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राजधानी में आज भी आशियाने के लिए तरस रहे गरीब - lucknow hindi news

यूपी की राजधानी लखनऊ में आज भी बहुत से ऐसे गरीब परिवार हैं, जो इस योजना के लाभ से वंचित हैं. मोहनलालगंज विकासखंड स्थित गरीब खेड़ा गांव के लोगों का कहना है कि कई बार अधिकारी और ग्राम प्रधान ने आवास दिलाने के नाम पर पेपर लिए, लेकिन आवास नहीं मिल पाया.

पीएम आवास योजना के पात्र
पीएम आवास योजना के पात्र
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Published : Feb 26, 2021, 7:46 PM IST

लखनऊ : सरकार द्वारा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आवास योजना चलाई जा रही हैं. इसके तहत उन परिवारों को आवास दिया जाता है, जिनके सिर पर आशियाने की छत नहीं है. राजधानी में आज भी बहुत से ऐसे गरीब परिवार हैं, जो इस योजना के लाभ से वंचित हैं.

आशियाने के लिए तरस रहे ग्रामीण
कच्चे मकानों में रहने को मजबूर ग्रामीण

ETV भारत की टीम ने लखनऊ के मोहनलालगंज विकासखंड स्थित गरीब खेड़ा गांव के लोगों से आवास को लेकर बातचीत की. जिसमें ग्रामीणों ने बताया कि आज भी बहुत से ऐसे परिवार हैं, जो मकान का लाभ न मिल पाने से घास-फूस के बने कच्चे मकानों में ही रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि कई बार अधिकारी और ग्राम प्रधान द्वारा उनसे आवास दिलाने के नाम पर पेपर लिए गए, लेकिन उनको आवास नहीं मिल पाया. इतना ही नहीं उन्होंने ग्राम प्रधान पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया है कि ग्राम प्रधान ने आवास दिलवाने के एवज में उनसे 20 हजार रुपये की मांग की थी.

2 साल से पड़ोसी के घर में लिया आश्रय

गरीब खेड़ा गांव में कुछ ऐसे परिवार भी मिले, जिनके कच्चे मकान बरसात में टूट गए थे. वह पिछले दो साल से परिवार सहित पड़ोसी के घर में आश्रय लेकर रहने को मजबूर हैं. इस संबंध में जब मोहनलालगंज के खंड विकास अधिकारी से बातचीत की गई, तो उन्होंने जांच की बात कहकर कुछ भी बोलने से मना कर दिया. ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि सरकार की इस लाभकारी योजना का इन गरीब परिवारों तक कैसे लाभ पहुंचता है.

लखनऊ : सरकार द्वारा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आवास योजना चलाई जा रही हैं. इसके तहत उन परिवारों को आवास दिया जाता है, जिनके सिर पर आशियाने की छत नहीं है. राजधानी में आज भी बहुत से ऐसे गरीब परिवार हैं, जो इस योजना के लाभ से वंचित हैं.

आशियाने के लिए तरस रहे ग्रामीण
कच्चे मकानों में रहने को मजबूर ग्रामीण

ETV भारत की टीम ने लखनऊ के मोहनलालगंज विकासखंड स्थित गरीब खेड़ा गांव के लोगों से आवास को लेकर बातचीत की. जिसमें ग्रामीणों ने बताया कि आज भी बहुत से ऐसे परिवार हैं, जो मकान का लाभ न मिल पाने से घास-फूस के बने कच्चे मकानों में ही रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि कई बार अधिकारी और ग्राम प्रधान द्वारा उनसे आवास दिलाने के नाम पर पेपर लिए गए, लेकिन उनको आवास नहीं मिल पाया. इतना ही नहीं उन्होंने ग्राम प्रधान पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया है कि ग्राम प्रधान ने आवास दिलवाने के एवज में उनसे 20 हजार रुपये की मांग की थी.

2 साल से पड़ोसी के घर में लिया आश्रय

गरीब खेड़ा गांव में कुछ ऐसे परिवार भी मिले, जिनके कच्चे मकान बरसात में टूट गए थे. वह पिछले दो साल से परिवार सहित पड़ोसी के घर में आश्रय लेकर रहने को मजबूर हैं. इस संबंध में जब मोहनलालगंज के खंड विकास अधिकारी से बातचीत की गई, तो उन्होंने जांच की बात कहकर कुछ भी बोलने से मना कर दिया. ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि सरकार की इस लाभकारी योजना का इन गरीब परिवारों तक कैसे लाभ पहुंचता है.

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