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4 हजार साल पहले भी लोग खाते थे मल्टीग्रेन, खुदाई में मिले सबूत - पुरातात्विक उत्खनन

राजस्थान में एक खुदाई के दौरान मिली सामग्री के अध्‍ययन के बाद वैज्ञानिकों ने पाया है कि 4 हजार साल पहले हड़प्पा सभ्यता (Harappan Civilisation) के दौरान रहने वाले लोग उच्च प्रोटीन, मल्टीग्रेन ‘लड्डू’ का सेवन करते थे.

4  हजार साल पहले भी लोग खाते थे मल्टीग्रेन
4 हजार साल पहले भी लोग खाते थे मल्टीग्रेन
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Published : Mar 28, 2021, 2:24 AM IST

लखनऊ: राजधानी के बीरबल साहनी पुरा विज्ञान संस्थान (बीएसआइपी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.राजेश अग्निहोत्री ने 4 हजार साल पहले यानी हड़प्पा सभ्यता के लोगों के सेहत के राज को तलाश लिया है. पुरातात्विक उत्खनन में लड्डू जैसे आकार के सात पुरावशेष मिले हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह लड्डू उच्च प्रोटीन युक्त कई प्रकार के अनाज से तैयार किए गए होंगे.

4 हजार साल पुराना मल्टीग्रेन लड्डू

हड़प्पा सभ्यता में यानी करीब 4000 साल पहले के लोग कैसे रहते थे, कैसे मकान बनाते थे, इन सबके बारे में इतिहास की किताबों में बहुत कुछ लिखा गया है. लेकिन, क्या आपको पता है कि उस समय के लोग अपनी सेहत के लिए इतने सजग थे कि मल्टीग्रेन लड्डू का इस्तेमाल करते थे. बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियो साइसेंज(बीएसआइपी) और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संयुक्त रूप से किए गए पुरातात्विक उत्खनन और उसके बाद की शोध से यह सामने आया है.

पाकिस्तान की सीमा के पास मिले अवशेष

यह पुरातात्विक उत्खनन राजस्थान के बि‍जौर में किया गया. पाकिस्तान की सीमा से लगे इस साइट से उत्खनन से लड्डू जैसे आकार के सात पुरावशेष मिले हैं. बीएसआईपी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेश अग्निहोत्री बताते हैं कि लड्डू टूटे नहीं. ये कीचड़ के संपर्क में थे. कुछ आंतरिक कार्बनिक पदार्थ और अन्य हरे रंग के घटक संरक्षित रहे. बीएसआइपी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.अंजुम फारुकी ने विश्लेषण किया. डॉ.फारूकी ने पाया कि ये जौ, गेहूं, छोले और कुछ अन्य तिलहनों से बने थे.

यह भी खुदाई में मिला

उत्खनन में भूरे रंग के 'लड्डू', बैल की दो मूर्तियां और तांबे की कुल्हाड़ी के समान उपकरण मिला. वैज्ञानिक यह भी मान रहे हैं कि शायद यह किसी पूजा या पिंडदान जैसी प्रक्रिया का हिस्सा रहा हो. यह भी संभव है कि शायद कोई अनुष्ठान किया गया हो और उसी अनुष्ठान के लिए यह बनाए गए हों.

लखनऊ: राजधानी के बीरबल साहनी पुरा विज्ञान संस्थान (बीएसआइपी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.राजेश अग्निहोत्री ने 4 हजार साल पहले यानी हड़प्पा सभ्यता के लोगों के सेहत के राज को तलाश लिया है. पुरातात्विक उत्खनन में लड्डू जैसे आकार के सात पुरावशेष मिले हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह लड्डू उच्च प्रोटीन युक्त कई प्रकार के अनाज से तैयार किए गए होंगे.

4 हजार साल पुराना मल्टीग्रेन लड्डू

हड़प्पा सभ्यता में यानी करीब 4000 साल पहले के लोग कैसे रहते थे, कैसे मकान बनाते थे, इन सबके बारे में इतिहास की किताबों में बहुत कुछ लिखा गया है. लेकिन, क्या आपको पता है कि उस समय के लोग अपनी सेहत के लिए इतने सजग थे कि मल्टीग्रेन लड्डू का इस्तेमाल करते थे. बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियो साइसेंज(बीएसआइपी) और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संयुक्त रूप से किए गए पुरातात्विक उत्खनन और उसके बाद की शोध से यह सामने आया है.

पाकिस्तान की सीमा के पास मिले अवशेष

यह पुरातात्विक उत्खनन राजस्थान के बि‍जौर में किया गया. पाकिस्तान की सीमा से लगे इस साइट से उत्खनन से लड्डू जैसे आकार के सात पुरावशेष मिले हैं. बीएसआईपी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेश अग्निहोत्री बताते हैं कि लड्डू टूटे नहीं. ये कीचड़ के संपर्क में थे. कुछ आंतरिक कार्बनिक पदार्थ और अन्य हरे रंग के घटक संरक्षित रहे. बीएसआइपी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.अंजुम फारुकी ने विश्लेषण किया. डॉ.फारूकी ने पाया कि ये जौ, गेहूं, छोले और कुछ अन्य तिलहनों से बने थे.

यह भी खुदाई में मिला

उत्खनन में भूरे रंग के 'लड्डू', बैल की दो मूर्तियां और तांबे की कुल्हाड़ी के समान उपकरण मिला. वैज्ञानिक यह भी मान रहे हैं कि शायद यह किसी पूजा या पिंडदान जैसी प्रक्रिया का हिस्सा रहा हो. यह भी संभव है कि शायद कोई अनुष्ठान किया गया हो और उसी अनुष्ठान के लिए यह बनाए गए हों.

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