लखनऊ : उत्तर प्रदेश में धान एवं मोटे अनाज की सरकारी खरीद की रफ्तार सुस्त है. सरकारी खरीद केंद्रों पर खरीदारी की व्यवस्था बदहाल है. इससे प्रदेशभर के किसान परेशान हो रहे हैं और बिचौलियों के माध्यम से किसानों औने पौने दामों में अपनी फसल बेचनी पड़ रही है. यह बात शासन स्तर पर हुई समीक्षा बैठक के दौरान सामने आई है. इसको लेकर अधिकारियों ने नाराजगी जताई गई है और निर्धारित लक्ष्य से कम धान खरीद होने की दशा में कार्रवाई की चेतावनी दी गई है.
सरकारी खरीद केंद्रों पर मनमानी : बता दें, प्रदेशभर में बनाए गए धान खरीद केन्द्रों पर कर्मचारियों के स्तर पर धान खरीद व मोटे अनाज की खरीद में लापरवाही बरती जा रही है. इसको लेकर शासन स्तर पर हुई मॉनिटरिंग में नाराजगी भी जताई गई है. धान खरीद केंद्रों पर कर्मचारियों की तरफ से धान बेचने आने वाले किसानों से उनकी फसल को कम गुणवत्ता का बात कह कर रिजेक्ट करने जैसे तमाम शिकायतें लगातार शासन के संज्ञान में आ रही हैं.
लक्ष्य से बहुत दूर है खरीदारी : 70 लाख मीट्रिक टन लक्ष्य की तुलना में अब तक प्रदेश में मात्र 11 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई है जो महज 16 फीसद है. इसका फायदा भी किसानों को नहीं मिल पा रहा है. धान खरीद केन्द्रों पर फसल को कम गुणवत्ता का बताकर कम समर्थन मूल्य देने की शिकायतें सामने आ रही हैं. वहीं दूसरी तरफ केंद्रों की दूरी अधिक होने पर भी किसान वहां तक नहीं जा रहे हैं. ऐसे ही कई कारणों की वजह से धान और मोटे अनाज की खरीद काफी सुस्त है. शासन के संज्ञान में आने के बाद खाद्य आयुक्त ने नाराजगी भी जताई गई है और सभी जिलाधिकारी और खाद्य अधिकारियों के कड़ी चेतावनी जारी की है. अपर खाद्य आयुक्त अनिल कुमार ने कहा कि प्रदेश में निर्धारित लक्ष्य की तुलना में अभी तक काफी कम खरीद हुई है. शासन की समीक्षा बैठक में नाराजगी जताई गई है. धान खरीद लक्ष्य के अनुसार पूरा करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं. खरीद के एवज में किसानों को भुगतान भी शत प्रतिशत करने के निर्देश दिए गए हैं. लक्ष्य से कम खरीद करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी.
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