लखनऊ: पीजीआई पुलिस ने नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले सचिवालय के सेक्शन ऑफिसर अजय यादव को शुक्रवार देर शाम गिरफ्तार किया है. बता दें कि दुर्गेश यादव मर्डर मामले में जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि जिस घर में दुर्गेश यादव रुका हुआ था, वह घर सचिवालय में कार्यरत समीक्षा अधिकारी अजय यादव का है और यहीं से फर्जीवाड़े का खेल चल रहा था.
- दुर्गेश यादव मर्डर मामले में पुलिस ने अजय यादव को गिरफ्तार किया है.
- अजय यादव वहीं शख्स है, जिसके घर से नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़े का खेल चल रहा था.
- पुलिस मामले में पहले ही मुख्य आरोपी मनीष यादव और पलक ठाकुर समेत चार अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है.
राजधानी लखनऊ के पीजीआई कोतवाली के अंतर्गत आने वाले बरौली सेक्टर-14 में बुधवार की सुबह दुर्गेश यादव नामक हिस्ट्रीशीटर को गोली मार दी गई थी, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई. वहीं पुलिस जांच में पता चला कि जिस घर में दुर्गेश यादव रुका हुआ था, वह घर सचिवालय में कार्यरत सेक्शन ऑफिसर अजय यादव का है. वहीं इस घर से कुछ फर्जी दस्तावेज भी बरामद हुए थे, जिससे शुरुआती छानबीन में पता चला कि इस घर से नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा का खेल चल रहा था. इस पूरे मामले में पुलिस ने मकान मालिक अजय यादव को गिरफ्तार किया है.
दुर्गेश यादव मर्डर मामले में पुलिस पहले ही मुख्य आरोपी मनीष यादव और पलक ठाकुर समेत चार अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है. वहीं जब अजय यादव से पूछताछ की गई तो उसकी गिरोह की मदद करने और साजिश रचने में अहम भूमिका सामने आई है. अजय यादव मूल रूप से मऊ के कोपागंज का रहने वाला है, जोकि महानगर के सचिवालय कॉलोनी में रहता है.
बता दें कि सचिवालय में नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़ा का खेल चल रहा था और इसका भांडा तब फूटा जब मनीष यादव और पलक ठाकुर समेत चार लोग मृतक दुर्गेश यादव से अपने पैसे वापस लेने बरौली के सेक्टर-14 पहुंचे. यहां हाथापाई के दौरान दुर्गेश यादव की गोली लगने से मौत हो गई. वहीं पुलिस को घर से कुछ अहम दस्तावेज मिले. पुलिस ने जब पूरे मामले की तफ्तीश की तो पता चला कि घर से नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जीवाड़े का खेल चल रहा था.
बताया जा रहा है कि अजय यादव ने बिना रेंट एग्रीमेंट के मकान को मानवेंद्र यादव और उसके साथियों को दे रखा था और यह पूरा रैकेट मिलकर चलाया जा रहा था. दुर्गेश यादव और गैंग ने सचिवालय में नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी भी की है. आरोपी अजय यादव की अगर बात की जाए तो उसका कहना है कि वह हिस्ट्रीशीटर दुर्गेश यादव को नहीं जानता और उसने अपना घर मानवेंद्र नामक व्यक्ति और उसके अन्य साथियों को किराए पर दिया था, जिसके बाद मानवेंद्र का भाई भी वहां रहने लगा था.
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फिलहाल, इस रैकेट में और कितने लोग शामिल हैं व कौन-कौन इनकी ठगी का शिकार हुए हैं, पुलिस सभी पहलुओं पर जांच कर रही है. यह तो आने वाला वक्त बताएगा कि पुलिस की जांच की आंच में और कितने नाम उजागर होते हैं।