लखनऊ: राजधानी में लगातार फीस को लेकर प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ अभिभावकों का गुस्सा देखने को मिल रहा है. ऐसा ही एक मामला सोमवार को कानपुर रोड स्थित सेठ जयपुरिया स्कूल में सामने आया. यहां अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल प्रशासन फीस जमा करने को लेकर जबरदस्ती दबाव बना रहा है, जबकि करीब 70 फीसदी फीस जमा करने के बावजूद स्कूल प्रशासन ने बच्चों को एग्जाम में नहीं बैठने दिया. इसके चलते अभिभावक स्कूल पहुंचे और अपनी नाराजगी जाहिर की.
अभिभावकों का आरोप है कि ऑनलाइन पढ़ाई होने के बावजूद स्कूल ट्रांसपोर्टेशन फीस जमा करा रहा है. सोमवार को कक्षा 1 से लेकर 8 तक के बच्चों का ऑनलाइन एग्जाम होना था. स्कूल प्रशासन ने एग्जाम के लिए लिंक भी भेजा था. एग्जाम देने के टाइम पर बच्चे को ब्लॉक कर दिया गया. लोगों का कहना है कि जब स्कूल प्रशासन से बात की गई तो बताया गया कि फीस न जमा होने के कारण बच्चे को एग्जाम में नहीं बैठाया जा सकता. वहीं कुछ ने कहा कि मैंने पूरी फीस जमा की थी, बच्चा एग्जाम दे रहा था. नेटवर्क प्रॉब्लम के चलते कुछ दिक्कत आ गई, जिसके बाद स्कूल प्रशासन ने बच्चे को एग्जाम देने से मना कर दिया.
अभिभावकों से ली जा रही ट्रांसपोर्टेशन फीस
अभिभावकों का कहना है कि हम लोगों पर फीस देने का दबाव बनाया जा रहा है. हम पैरंट्स में से किसी ने 80% तो किसी ने 90% फीस जमा की है. आज बच्चों का एग्जाम था और हमारे बच्चों को एग्जाम देने नहीं दिया जा रहा है. हम लोगों से कहा जा रहा है कि जब तक आप लोग फीस नहीं जमा करेंगे, तब तक बच्चे को एग्जाम देने नहीं दिया जाएगा. कुछ फाइनेंशियल इश्यूज की वजह से हमने स्कूल को फीस जमा करने के लिए टाइम दे रखा है. बच्चा स्कूल आ भी नहीं रहा है, उसके बावजूद ट्रांसपोर्टेशन फीस ली जा रही है.
प्रिंसिपल ने बताया नेटवर्क प्रॉब्लम
इस मामले में स्कूल की प्रिंसिपल पूनम गौतम ने कहा कि हां, यह मामला मुझे पता लगा था. पैरंट्स ने 112 भी डायल किया था. पैरेंट्स ने कहा कि मेरा पार्ट पेमेंट जमा है, उसके बावजूद बच्चा एसेसमेंट नहीं दे पा रहा है. उसको निकाल दिया गया है. जब मैंने बात की तो पता लगा कि बच्चा नेटवर्क की गलती की वजह से निकल गया है. जहां नेटवर्क की दिक्कत है वहां स्कूल कुछ भी नहीं कर सकता है.
दबाव की बात से किया इनकार
अभी नया सर्कुलर आया था हम लोगों ने पेरेंट्स को जारी भी किया था और कहा था कि जिस को भी दिक्कत है फीस जमा करने को लेकर वह पैरंट्स हमें लिखित दे सकता है. हम लोगों ने किसी भी पैरेंट्स से यह नहीं कहा कि आप जुलाई की फीस जमा करिए. हम सभी से यह कह रहे हैं कि अप्रैल और मई के ड्यूज क्लियर कर दीजिए. कुछ पैरेंट्स हैं जो वाकई मजबूर हैं, मैंने उनसे बात की है. उनसे लिखित एप्लीकेशन ली है और उनकी मदद की जा रही है.