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ऊर्जा मंत्रालय की रेटिंग में फिसड्डी साबित हुईं यूपी की बिजली कंपनियां, मध्यांचल महा फिसड्डी

ऊर्जा मंत्रालय ने देश की 51 सरकारी बिजली कम्पनियों की 11वीं वार्षिक रेटिंग जारी की है. आईए देखें यूपी की बिजली कंपनियों क्या रेटिंग मिली है.

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Published : Apr 16, 2023, 10:43 PM IST

लखनऊ: ऊर्जा मंत्रालय ने देश की 51 सरकारी बिजली कम्पनियों की 11वीं वार्षिक रेटिंग जारी की है. इस रेटिंग में प्रदेश की बिजली कंपनियां फिसड्डी साबित हुई हैं. प्रदेश की सिर्फ एक बिजली कंपनी पश्चिमांचल ही सी -ग्रेड तक पहुंचने में सफल हो पाई है. केस्को, दक्षिणांचल, पूर्वांचल और मध्यांचल का सी माइनस ग्रेड आया है. सबसे खास बात ये है कि उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र की कंपनी नोएडा पावर कंपनी को ए प्लस ग्रेड दिया गया है.

पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन हर साल बिजली कंपनियों की रेटिंग जारी करता है, जिसमें वित्तीय पैरामीटर के लिए अधिकतम 75 अंक रखे जाते हैं. परफारमेंस के लिए 13 अंक और एक्सटर्नल एनवायरमेंट के लिए 12 मार्क निर्धारित हैं. कुल 100 नंबर की रेटिंग होती है. इस रेटिंग में देश की जिस बिजली कम्पनी को 85 से 100 नम्बर मिलते हैं वह ‘‘ए प्लस‘‘ होगी, जिसे 65 से 85 नम्बर मिलेंगे वह ‘‘ए‘‘ ग्रेड में होगी, जिस कम्पनी को 50 से 65 नम्बर मिलेंगे वह ‘‘बी श्रेणी में होगी, जिस कम्पनी को 35 से 50 नम्बर मिलेंगे वह ‘‘बी‘‘ माइनस श्रेणी में होगी. 15 से 35 नम्बर पाने वाली कम्पनियां ‘‘सी में होंगी और सबसे फिसड्डी 0 से 15 नम्बर पाने वाली कम्पनी ‘‘सी‘‘ माइनस ग्रेड में होगी.

उत्तर प्रदेश के पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम को 15 से 35 के बीच अंक प्राप्त हुए हैं तो शेष चार कंपनियां 100 में 15 अंक से भी नीचे ही ला पाई हैं.
51 बिजली कंपनियों की रेटिंग में मध्यांचल नीचे से 48वें नंबर पर है. यानी उत्तर प्रदेश की सबसे फिसड्डी यही डिस्कॉम है जिसे सी माइनस ग्रेड मिला है.

बिजली कम्पनियां ग्रेड नम्बर
पश्चिमांचल सी 15 से 35 (केस्को) सी माइनस 0 से 15
मध्यांचल सी माइनस 0से 15
पूर्वांचल सी माइनस 0से 15
दक्षिणांचल सी माइनस 0से 15

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि प्रदेश की बिजली कंपनियों की रेटिंग लगातार गिरती जा रही है जो साबित करता है कि कंपनियों के पैरामीटर पूरी तरीके से खराब साबित हो रहे हैं. इसकी अक्षमता का खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार को पूरे मामले पर हस्तक्षेप करते हुए सख्त कदम उठाना चाहिए, अन्यथा प्रदेश की बिजली कंपनियां और बर्बाद हो जाएंगी. इसी के आधार पर वित्तीय पैरामीटर पर लोन दिया जाता है. जब रेटिंग खराब होगी तो उत्तर प्रदेश को महंगा लोन मिलेगा और इसका असर बिजली दरों पर पडेगा.

ये भी पढ़ेंः विश्व हिंदू परिषद ने किया ट्वीट, लिखा-माफिया भाइयों की हत्या में बजरंग दल का नाम लेकर उड़ाई जा रही अफवाह

लखनऊ: ऊर्जा मंत्रालय ने देश की 51 सरकारी बिजली कम्पनियों की 11वीं वार्षिक रेटिंग जारी की है. इस रेटिंग में प्रदेश की बिजली कंपनियां फिसड्डी साबित हुई हैं. प्रदेश की सिर्फ एक बिजली कंपनी पश्चिमांचल ही सी -ग्रेड तक पहुंचने में सफल हो पाई है. केस्को, दक्षिणांचल, पूर्वांचल और मध्यांचल का सी माइनस ग्रेड आया है. सबसे खास बात ये है कि उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र की कंपनी नोएडा पावर कंपनी को ए प्लस ग्रेड दिया गया है.

पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन हर साल बिजली कंपनियों की रेटिंग जारी करता है, जिसमें वित्तीय पैरामीटर के लिए अधिकतम 75 अंक रखे जाते हैं. परफारमेंस के लिए 13 अंक और एक्सटर्नल एनवायरमेंट के लिए 12 मार्क निर्धारित हैं. कुल 100 नंबर की रेटिंग होती है. इस रेटिंग में देश की जिस बिजली कम्पनी को 85 से 100 नम्बर मिलते हैं वह ‘‘ए प्लस‘‘ होगी, जिसे 65 से 85 नम्बर मिलेंगे वह ‘‘ए‘‘ ग्रेड में होगी, जिस कम्पनी को 50 से 65 नम्बर मिलेंगे वह ‘‘बी श्रेणी में होगी, जिस कम्पनी को 35 से 50 नम्बर मिलेंगे वह ‘‘बी‘‘ माइनस श्रेणी में होगी. 15 से 35 नम्बर पाने वाली कम्पनियां ‘‘सी में होंगी और सबसे फिसड्डी 0 से 15 नम्बर पाने वाली कम्पनी ‘‘सी‘‘ माइनस ग्रेड में होगी.

उत्तर प्रदेश के पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम को 15 से 35 के बीच अंक प्राप्त हुए हैं तो शेष चार कंपनियां 100 में 15 अंक से भी नीचे ही ला पाई हैं.
51 बिजली कंपनियों की रेटिंग में मध्यांचल नीचे से 48वें नंबर पर है. यानी उत्तर प्रदेश की सबसे फिसड्डी यही डिस्कॉम है जिसे सी माइनस ग्रेड मिला है.

बिजली कम्पनियां ग्रेड नम्बर
पश्चिमांचल सी 15 से 35 (केस्को) सी माइनस 0 से 15
मध्यांचल सी माइनस 0से 15
पूर्वांचल सी माइनस 0से 15
दक्षिणांचल सी माइनस 0से 15

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि प्रदेश की बिजली कंपनियों की रेटिंग लगातार गिरती जा रही है जो साबित करता है कि कंपनियों के पैरामीटर पूरी तरीके से खराब साबित हो रहे हैं. इसकी अक्षमता का खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार को पूरे मामले पर हस्तक्षेप करते हुए सख्त कदम उठाना चाहिए, अन्यथा प्रदेश की बिजली कंपनियां और बर्बाद हो जाएंगी. इसी के आधार पर वित्तीय पैरामीटर पर लोन दिया जाता है. जब रेटिंग खराब होगी तो उत्तर प्रदेश को महंगा लोन मिलेगा और इसका असर बिजली दरों पर पडेगा.

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