लखनऊः 'पेंच-पेंच लड़ाई कनकव्वा, तब समझो असली लखनऊवा' मशहूर इतिहासकार स्वर्गीय योगेश प्रवीण ने ये पंक्तियां दीपावली के बाद मनाए जाने वाले जमघट (अन्नकूट) त्यौहार पर सटीक बैठती हैं. अदब की सरजमीं लखनऊ में पतंगबाजी नवाबों के दौर से चली आ रही है. इसलिए यहां दीपावली के दूसरे दिन जमघट (अन्नकूट) का त्यौहार पर खूब पतंगबाजी हुई.
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के नजदीक होने पर पतंगें भी सियासी रंग में नजर आईं. अखिलेश यादव समेत अन्य नेताओं की तस्वीर लगी हुई पतंगे में आसमान उड़ती दिखाई दीं. पतंगबाजी के साथ राजनीति में अच्छी पकड़ रखने वाले कामरान समाजवादी पार्टी के रंग में रंगी पतंग से से खूब पेंच काट रहे हैं.
यूपी में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होना है और सभी पार्टियां इलेक्शन मोड में नजर आने लगी है. सियासी पार्टियों की सक्रियता और चुनाव की नजदीकी के चलते तीज त्योहारों पर भी सियासी खुमार परवान चढ़ने लगा है. बाजारों में जहां एक तरफ योगी मोदी और अखिलेश कि पतंगे खूब पसंद की जा रही है. वहीं जमघट के पर्व पर इस बार लोग सियासी पतंगों से एक दूसरे के पेंच काटने में लगे हैं.
काईट क्लब के मेंबर और मशहूर पतंगबाज कामरान बेग लंबे समय से पतंगबाजी कर रहे हैं. कामरान बेग ने लखनऊ को पतंगबाजी में कई अवॉर्ड जिताए. कामरान सियासत में भी खूब पेंच काटते हैं. यही वजह है कि लगातार पांच बार से वह पार्षद चुनाव जीतते आ रहे हैं. समाजवादी पार्टी के चुनाव निशान कि पतंग पार करते हुए कामरान बेग ने कहा कि 2022 में यूपी में अखिलेश की पतंग पार होने वाली है.
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लखनऊ के फूलबाग के रहने वाले मशहूर पतंगबाज कामरान बेग कहते हैं कि पतंगबाजी कभी फिरका परस्ती की शिकार नहीं हुई. यही वजह है कि जमघट के त्यौहार पर हिन्दू भाइयों के साथ मुसलमान भी खूब पतंग उड़ाते हैं. कामरान कहते है कि इस दिन हर दुकानदार अपनी दुकान और कारोबार बंदकर छत पर चढ़ जाता है. चुनाव नजदीक आने के चलते कोई अखिलेश तो कोई योगी कि पतंग उड़ा रहा है. हालांकि अखिलेश कि पतंग से आसमान में खूब पेंच काटे जा रहे हैं लेकिन अब देखना होगा कि सियासी मैदान में कौन किसके पेंच काटता है.