लखनऊ : बीते दिनों लगातार प्रदूषण स्तर तेजी से बढ़ रहा था, हालांकि बीते शुक्रवार को गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा और नोएडा में बारिश होने के बाद प्रदूषण का स्तर कम हुआ, वहीं शनिवार को राजधानी लखनऊ में भी बारिश हुई, जिसके चलते मौसम बिल्कुल साफ हो गया है. इस समय ज्यादातर जिलों का एक्यूआई लगभग 250 अंक के नीचे पहुंच गया है. सभी जिलों का प्रदूषण स्तर कम हो गया. मौसम में ठंडक बनी हुई है, लेकिन, फॉग व प्रदूषण स्तर काफी कम हो गया है.
लखनऊ का एक्यूआई 134 : सेंट्रल कंट्रोल पॉल्यूशन बोर्ड की शाम 6 बजे की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदूषण स्तर में टॉप 10 जिलों में सबसे पहले मुजफ्फरनगर का एक्यूआई 247 और दूसरे नंबर पर प्रयागराज का एक्यूआई 215 है, वहीं गोरखपुर का एक्यूआई 194, मेरठ का एक्यूआई 180, वाराणसी का एक्यूआई 162, गाजियाबाद का एक्यूआई 158, नोएडा का एक्यूआई 145, प्रतापगढ़ का एक्यूआई 142, लखनऊ का एक्यूआई 134, ग्रेटर नोएडा का एक्यूआई 124, कानपुर का एक्यूआई 101 और वृंदावन का एक्यूआई 68 है.
एक्यूआई गुणवत्ता |
0-50 अच्छी |
51-100 संतोषजनक |
101-200 मध्यम |
201-300 खराब |
301-400 बेहद खराब |
401-500 खतरनाक |
प्रदूषण स्तर हुआ कम : राजधानी लखनऊ के इंडस्ट्रियल क्षेत्र के प्रदूषण स्तर के मामले में हमेशा हाल खराब रहता है. यहां पर हमेशा प्रदूषण स्तर बढ़ा रहता है, लेकिन, शनिवार को बारिश होने के बाद प्रदूषण स्तर कम हो गया है. तालकटोरा इंडस्ट्रियल एरिया का एक्यूआई 173, केन्द्रीय विद्यालय लखनऊ का एक्यूआई 151, लालबाग का एक्यूआई 204, गोमतीनगर का एक्यूआई 85, अंबेडकरनगर विवि का एक्यूआई 101 और कुकरैल पिकनिक स्पॉट का एक्यूआई 91 है.
दीपों के साथ मनाएं दीपावली : उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. उमेश चन्द्र शुक्ला ने कहा कि 'बीते दिन की तुलना में शनिवार को बारिश होने के बाद सभी जिलों का प्रदूषण स्तर काफी कम हो गया है, हालांकि, यह बारिश होने के बाद हुआ है. ऐसे में मौसम खुलते ही दीपावली के बाद प्रदूषण स्तर फिर से बढ़ेगा. प्रदूषण स्तर को कंट्रोल करने के लिए नगर निगम की मदद से एंटी फॉगिंग कराई जा रही है. इस समय मौसम साफ हुआ है. प्रदूषण स्तर कम हो गया है. अब आम पब्लिक को यह समझना होगा कि दीपावली पर पटाखे जलाने पर तेजी से प्रदूषण स्तर में बढ़ोतरी होगी, इसलिए दीयों के साथ दीपावली मनाएं ताकि हमारे साथ धरती पर रह रहे जीव, जन्तु व पक्षियों को नुकसान न पहुंचे और न ही पर्यावरण व वातावरण को कोई नुकसान हो.'