लखनऊ: यूपीपीसीएल में हुए हजारों करोड़ के भविष्य निधि घोटाले के विरोध में जूनियर इंजीनियरों का कार्य बहिष्कार जारी है. पीएफ घोटाले को लेकर जूनियर अभियंताओं में नाराजगी है. बिजली का काम छोड़कर बुधवार को अभियंता सड़क पर पीएफ की अपनी गाढ़ी कमाई की वापसी की मांग को लेकर सड़क पर प्रदर्शन करने उतर पड़े. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने भी इंजीनियरों के कार्य बहिष्कार को अपना समर्थन दे रखा है. अब आरबीआई ने डीएचएफएल को दिवालिया घोषित कर दिया है. इंजीनियरों की मांग है कि अब हमारा पैसा सरकार दे. यह सरकार की जिम्मेदारी है.
क्या है मांगे
- मुख्यमंत्री के दो नवम्बर की घोषणा के अनुपालन में पीएफ घोटाले की सीबीआई जांच तत्काल प्रारम्भ हो.
- घोटाले के मुख्य आरोपी पावर कॉरपोरेशन के पूर्व चेयरमैन को तत्काल बर्खास्त कर गिरफ्तार किया जाए.
- आरबीआई द्वारा डीएचएफएल को दिवालिया घोषित करने पर सरकार तत्काल जिम्मेदारी ले कि कर्मचारियों का पैसा सरकार देगी.
- गजट नोटिफिकेशन जारी करने में बिल्कुल भी देरी नहीं होनी चाहिए.
प्रभावित हो रहा है कार्य
- अभियंताओं के कार्यबहिष्कार होने से सबसे ज्यादा बिजली विभाग का राजस्व प्रभावित हुआ है.
- इसके अलावा विभाग का चेकिंग अभियान ठप है. बिलिंग का काम प्रभावित हो गया.
- करीब सात हजार से ज्यादा जूनियर इंजीनियर कार्यबहिष्कार पर हैं.
- कर्मचारियों ने सरकार से प्रोविडेंट फंड के भुगतान की जिम्मेदारी लेकर गजट नोटिफिकेशन जारी करने की मांग की है.
यह प्रदर्शन हमारा अभी सांकेतिक कार्य बहिष्कार है. अभी जनता को सीधे संकट में नहीं डाला. हमें उत्तर प्रदेश सरकार से अपेक्षा है तभी हम मांग कर रहे हैं, लेकिन इसी बीच दो बयान ऊर्जा मंत्री के आए. पहली बार कह रहे हैं कि विद्युत परिवार हमारा परिवार है. उसके संकट के समय में एक साथ खड़े हैं. उनके पैसे की गारंटी हम लेंगे, लेकिन 3 दिन बाद जो बयान आया कि ये ट्रस्ट का मामला और कॉरपोरेशन इसकी देखरेख करती है. मंत्रालय को इससे कोई मतलब नहीं तो यह अविश्वास का वातावरण है. जनता के प्रति उत्तरदायित्व है लेकिन आंदोलन उग्र रूप लेगा.
जयप्रकाश, केंद्रीय महासचिव, जूनियर इंजीनियर संगठन