लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव बेंगलुरु में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होंगे. इस बैठक में विपक्षी दलों द्वारा केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ मजबूत विकल्प बनने को लेकर रणनीति बनाई जाएगी. लेकिन बेंगलुरु में आयोजित बैठक से पहले सपा और उसके गठबंधन में हुई सेंधमारी से वह परेशान हैं. इसको लेकर उन्होंने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ रविवार को एक बैठक की.
बेंगलुरु में 17-18 जुलाई को विपक्षी दलों की एक बड़ी बैठक आयोजित की गई है. जिसमें केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ महागठबंधन को करने करने पर चर्चा की जाएगी. इसी बीच विपक्षी दलों की बेंगलुरु में बैठक से पहले भारतीय जनता पार्टी ने अखिलेश यादव कि समाजवादी पार्टी में बड़ी सेंधमारी कर दी है. भाजपा ने न सिर्फ सपा बल्कि उसके साथ गठबंधन में शामिल रहने वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को भी अपने साथ लाने में सफल रही है. सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद एनडीए में वापसी हो चुकी है. इसके अलावा सपा के विधायक पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान भी सोमवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं. भाजपा की ऐसी सेंधमारी से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव परेशान बताए जा रहे हैं. बेंगलुरु में आयोजित बैठक से पहले अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव समेत पार्टी के अन्य नेताओं के साथ एक बैठक आयोजित की.
सूत्रों का कहना है कि बेंगलुरु बैठक से पहले अखिलेश यादव को बड़ा झटका बीजेपी की तरफ से दिया गया है. जिससे वह पूरी तरह से डिस्टर्ब हो गए हैं. विपक्षी दलों की बैठक में अखिलेश यादव के साथ उनके सहयोगी दल के रूप में शामिल राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी, अपना दल (कमेरावादी) की अध्यक्ष कृष्णा पटेल के भी शामिल होने की बात बताई जा रही है.
सूत्रों का दावा है कि समाजवादी पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेता बीजेपी के संपर्क में है और वह भी जल्द ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं. अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में जिस पिछड़े दलित अल्पसंख्यक पीडीए की रणनीति को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. उसी को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने उनको तगड़ा झटका दिया है. पूर्वांचल में पिछड़े समाज में अच्छे प्रतिनिधित्व रखने वाले दारा सिंह चौहान और ओमप्रकाश राजभर दोनों को नेताओं को बीजेपी पार्टी में शामिल करने में सफल हो चुकी है. इन वजहों से अखिलेश यादव न सिर्फ परेशान हैं. बल्कि अपनी पार्टी के नेताओं को अपने साथ जोड़े रखने को लेकर वह काफी चिंतित हैं. सूत्रों के अनुसार वह अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ करीब डेढ़ से 2 घंटे तक चर्चा की. इस दौरान समाजवादी पार्टी के नेताओं को लोकसभा चुनाव 2024 के में बीजेपी से मोर्चा लेने पर चर्चा की गई.
सूत्रों दावा है कि उत्तर प्रदेश की सियासत के लिए लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यह सप्ताह काफी महत्वपूर्ण है. एक तरफ जहां अखिलेश यादव बेंगलुरु में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता की बैठक में रणनीति बना रहे होंगे. वहीं, उनकी पार्टी से जुड़े रहे कई नेता बीजेपी के साथ मिल रहे होंगे. सूत्रों के अनुसार सपा के कई अन्य वरिष्ठ नेता भी बीजेपी के संपर्क में हैं. यह सभी नेता लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भारतीय जनता पार्टी के साथ चुनाव मैदान में उतर सकते हैं. ऐसे में अखिलेश यादव को अपनी पार्टी के नेताओं को रोके रखना बड़ी चुनौती है. अखिलेश यादव जातिगत समीकरणों के आधार पर उत्तर प्रदेश में 80 सीटों पर जीत हासिल करने का दावा कर रहे हैं. उन्होंने 80 जीतो, भाजपा हराओ का नारा दिया है. लेकिन उनके कई साथी उनसे दूर हो रहे हैं. ऐसे में अखिलेश यादव की टेंशन बढ़ना स्वाभाविक है.
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