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दुनिया को लुभाएगी पीलीभीत की बांसुरी की धुन, उद्योग भरने लगा उड़ान - अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल

उत्तर प्रदेश पीलीभीत जिले की बांसुरी की धुन अब पूरी दुनिया में गूंज ने लगी है. एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल होने के बाद यहां के बांसुरी उद्योग एक बार फिर पटरी लौटने लगा है और देश-दुनिया में यहां के बांसुरी डिमांड बढ़ गई हैं.

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बांसुरी
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Published : Oct 16, 2020, 10:45 PM IST

लखनऊ: बांसुरी का जिक्र आते ही भले ही भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की मनमोहक छवि मानस पटल पर छा जाती है हो, लेकिन बांसुरी बनाने के लिए पीलीभीत जिले की अपनी अलग पहचान है. एक समय पीलीभीत की बांसुरी देश ही नहीं दुनिया भर में प्रसिद्ध थी. लेकिन वक्त के साथ यहां का बांसुरी उद्योग दम तोड़ता गया. लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सत्ता में आने के बाद 2018 में 'एक जनपद, एक उत्पाद' (ओडीओपी) योजना लॉन्च की. तब से बांसुरी उद्योग के दिन बहुरने लगे हैं.

ओडीओपी योजना के तहत पीलीभीत से बांसुरी को यहां के उत्पाद के तौर पर चुना गया है. अब पीलीभीत की बांसुरी एक बार दुनिया को अपनी मनमोहक धुन से आकर्षित करने वाली है. विभाग का कहना है कि योजना आरम्भ के महज डेढ़ से दो साल के अंदर ही बांसुरी उद्योग में 20 से 25 प्रतिशत का उछाल आया है.

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एमएसएमई विभाग के मुखिया नवनीत सहगल

देश-दुनिया में बढ़ी पीलीभीत की बांसुरी की डिमांड

सरकार के ODOP योजना के तहत नई उम्मीदों के साथ खड़े हो रहे पीलीभीत के बांसुरी उद्योग के लिए देश के साथ विदेशी बाजार में भी बाहें खोल दी हैं. पीलीभीत की बांसुरी का निर्यात अमेरिकी और यूरोपीय देशों में शुरू कर दिया गया है मांग और बाजार के मुताबिक फिलहाल पीलीभीत में तीन तरह की बांसुरी का उत्पादन किया जा रहा है. एमएसएमई के आंकड़ों के मुताबिक 2018 में ओडीओपी योजना शुरू होने के बाद बांसुरी उद्योग में करीब 20 फीसदी की बढ़त हुई है. राज्य सरकार के मुताबिक पीलीभीत के बांसुरी उद्योग का सालाना औसत व्यापार दो करोड़ तक पहुंच गया है. बांसुरी उद्योग ने स्थानीय स्तर पर बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार दिया है.

बांसुरी बनाने के लिए मुफ्त में प्रशिक्षण दे रही सरकार

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पीलीभीत से सालाना 20 से 30 लाख बांसुरी महाराष्ट्र, तमिलनाडु समेत दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर के राज्यों में भेजी जा रही है. अमेरिकी और यूरोपीय देशों में पीलीभीत की बांसुरी की मांग बढ़ने से आने वाले समय में स्थानीय इकाई को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद की जा रही है. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 2500 से तीन हजार लोग बांसुरी बनाने के काम से सीधे जुड़े हुए हैं. जबकि अप्रत्यक्ष तौर पर बांसुरी के व्यापार में सैकड़ों लोग शामिल हैं. गौरतलब है कि ओडीओपी योजना के तहत राज्य सरकार बांसुरी बनाने का मुफ्त प्रशिक्षण देकर लोगों को रोजगार से जोड़ रही है. प्रशिक्षण के दौरान मानदेय दिए जाने के साथ ही सरकार बांसुरी बनाने के लिए जरूरी उपकरण भी लोगों को मुहैया करा रही है. ताकि बांसुरी उद्योग को मजबूती दी जा सके.

लघु उद्योगों को बढ़ावा दे रही सरकार

अपर मुख्य सचिव सूचना व एमएसएमई विभाग के मुखिया नवनीत सहगल ने बताया कि प्रदेश की सरकार छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है. ओडीओपी उत्पादों के उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ऋण से लेकर मार्केट तक उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है. उन्होंने बताया कि प्रदेश में ऋण वितरण से लगभग 20 लाख नए रोजगार प्रदेश में सृजित हुए हैं. प्रदेश में पिछले चार महीनों में लगभग 26 हजार करोड़ के ऋण विभिन्न संस्थाओं को एमएसएमई से वितरित किए गए हैं.

लखनऊ: बांसुरी का जिक्र आते ही भले ही भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की मनमोहक छवि मानस पटल पर छा जाती है हो, लेकिन बांसुरी बनाने के लिए पीलीभीत जिले की अपनी अलग पहचान है. एक समय पीलीभीत की बांसुरी देश ही नहीं दुनिया भर में प्रसिद्ध थी. लेकिन वक्त के साथ यहां का बांसुरी उद्योग दम तोड़ता गया. लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सत्ता में आने के बाद 2018 में 'एक जनपद, एक उत्पाद' (ओडीओपी) योजना लॉन्च की. तब से बांसुरी उद्योग के दिन बहुरने लगे हैं.

ओडीओपी योजना के तहत पीलीभीत से बांसुरी को यहां के उत्पाद के तौर पर चुना गया है. अब पीलीभीत की बांसुरी एक बार दुनिया को अपनी मनमोहक धुन से आकर्षित करने वाली है. विभाग का कहना है कि योजना आरम्भ के महज डेढ़ से दो साल के अंदर ही बांसुरी उद्योग में 20 से 25 प्रतिशत का उछाल आया है.

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एमएसएमई विभाग के मुखिया नवनीत सहगल

देश-दुनिया में बढ़ी पीलीभीत की बांसुरी की डिमांड

सरकार के ODOP योजना के तहत नई उम्मीदों के साथ खड़े हो रहे पीलीभीत के बांसुरी उद्योग के लिए देश के साथ विदेशी बाजार में भी बाहें खोल दी हैं. पीलीभीत की बांसुरी का निर्यात अमेरिकी और यूरोपीय देशों में शुरू कर दिया गया है मांग और बाजार के मुताबिक फिलहाल पीलीभीत में तीन तरह की बांसुरी का उत्पादन किया जा रहा है. एमएसएमई के आंकड़ों के मुताबिक 2018 में ओडीओपी योजना शुरू होने के बाद बांसुरी उद्योग में करीब 20 फीसदी की बढ़त हुई है. राज्य सरकार के मुताबिक पीलीभीत के बांसुरी उद्योग का सालाना औसत व्यापार दो करोड़ तक पहुंच गया है. बांसुरी उद्योग ने स्थानीय स्तर पर बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार दिया है.

बांसुरी बनाने के लिए मुफ्त में प्रशिक्षण दे रही सरकार

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पीलीभीत से सालाना 20 से 30 लाख बांसुरी महाराष्ट्र, तमिलनाडु समेत दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर के राज्यों में भेजी जा रही है. अमेरिकी और यूरोपीय देशों में पीलीभीत की बांसुरी की मांग बढ़ने से आने वाले समय में स्थानीय इकाई को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद की जा रही है. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 2500 से तीन हजार लोग बांसुरी बनाने के काम से सीधे जुड़े हुए हैं. जबकि अप्रत्यक्ष तौर पर बांसुरी के व्यापार में सैकड़ों लोग शामिल हैं. गौरतलब है कि ओडीओपी योजना के तहत राज्य सरकार बांसुरी बनाने का मुफ्त प्रशिक्षण देकर लोगों को रोजगार से जोड़ रही है. प्रशिक्षण के दौरान मानदेय दिए जाने के साथ ही सरकार बांसुरी बनाने के लिए जरूरी उपकरण भी लोगों को मुहैया करा रही है. ताकि बांसुरी उद्योग को मजबूती दी जा सके.

लघु उद्योगों को बढ़ावा दे रही सरकार

अपर मुख्य सचिव सूचना व एमएसएमई विभाग के मुखिया नवनीत सहगल ने बताया कि प्रदेश की सरकार छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है. ओडीओपी उत्पादों के उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ऋण से लेकर मार्केट तक उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है. उन्होंने बताया कि प्रदेश में ऋण वितरण से लगभग 20 लाख नए रोजगार प्रदेश में सृजित हुए हैं. प्रदेश में पिछले चार महीनों में लगभग 26 हजार करोड़ के ऋण विभिन्न संस्थाओं को एमएसएमई से वितरित किए गए हैं.

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