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बिजली दरें कम करने के लिए नियामक आयोग में याचिका दाखिल - petition filed in regulatory commission

उत्तर प्रदेश के 3 करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं को अगले तीन वर्षों तक सात प्रतिशत रेग्यूलेटरी लाभ देने, घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं के फिक्स चार्ज सहित वाणिज्यक विद्युत उपभोक्ताओं के मिनिमम चार्ज को समाप्त करने संबंधी याचिका उपभोक्ता परिषद की तरफ से नियामक आयोग में दाखिल की हैं.

विद्युत विभाग.
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Published : Nov 19, 2020, 2:04 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के 3 करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं को अगले तीन वर्षों तक सात प्रतिशत रेग्यूलेटरी लाभ देने, घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं के फिक्स चार्ज सहित वाणिज्यक विद्युत उपभोक्ताओं के मिनिमम चार्ज को समाप्त करने संबंधी याचिका उपभोक्ता परिषद की तरफ से नियामक आयोग में दाखिल की गई. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियों पर अब तक निकल रहे कुल 19,535 करोड़ का लाभ उपभोक्ताओं को दिलाने के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल की है.

बिजली कंपनियों पर इतना है बकाया
11 नवम्बर को विद्युत नियामक आयोग की तरफ से घोषित नई बिजली दर वर्ष 2020-21 पर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उपभोक्ताओं को लाभ दिलाने के लिए आयोग के सचिव संजय कुमार सिंह को लोक महत्व पुनर्विचार याचिका सौंपते हुए बिजली दरों में कमी की मांग उठाई. यह मुददा उठाया गया कि चूंकि उदय व ट्रूअप के मद में पूर्व में उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियों पर 13,337 करोड़ रुपए निकला था. उस पर वर्ष 2018-19 से अब तक कैरिंग कास्ट 12 प्रतिशत के अनुसार लगभग 5,400 करोड ब्याज बनेगा.

वर्ष 2020-21 में भी उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियों पर लगभग 800 करोड़ रुपए निकला है. इस प्रकार उपभोक्ताओं को कुल 19,535 करोड़ रुपए पर लाभ मिलना उनका संवैधानिक हक है. इस पूरी रकम का लाभ एक साथ उपभोक्ताओं को देने से प्रदेश के बिजली कम्पनियों की आर्थिक स्थति बिगड सकती है, इसलिए उपभोक्ता परिषद ने कहा है कि इसका लाभ अगले तीन वर्षों में उपभोक्ताओं को मिले.

'वास्ततिक भार पर ही फिक्स डिमाण्ड चार्ज की हो वसूली'
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि कोरोना काल में उत्तराखण्ड, हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब, बिहार में दरों में कमी हुई थी. उसका मसौदा भी पेश किया गया है.

पिछले आठ सालों में ग्रामीण और शहरी इलाकों में घरेलू और किसानों की बिजली दरों में उत्तर प्रदेश में जिस प्रकार से बढ़ोतरी की गई, उसका खामियाजा आज भी उपभोक्ता भुगत रहा है. उन्होंने कहा कि चूंकि कोरोना काल में वाणिज्यिक विद्युत उपभोक्ता व छोटे दुकानदार काफी तबाह हुए हैं, इसलिए अब उनके द्वारा लिए गए संयोजित भार पर प्रत्येक माह उनके मीटर में आए वास्ततिक भार पर ही फिक्स डिमाण्ड चार्ज की वसूली की जाए, जिससे उनको सही मायने में राहत मिल सके. सवाल है कि प्रदेश के घरेलू शहरी विद्युत उपभोक्ताओं का तो पिछले आठ वर्षों में उनकी अधिकतम स्लैब वाली दरों में 84 प्रतिशत की वृद्धि, ग्रामीण मीटर्ड घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में अधिकतम 500 प्रतिशत की वृद्धि, ग्रामीण अनमीटर्ड घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में 300 प्रतिशत की वृद्धि व किसानों की अनमीटर्ड दरों में लगभग 126 प्रतिशत की वृद्धि हुई है इसलिए उनकी दरों में कमी किया जाना जरूरी है.

विद्युत उपभोक्ता परिषद ने दिया सुझाव
उन्होंने सुझाव दिया कि इसका समायोजन तभी संभव होगा जब तीन वर्षों तक प्रदेश के घरेलू ग्रामीण, शहरी विद्युत उपभोक्ताओं के फिक्स चार्ज को पूरी तरह समाप्त किया जाए. वाणिज्यक विद्युत उपभोक्ताओं के मिनिमम चार्ज को समाप्त कर फिक्स डिमाण्ड चार्ज में 10 प्रतिशत की कटौती की जाए. किसानों की मौजूदा दरें जो वर्तमान में 170 रुपए प्रति हार्स पावर है उसे 150 रुपए प्रति हार्स पावर किया जाए, साथ ही ग्रामीण अनमीटर्ड घरेलू उपभोक्ताओं की मौजूदा दर 500 रुपए प्रति किलोवाट प्रतिमाह में 30 प्रतिशत की कटौती करते हुए उसका निर्धारण किया जाए. सभी श्रेणी के विद्युत उपभोक्ताओं को अगले तीन वर्षों तक सात प्रतिशत रेग्यूलेटरी लाभ दिया जाए. यानि हर माह उनके बिलों में सात प्रतिशत की कमी. तब जाकर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का हिसाब बराबर होगा.

इसे भी पढे़ं- लखनऊ विवि शताब्दी वर्षः योगी करेंगे आगाज, मोदी देंगे परवाज

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के 3 करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं को अगले तीन वर्षों तक सात प्रतिशत रेग्यूलेटरी लाभ देने, घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं के फिक्स चार्ज सहित वाणिज्यक विद्युत उपभोक्ताओं के मिनिमम चार्ज को समाप्त करने संबंधी याचिका उपभोक्ता परिषद की तरफ से नियामक आयोग में दाखिल की गई. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियों पर अब तक निकल रहे कुल 19,535 करोड़ का लाभ उपभोक्ताओं को दिलाने के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल की है.

बिजली कंपनियों पर इतना है बकाया
11 नवम्बर को विद्युत नियामक आयोग की तरफ से घोषित नई बिजली दर वर्ष 2020-21 पर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उपभोक्ताओं को लाभ दिलाने के लिए आयोग के सचिव संजय कुमार सिंह को लोक महत्व पुनर्विचार याचिका सौंपते हुए बिजली दरों में कमी की मांग उठाई. यह मुददा उठाया गया कि चूंकि उदय व ट्रूअप के मद में पूर्व में उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियों पर 13,337 करोड़ रुपए निकला था. उस पर वर्ष 2018-19 से अब तक कैरिंग कास्ट 12 प्रतिशत के अनुसार लगभग 5,400 करोड ब्याज बनेगा.

वर्ष 2020-21 में भी उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियों पर लगभग 800 करोड़ रुपए निकला है. इस प्रकार उपभोक्ताओं को कुल 19,535 करोड़ रुपए पर लाभ मिलना उनका संवैधानिक हक है. इस पूरी रकम का लाभ एक साथ उपभोक्ताओं को देने से प्रदेश के बिजली कम्पनियों की आर्थिक स्थति बिगड सकती है, इसलिए उपभोक्ता परिषद ने कहा है कि इसका लाभ अगले तीन वर्षों में उपभोक्ताओं को मिले.

'वास्ततिक भार पर ही फिक्स डिमाण्ड चार्ज की हो वसूली'
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि कोरोना काल में उत्तराखण्ड, हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब, बिहार में दरों में कमी हुई थी. उसका मसौदा भी पेश किया गया है.

पिछले आठ सालों में ग्रामीण और शहरी इलाकों में घरेलू और किसानों की बिजली दरों में उत्तर प्रदेश में जिस प्रकार से बढ़ोतरी की गई, उसका खामियाजा आज भी उपभोक्ता भुगत रहा है. उन्होंने कहा कि चूंकि कोरोना काल में वाणिज्यिक विद्युत उपभोक्ता व छोटे दुकानदार काफी तबाह हुए हैं, इसलिए अब उनके द्वारा लिए गए संयोजित भार पर प्रत्येक माह उनके मीटर में आए वास्ततिक भार पर ही फिक्स डिमाण्ड चार्ज की वसूली की जाए, जिससे उनको सही मायने में राहत मिल सके. सवाल है कि प्रदेश के घरेलू शहरी विद्युत उपभोक्ताओं का तो पिछले आठ वर्षों में उनकी अधिकतम स्लैब वाली दरों में 84 प्रतिशत की वृद्धि, ग्रामीण मीटर्ड घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में अधिकतम 500 प्रतिशत की वृद्धि, ग्रामीण अनमीटर्ड घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में 300 प्रतिशत की वृद्धि व किसानों की अनमीटर्ड दरों में लगभग 126 प्रतिशत की वृद्धि हुई है इसलिए उनकी दरों में कमी किया जाना जरूरी है.

विद्युत उपभोक्ता परिषद ने दिया सुझाव
उन्होंने सुझाव दिया कि इसका समायोजन तभी संभव होगा जब तीन वर्षों तक प्रदेश के घरेलू ग्रामीण, शहरी विद्युत उपभोक्ताओं के फिक्स चार्ज को पूरी तरह समाप्त किया जाए. वाणिज्यक विद्युत उपभोक्ताओं के मिनिमम चार्ज को समाप्त कर फिक्स डिमाण्ड चार्ज में 10 प्रतिशत की कटौती की जाए. किसानों की मौजूदा दरें जो वर्तमान में 170 रुपए प्रति हार्स पावर है उसे 150 रुपए प्रति हार्स पावर किया जाए, साथ ही ग्रामीण अनमीटर्ड घरेलू उपभोक्ताओं की मौजूदा दर 500 रुपए प्रति किलोवाट प्रतिमाह में 30 प्रतिशत की कटौती करते हुए उसका निर्धारण किया जाए. सभी श्रेणी के विद्युत उपभोक्ताओं को अगले तीन वर्षों तक सात प्रतिशत रेग्यूलेटरी लाभ दिया जाए. यानि हर माह उनके बिलों में सात प्रतिशत की कमी. तब जाकर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का हिसाब बराबर होगा.

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