लखनऊ : लोकसभा चुनावों का आगाज हो चुका है. हर एक व्यक्ति की निगाहें और रुझान चुनावों की तरफ है. ऐसे में ईटीवी ने चुनावों को लेकर कुछ कवियों से बातचीत करके उनकी राय जानने की कोशिश की. इन कवियों ने धर्म-जाति से उपर उठकर मतदान करने और राजनीतिक पार्टियों के बिगड़े बोल लेकर अपनी कविताओं के माध्यम से अपनी बात रखी.
क्या कहा इन कवियों ने?
- इसके साथ ही सभी ने लोगों से सही उम्मीदवार को मत देने की अपील भी की है.
- वरिष्ठ कवि ओम नीरज जी का कहना है कि प्रेम और अहिंसा में ही राष्ट्र का हित है.
- इन्होंने मतदाताओं को राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर ही मतदान करने की अपील की है.
- राजनीतिक पार्टियां जाति धर्म को ऊपर रखकर मतदाताओं को भ्रमित करती हैं जिससे देश का नुकसान होता है.
- वरिष्ट कवि नीरज ने अपनी इन चन्द लाईनो के माध्यम से मतदाता और नेताओं पर तंज कसे
- राष्ट्रवादी कहते हैं सब,
- किन्तु हो चुनाव जब, जाति धर्म देख-देख बटन दबाएंगे,
- जाति धर्म से बचे तो आज के सिद्धांतवादी
- कल चन्द चांदी के सिक्कों में बिक जाएंगे
- बोएंगे बबूल और चाहेंगे रसीले आम
- ऐसे मतदाता नाव देश की डूबाएंगे
कवयित्री प्रतिभा गुप्ता का कहना है कि धर्म से ऊपर उठकर मतदान करना हमारे देश के लिए जरूरी है.
इन कवियों ने मतदाताओं को जागरूक करने के लिए प्रतिभा ने कुछ छंद पढ़कर भी सुनाए.इसके अलावा युवा कवि अभिषेक कटियार ने चुनावों और मतदान को लेकर लिखी अपनी कविता पढ़कर सुनाई. उन्होंने कहा कि विकास ही चुनाव का अहम मुद्दा होना चाहिए. तभी देश का भला हो सकता है.