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रविदास मंदिर विवाद: कांशीराम के भतीजे ने किया विरोध

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Published : Aug 22, 2019, 10:53 AM IST

रविदाम मंदिर तोड़े जाने का विरोध करने पहुंचे कांशीराम के भतीजे बलविंदर सिंह का कहना है कि अगर आज कांशीराम होते तो वह दलित समाज के लिए और ज्यादा काम करते.

रविदाम मंदिर तोड़े जाने का विरोध

नई दिल्ली: दलित समाज के आस्था के प्रतीक माने जाने वाले गुरु रविदास के मंदिर को तोड़ने के बाद दलित समाज के लोगों में काफी रोष देखा जा रहा है. इसे लेकर बुधवार को रामलीला मैदान में दलित समाज के लोग प्रदर्शन करने पहुंचे. रामलीला मैदान पहुंचे दलित नेता काशीराम के भतीजे बलविंदर सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत की.

रविदाम मंदिर तोड़े जाने का विरोध


'पुनः किया जाए मंदिर का निर्माण'
काशीराम के भतीजे बलविंदर ने कहा कि जिस तरीके से आज के समय में दलित समाज के साथ दोहरा रवैया अपनाया जा रहा है. उसे बिल्कुल भी सहन नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि गुरु रविदास मंदिर जाने का हम लोग पुरजोर विरोध करते हैं और इसके दोबारा बनाने की मांग करते हैं. उनका कहना है कि आज यह दुर्भाग्य की बात है कि दलित समाज के लोगों के साथ अन्याय के समान है.


'कांशीराम के भतीजे होने के नाते कुछ सोचते हैं'
कांशीराम के भतीजे होने के नाते बलविंदर सिंह का कहना है कि अगर आज कांशीराम होते तो वह दलित समाज के लिए और ज्यादा काम करते. यह दुर्भाग्य की बात है कि उनके जाने के बाद बहुजन समाज पीछे होता गया. आज केंद्र सरकार भी दलित समाज के साथ नहीं खड़ी है.

आए दिन हमारे समाज के लोगों के साथ दोहरा रवैया अपनाया जाता है. इसलिए हमारी मांग है कि गुरु रविदास जी के मंदिर का पुनः निर्माण किया जाए. अन्यथा यह गुस्सा और भी भड़क सकता है. फिलहाल की मांग को लेकर समाज के लोगों का कहना है कि इस मंदिर को तोड़ने के बाद अब केंद्र सरकार को उचित कदम उठाना चाहिए. जिससे धार्मिक भावनाएं उग्र न हों.

नई दिल्ली: दलित समाज के आस्था के प्रतीक माने जाने वाले गुरु रविदास के मंदिर को तोड़ने के बाद दलित समाज के लोगों में काफी रोष देखा जा रहा है. इसे लेकर बुधवार को रामलीला मैदान में दलित समाज के लोग प्रदर्शन करने पहुंचे. रामलीला मैदान पहुंचे दलित नेता काशीराम के भतीजे बलविंदर सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत की.

रविदाम मंदिर तोड़े जाने का विरोध


'पुनः किया जाए मंदिर का निर्माण'
काशीराम के भतीजे बलविंदर ने कहा कि जिस तरीके से आज के समय में दलित समाज के साथ दोहरा रवैया अपनाया जा रहा है. उसे बिल्कुल भी सहन नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि गुरु रविदास मंदिर जाने का हम लोग पुरजोर विरोध करते हैं और इसके दोबारा बनाने की मांग करते हैं. उनका कहना है कि आज यह दुर्भाग्य की बात है कि दलित समाज के लोगों के साथ अन्याय के समान है.


'कांशीराम के भतीजे होने के नाते कुछ सोचते हैं'
कांशीराम के भतीजे होने के नाते बलविंदर सिंह का कहना है कि अगर आज कांशीराम होते तो वह दलित समाज के लिए और ज्यादा काम करते. यह दुर्भाग्य की बात है कि उनके जाने के बाद बहुजन समाज पीछे होता गया. आज केंद्र सरकार भी दलित समाज के साथ नहीं खड़ी है.

आए दिन हमारे समाज के लोगों के साथ दोहरा रवैया अपनाया जाता है. इसलिए हमारी मांग है कि गुरु रविदास जी के मंदिर का पुनः निर्माण किया जाए. अन्यथा यह गुस्सा और भी भड़क सकता है. फिलहाल की मांग को लेकर समाज के लोगों का कहना है कि इस मंदिर को तोड़ने के बाद अब केंद्र सरकार को उचित कदम उठाना चाहिए. जिससे धार्मिक भावनाएं उग्र न हों.

Intro:रविदास मंदिर तोड़े जाने के विरोध में पहुचे कांशीराम के भतीजे, कहा दलित समाज के साथ हो रहा दुर्व्यवहार

नई दिल्ली: दलित समाज के आस्था के प्रतीक माने जाने वाले गुरु रविदास के मंदिर को तोड़ने के बाद दलित समाज के लोगों में काफी रोष देखा जा रहा है. और इसको लेकर बुधवार को रामलीला मैदान में दलित समाज के लोग प्रदर्शन करने पहुंचे. इस प्रदर्शन में कुछ ऐसे लोग भी थे जो अहम भूमिका अदा करते है. रामलीला मैदान में दलित नेता काशीराम के भतीजे बलविंदर सिंह से ईटीवी भारत ने बातचीत की.


Body:पुनः किया जाए मंदिर का निर्माण
काशीराम के भतीजे बलविंदर ने कहा कि जिस तरीके से आज के समय में दलित समाज के साथ दोहरा रवैया अपनाया जा रहा है. उसे बिल्कुल भी सहन नहीं किया जाएगा .उन्होंने कहा कि गुरु रविदास मंदिर जाने का हम लोग पुरजोर विरोध करते हैं और इसके दोबारा बनाने की मांग करते हैं. उनका कहना है कि आज यह दुर्भाग्य की बात है कि दलित समाज के लोगों के साथअन्याय के समान है.


काशीराम के भतीजे होने के नाते कुछ सोचते हैं
काशीराम के भतीजे होने के नाते बलविंदर सिंह का कहना है कि अगर आज कांशीराम होते तो वह दलित समाज के लिए और ज्यादा काम करते हैं यह दुर्भाग्य की बात है कि उनके जाने के बाद बहुजन समाज पीछे होता गया.आज केंद्र सरकार भी दलित समाज के साथ नहीं खड़ी है.आए दिन हमारे समाज के लोगों के साथ दोहरा रवैया अपनाया जाता है.इसलिए हमारी मांग है कि गुरु रविदास जी के मंदिर का पुनः निर्माण किया जाए.अन्यथा यह गुस्सा और भी भड़क सकता है.



Conclusion:फिलहाल की मांग को लेकर समाज के लोगों का कहना है कि इस मंदिर को तोड़ने के बाद अब केंद्र सरकार को उचित कदम उठाना चाहिए.जिससे धार्मिक भावनाएं उग्र न हों.
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