लखनऊ: कोरोना काल में हुए लॉकडाउन में भले ही लोग संक्रमण से परेशान रहे हों, लेकिन दूसरी तरफ नाबालिग बच्चियों की शादियां रचाने के लिए लॉकडाउन का समय कई परिवारों ने बेहतरीन समझा. मई और जून में एक दर्जन से अधिक नाबालिग बच्चों की शादी रचाने की कोशिश की गई. इनमें से ज्यादातर शादियों को चाइल्ड लाइन और राज्य बाल संरक्षण इकाई रोकने में सफल रही. बावजूद इसके कुछ शादियां परिवार वालों ने छुपकर संपन्न करवा दीं. ऐसे परिवारों पर अब प्रशासन कड़ी कार्रवाई करने जा रहा है.
मई-जून में नाबालिगों की शादी के मामले सामने आए
चाइल्डलाइन के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान मई-जून महीने में सबसे अधिक बाल विवाह होने के सूचनाएं मिली हैं. मई में 5 बाल विवाह होने की सूचना मिलीं तो वहीं जून में यह आंकड़ा दोगुना हो गया. संगीता कहती हैं कि लॉकडाउन के दौरान लोगों ने सोचा कि संस्थाएं उन तक पहुंच नहीं पाएंगी और वे आसानी से अपने बच्चों की शादियां कर देंगे. 1 महीने में तकरीबन 10 बच्चों के शादियों की सूचनाएं हमारे लिए बड़ी बात है. एक अच्छी बात यह है कि इनमें से ज्यादातर शादियों को हम रोकने पाने में सफल रहे हैं.
1098 के माध्यम से मिलती हैं सूचनाएं
संगीता शर्मा ने बताया कि अगर सामान्य दिनों में की बात की जाए तो पिछले वर्ष मई-जून में महज 5 से 7 शादियों की ही सूचना हमें मिली थी. इसके बाद इन सभी शादियों को हमने रोकने में सफलता पाई थी. हमारे पास इन शादियों की सूचनाएं ज्यादातर चाइल्ड लाइन के नंबर 1098 के माध्यम से मिलती हैं. हम जिला पर्यवेक्षण अधिकारी के पास यह सूचना ट्रांसफर करते हैं. ऐसा इसलिए भी किया जाता है, क्योंकि वह चाइल्ड मैरिज प्रोटेक्शन ऑफिसर भी होते हैं.
संगीता शर्मा कहती हैं कि उनके पास सूचना पहुंचने के बाद चाइल्ड लाइन राज्य बाल संरक्षण आयोग और स्थानीय पुलिस टीम के सहायता से हम बाल विवाह होने वाली जगह पर पहुंचते हैं. उस जगह पर पहुंचने के बाद हम पता करते हैं कि जिन बच्चों की शादी हो रही है, वे 18 वर्ष की आयु से अधिक हैं या नहीं. यदि बच्चे किसी भी रूप में नाबालिग होते हैं तो शादी रुकवा दी जाती है.
दोगुनी उम्र के शख्स से शादी कराने के मामले
संगीता यह भी बताती हैं कि ऐसे भी मामले हमारे पास आते हैं, जिनमें बच्चे की उम्र के दोगुनी उम्र के व्यक्ति से शादी करवा दी जाती है या फिर दोनों ही बच्चे नाबालिग होते हैं. हमारे पास लॉकडाउन में आया आखिरी केस ऐसा था, जिसमें 15 साल की बच्ची की शादी 32 वर्ष के युवक के साथ कराई जा रही थी. इसके अलावा एक मामला ऐसा भी सामने आया था, जिसमें लड़के की उम्र 18 वर्ष थी. ऐसे में जाहिर है कि लड़की की उम्र उससे भी कम रही होगी. लड़के की शादी की सही उम्र 21 वर्ष है. ऐसे में लड़का और लड़की दोनों ही इस मामले में नाबालिग साबित हुए.
लॉकडाउन में हुईं तीन शादियां
बाल कल्याण समिति के सदस्य सुधारानी कहती हैं कि ऐसे मामलों को सुलझाने में हमें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. जब हम शादी रुकवाने पहुंचते हैं तो परिवार के सदस्य अपनी परेशानियां बताने लगते हैं. उनको लगता है कि उनकी बेटी घर से भाग जाएगी या फिर उनके पास खर्च करने के लिए ज्यादा आमदनी नहीं है. इस वजह से वह छोटी उम्र में शादी कर देते हैं. सुधारानी ने बताया कि लॉकडाउन में तीन शादियां ऐसी भी हुई, जो हमारे पहुंचने से पहले ही संपन्न करा दी गईं. ऐसे में हमने लड़की और लड़के दोनों ही परिवारों पर एफआईआर कर कार्रवाई करने की कवायद शुरू कर दी है.
बाल विवाह को रोकने के बाद संगीता कहती हैं कि हम परिवारीजन से लिखित में लेते हैं कि बच्चों की शादी 18 वर्ष से पहले या उनके बालिग होने से पहले तक न की जाए. वहीं जिन बच्चियों को लगता है कि उनके मां-बाप नहीं मानेंगे और किसी दूसरे शहर में ले जाकर उनकी शादियां करवा देंगे, उन्हें हम रेस्क्यू कर बालिका गृह में आश्रय देते हैं.
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