लखनऊ: यूपी की सड़कों में ऐसे सरकारी वाहन फर्राटा भर रहे हैं, जो मौत के वाहन से कम नहीं हैं. किसी गाड़ी का 1 साल पहले फिटनेस खत्म हुआ है तो किसी का 5 साल पहले. चौंकाने वाली बात तो ये है कि ज्यादतर गाड़िया पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की हैं. इन गाड़ियों का न ही चालान होता है और न ही इन गाड़ियों को सड़कों से हटाया जा रहा है. फिटनेस एक्सपायर गाड़ियों में पुलिस कर्मी, मरीज और प्रदर्शन कारियों को बैठाया जा रहा है. विधानसभा के बाहर खड़ी लखनऊ पुलिस की जिप्सी गाड़ी का फिटनेस 13 दिसंबर 2021 तक ही था. बावजूद इसके लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट इस गाड़ी को रोजाना प्रयोग में ला रही है. यहां तक इस गाड़ी को विधान सभा सत्र के दौरान इमरजेंसी स्थिति के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
लखनऊ पुलिस धरना प्रदर्शन के वक्त प्रदर्शनकारियों को पुलिस लाइन और ईको गार्डन तक ले जाने के लिए बस का प्रयोग करती है. इस बस की जानकारी जब एम-परिवहन ऐप में ली गई तो पता चला कि इस बस की फिटनेस 3 दिसंबर 2021 को ही खत्म हो चुकी है. बावजूद इसके प्रदर्शनकारियों को बिना फिटनेस की गाड़ी से ले जाया जाता है. यहीं नहीं प्रदूषण सर्टिफिकेट भी 23 मई 2020 को खत्म हो चुका है. लखनऊ के हर चौराहे पर चालान करने वाला ट्रैफिक विभाग भी खुद फिटनेस एक्सपायर हो चुकी गाड़ियों का इस्तेमाल कर रहा है. डीसीपी यातायात के ऑफिस के बाहर यातायात पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ लिखी एक मिनी बस का 22 सितंबर 2020 को फिटनेस एक्सपायर हो चुका है.
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लखनऊ के हजरतगंज स्थित बीजेपी कार्यालय के बाहर खड़ी पुलिस बस का भी वही हाल है. इस बस को विधान सभा के करीब इस उद्देश्य के साथ खड़ा किया गया है कि यदि कोई विधानसभा के सामने धरना प्रदर्शन करने आता है तो यहां से उन्हें बस में बैठाकर इको गार्डन ले जाया जाएगा किंतु यह गाड़ी फिटनेस एक्सपर्ड है, जिसका 29 जनवरी 2015 को फिटनेस एक्सपायर हो चुका है. बीमार लोगों को समय पर अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेदारी उठाने वाली एंबुलेंस भी बीमार है. एंबुलेंस का फिटनेस 10 सितंबर 2019 को खत्म हो चुकी है और इंश्योरेंस 11 जुलाई 2019 तक ही वैलिड था.
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यदि कोई वाहन बिना फिटनेस के सड़कों पर फर्राटा भर रहा है, उस स्थिति में यातायात विभाग उस वाहन का 5 हजार रुपय का चालान करता है जबकि इंश्योरेंस खत्म हो गया है तो 2000 तक का चालान होता है. माना जाता है कि भले ही गाड़ी मालिक अपने वाहन की देख रेख करता है लेकिन कागजों में यदि फिटनेस नहीं है तो उसे सड़कों पर चलने वाला यमराज ही माना जाता है. ऐसे वाहन जिन्होंने फिटनेस नहीं करवाया है.
वहीं, लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट (Lucknow Police Commissionerate) के डीसीपी यातायात रईस अख्तर (DCP Traffic Raees Akhtar) का कहना है कि हम एमवी एक्ट के तहत सड़कों पर चलने वाली गाड़ियों की फिटनेस सर्टिफिकेट चेक करते हैं. अगर व्यक्ति के पास फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं है या फिर उसका फिटनेस एक्सपायर हो चुका है तो हम यह मानकर चलते हैं कि गाड़ी सड़कों पर चलने के लिए फिट नहीं है. इसके बाद नियमानुसार हम उन गाड़ियों का चालान करते हैं. हालांकि गाड़ी की फिटनेस कितनी है कैसी है ये परिवहन विभाग चेक करता है और उन्हें फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करता है. हालांकि सरकारी विभाग की गाड़ियों की फिटनेस एक्सपायर होने के बावजूद चालान न होने पर डीसीपी ने कोई भी जवाब नहीं दिया.