ETV Bharat / state

'नए कृषि कानून का विरोध किसानों से ज्यादा बिचौलिये कर रहे'

राजधानी लखनऊ में कृषि सुधार से संबंधित विधेयक संसद में पारित हुआ. इसमें किसानों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बाजार उपलब्ध कराने की सरकार की इच्छा है. उप्र हिन्दी संस्थान की ओर से आयोजित संगोष्ठी में ये बात कही गई.

संगोष्ठी आयोजित
संगोष्ठी आयोजित
author img

By

Published : Jan 5, 2021, 11:05 PM IST

लखनऊ: राजधानी कृषि सुधार से संबंधित विधेयक संसद में पारित हुआ. इसमें किसानों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर बाजार उपलब्ध कराने की सरकार की इच्छा है. कानून का विरोध किसानों कम और बिचौलिये ज्यादा कर रहे हैं. ये बात उप्र हिन्दी संस्थान की ओर से आज आयोजित संगोष्ठी में संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ. सदानंद प्रसाद गुप्त ने कही. संगोष्ठी 'कृषि सुधार कानून-एक विमर्श' विषय पर हुई.

अतिथियों ने नए कृषि कानून पर बात रखी
संगोष्ठी के अतिथि डाॅ. रामकठिन सिंह ने कहा कि 2004 में कृषक आयोग गठित हुआ था. इसकी सिफारिश पर 8 सालों तक कोई कार्य नहीं हुआ था. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को आधार बनाकर एक रोड मैप तैयार किया गया था. डाॅ. अश्वनी दत्त पाठक ने बताया कि किसानों को अपने कृषि उत्पाद बेचने के लिए नये खरीदार मिल गए हैं. मण्डी शुल्क भी बहुत कम या लगभग समाप्त कर दिया गया है.

किसान बहुत दिनों से हैं परेशान
डाॅ. राम बाबू श्रीवास्तव ने कहा कि किसान बहुत दिनों से परेशान है. इसलिए सरकार को नये कानून लाने पड़ रहे है. 42 फीसदी किसानों को खेती की कोई जानकारी नहीं है. किसान आज भी बैंकों से नहीं, महाजनों से जुड़े है. इस कारण वे आज भी कर्जदार बने हुए हैं. संस्थान के निदेशक श्रीकांत मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान से प्रकाशित पुस्तकों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी. सम्पादक डाॅ. अमिता दुबे ने संगोष्ठी का संचालन किया.

लखनऊ: राजधानी कृषि सुधार से संबंधित विधेयक संसद में पारित हुआ. इसमें किसानों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर बाजार उपलब्ध कराने की सरकार की इच्छा है. कानून का विरोध किसानों कम और बिचौलिये ज्यादा कर रहे हैं. ये बात उप्र हिन्दी संस्थान की ओर से आज आयोजित संगोष्ठी में संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ. सदानंद प्रसाद गुप्त ने कही. संगोष्ठी 'कृषि सुधार कानून-एक विमर्श' विषय पर हुई.

अतिथियों ने नए कृषि कानून पर बात रखी
संगोष्ठी के अतिथि डाॅ. रामकठिन सिंह ने कहा कि 2004 में कृषक आयोग गठित हुआ था. इसकी सिफारिश पर 8 सालों तक कोई कार्य नहीं हुआ था. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को आधार बनाकर एक रोड मैप तैयार किया गया था. डाॅ. अश्वनी दत्त पाठक ने बताया कि किसानों को अपने कृषि उत्पाद बेचने के लिए नये खरीदार मिल गए हैं. मण्डी शुल्क भी बहुत कम या लगभग समाप्त कर दिया गया है.

किसान बहुत दिनों से हैं परेशान
डाॅ. राम बाबू श्रीवास्तव ने कहा कि किसान बहुत दिनों से परेशान है. इसलिए सरकार को नये कानून लाने पड़ रहे है. 42 फीसदी किसानों को खेती की कोई जानकारी नहीं है. किसान आज भी बैंकों से नहीं, महाजनों से जुड़े है. इस कारण वे आज भी कर्जदार बने हुए हैं. संस्थान के निदेशक श्रीकांत मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान से प्रकाशित पुस्तकों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी. सम्पादक डाॅ. अमिता दुबे ने संगोष्ठी का संचालन किया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.