लखनऊ: केजीएमयू में बीते दिनों दवाइयों की खरीद में गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगे हैं. इसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय में भी की गई थी. जिसे गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए गए हैं.
जाने पूरा ममला-
आरोप है कि, ब्रांड बदलकर महंगी कीमत पर दवाएं खरीदी गई. उपलब्धता के बावजूद मेडिकल स्टोर से लोकल परचेज कर करोड़ों की दवा खरीदी गई. सबसे ज्यादा दिल, हड्डी रोग विभाग में इंप्लांट्स, कैंसर ,स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के लिए दवाएं खरीदी गई है. आयुष्मान, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री राहत कोष के बजट से महंगी दवाएं खरीदने के आरोप लगे हैं. शिकायत के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने मामले का संज्ञान लिया और जांच के आदेश दिए हैं.
केजीएमयू में रोजाना ओपीडी में सात से आठ हजार मरीज आते हैं. मरीजों को बेहतर इलाज मुहैया कराने के लिए हर साल सरकार ₹850 करोड़ का भारी भरकम बजट देती है. गरीबों को मुफ्त इलाज कराने के लिए प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री राहत कोष से भी करोड़ों का बजट को मिल रहा है. आयुष्मान योजना के तहत पंजीकरण शुल्क और जांच हो रही है.
इस मामले के शिकायतकर्ता विशाल कुमार सिंह से बातचीत करने की कोशिश की गई तो उन्होंने इस मामले में कुछ भी बोलने से मना कर दिया. जानकारी के अनुसार उन्होंने 9 जनवरी को प्रधानमंत्री कार्यालय ने मामले की शिकायत की थी. जिसे गंभीरता से लिया गया है. पीएमओ से मिले आदेश के बाद सेंट्रल हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर ने जांच के आदेश दे दिए हैं. इस संबंध में केजीएमयू में पत्र भा आया है.
केजीएमयू प्रशासन पर बाहर से दवाइयां खरीदने के लिए गंभीर आरोप लगे हैं. अब देखने वाली बात यह होगी कि मामले पर संज्ञान लेने के बाद पीएमओ आखिर क्या बड़ी कार्रवाई केजीएमयू प्रशासन पर आने वाले दिनों में कर सकता है.
- डॉ. सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू प्रशासन
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