लखनऊ: देश में कोरोना की तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में केंद्र सरकार ने राज्यों को तीसरी लहर को लेकर अलर्ट किया है. इससे निपटने के लिए अस्पतालों की व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही कोविड इमरजेंसी रिस्पांस-2 के तहत खजाना भी खोल दिया है. ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार ने भी वायरस से निपटने के लिए कई मोर्चों पर काम करना शुरू कर दिया है. इसी के तहत बेड का संकट दूर करने के लिए प्री-फैब्रिकेटेड वार्ड बनाने का फैसला किया है.
यूपी में कोरोना के मरीजों को स्थानीय स्तर पर ही आईसोलेट की सुविधा होगी. इसके लिए सीएचसी-पीएचसी पर बेड बढ़ाने का फैसला किया गया है. वहीं, समयगत वार्ड तैयार करने के लिए पारंपरिक सीमेंट-मौरंग, ईंट के निर्माण से हटकर काम करने की प्लानिंग की गई है. इसके विकल्प के तौर पर 'प्री-फैब' वार्ड के निर्माण का प्रस्ताव बनाया है. चिकित्सा स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. वेद व्रत सिंह के मुताबिक प्री-फैब वार्ड में सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाएगा. यह स्टील के स्ट्रक्चर पर बनेगा. इससे मजबूती भी बेजोड़ होगी. यह वार्ड बनने से कोरोना मरीजों को स्थानीय स्तर पर ही इलाज मिल सकेगा.
19 हजार बेडों में होगा इजाफा
यूपी में 175 के करीब जिला व संयुक्त अस्पताल हैं. इसके अलावा 3604 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) हैं. प्रत्येक पीएचसी पर अभी चार बेड हैं. इसी तरह प्रदेश में 856 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) हैं. प्रत्येक सीएचसी में 30 बेड हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में अभी कोविड के लिए 56 हजार बेड की क्षमता है. इसे बढ़ाकर 70 हजार से पार करना है. ऐसे में जिन सीएचसी-पीएचसी पर विस्तार की जगह है, उनमें प्री-फैब वार्ड बनाए जाएंगे. इसमें करीब 19 हजार बेड बढ़ेंगे. इसके अलावा अस्पतालों में भी बेड बढ़ाने का प्रस्ताव बन रहा है.
कहां कितने बेड
- सीएचसी पर 20 बेड बढ़ेंगे.
- पीएचसी पर 6 बेड बढ़ेंगे.
- अभी पीएचसी पर कुल 14,416 बेड.
- अभी सीएचसी पर कुल 25,680 बेड हैं.