनीय है कि कुंडा ट्रिपल मर्डर केस में मारे गए सीओ जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद की एफआईआर पर फाइनल रिपोर्ट लगाते हुए, सीबीआई ने पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया व अन्य को क्लीन चिट दे दी थी. इस फाइनल रिपोर्ट को परवीन आजाद ने सीबीआई कोर्ट में प्रोटेस्ट याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी. जिस पर सीबीआई कोर्ट ने 8 जुलाई 2014 को पारित अपने आदेश में सीबीआई जांच पर गम्भीर सवाल उठाए थे. साथ ही सीओ की पत्नी द्वारा दर्ज कराई एफआईआर की अग्रिम विवेचना के आदेश दिए थे व फाइनल रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया था.


सीबीआई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सीबीआई ने मामले की समुचित विवेचना नहीं की है व साक्ष्य संकलन में मात्र खानापूर्ति की है. कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि सीओ जियाउल हक को इतनी निर्ममता से मारा पीटा गया, जबकि वहां मौजूद पुलिस वालों को मात्र साधारण चोटें व खरोचें आईं. आखिर ऐसा क्यों हुआ व वहां मौजूद किसी पुलिसकर्मी ने सीओ को बचाने की कोई कोशिश क्यों नहीं की. कोर्ट ने यहां तक कहा था कि सीबीआई ने हथिगवां थाने के तत्कालीन एसओ का बयान तक अंकित नहीं किया. इन तल्ख टिप्पणियों के साथ कोर्ट ने अग्रिम विवेचना के आदेश दिए थे.

आपको बता दें कि मार्च 2013 में प्रतापगढ़ कुंडा सर्किल में तैनात डिप्टी एसपी जियाउल हक को बालीपुर गांव के प्रधान नन्हे यादव की हत्या होने की खबर मिली थी, जिसके बाद वह गांव में पहुंचे थे. इस दौरान भीड़ ने उन पर हमला कर दिया था. जिसके बाद सीओ जियाउल हक के साथ गए सभी पुलिस कर्मी वहां से भाग निकले और भीड़ ने उसके साथ मारपीट की. इस दौरान किसी ने उन्हें गोली भी मार दी थी. जिससे उनकी मौत हो गई थी. इस मामले में जांच कर रही सीबीआई ने अप्रैल 2013 में ग्राम प्रधान के बेटे पवन यादव, बबलू यादव, फूलचंद यादव और मंजीत यादव को डीएसपी हक के मर्डर के केस में अरेस्ट किया था. आरोप है कि नन्हे सिंह नाम के शख्स ने डीएसपी हक पर गोली चलाई थी. नन्हे सिंह को राजा भैया का करीबी बताया जाता है.

इसे भी पढ़ें : मुख्तार अंसारी को सता रहा हत्या का डर, पेशी के दौरान कोर्ट से कहा- मेरे खाने में जहर मिलवा सकती है योगी सरकार

लखनऊ : प्रतापगढ़ में कुंडा सीओ जियाउल हक और दो अन्य की हत्या मामले में पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इलाहाबाद की हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस मामले में अग्रिम विवेचना के आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका को खारिज कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार की एकल पीठ ने पारित किया.

यह याचिका वर्ष 2014 से ही विचाराधीन थी. सीबीआई की ओर से किसी के भी पेश न होने पर कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया. उल्लेखनीय है कि कुंडा ट्रिपल मर्डर केस में मारे गए सीओ जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद की एफआईआर पर फाइनल रिपोर्ट लगाते हुए, सीबीआई ने पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया व अन्य को क्लीन चिट दे दी थी. इस फाइनल रिपोर्ट को परवीन आजाद ने सीबीआई कोर्ट में प्रोटेस्ट याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी. जिस पर सीबीआई कोर्ट ने 8 जुलाई 2014 को पारित अपने आदेश में सीबीआई जांच पर गम्भीर सवाल उठाए थे. साथ ही सीओ की पत्नी द्वारा दर्ज कराई एफआईआर की अग्रिम विवेचना के आदेश दिए थे व फाइनल रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया था.


सीबीआई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सीबीआई ने मामले की समुचित विवेचना नहीं की है व साक्ष्य संकलन में मात्र खानापूर्ति की है. कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि सीओ जियाउल हक को इतनी निर्ममता से मारा पीटा गया, जबकि वहां मौजूद पुलिस वालों को मात्र साधारण चोटें व खरोचें आईं. आखिर ऐसा क्यों हुआ व वहां मौजूद किसी पुलिसकर्मी ने सीओ को बचाने की कोई कोशिश क्यों नहीं की. कोर्ट ने यहां तक कहा था कि सीबीआई ने हथिगवां थाने के तत्कालीन एसओ का बयान तक अंकित नहीं किया. इन तल्ख टिप्पणियों के साथ कोर्ट ने अग्रिम विवेचना के आदेश दिए थे.

आपको बता दें कि मार्च 2013 में प्रतापगढ़ कुंडा सर्किल में तैनात डिप्टी एसपी जियाउल हक को बालीपुर गांव के प्रधान नन्हे यादव की हत्या होने की खबर मिली थी, जिसके बाद वह गांव में पहुंचे थे. इस दौरान भीड़ ने उन पर हमला कर दिया था. जिसके बाद सीओ जियाउल हक के साथ गए सभी पुलिस कर्मी वहां से भाग निकले और भीड़ ने उसके साथ मारपीट की. इस दौरान किसी ने उन्हें गोली भी मार दी थी. जिससे उनकी मौत हो गई थी. इस मामले में जांच कर रही सीबीआई ने अप्रैल 2013 में ग्राम प्रधान के बेटे पवन यादव, बबलू यादव, फूलचंद यादव और मंजीत यादव को डीएसपी हक के मर्डर के केस में अरेस्ट किया था. आरोप है कि नन्हे सिंह नाम के शख्स ने डीएसपी हक पर गोली चलाई थी. नन्हे सिंह को राजा भैया का करीबी बताया जाता है.

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Last Updated : Sep 24, 2021, 8:48 AM IST
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