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सिपाही बना भिखारी, 14 बच्चों के बाप की अर्थी को नहीं मिला अपनों का सहारा

मुफलिसी और अपनों की रूसवाई का दर्द क्या होता है, कोई जानना चाहे तो देखे सिपाही जयराम महतो की जिंदगी को. 14 संतानों का बाप होकर भी पहले बेसहारों की जिंदगी गुजारी, फिर मौत के बाद 4 कंधे भी नसीब नहीं हुए.

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Published : May 8, 2019, 1:58 AM IST

14 बच्चों के बाप की अर्थी को नहीं मिला अपनों का सहारा

गढ़वाः जिले में एक बुजुर्ग शख्स की मौत लू लगने से हो गई. वह भीख मांगकर गुजारा करता था. किस्मत की मार उस पर ऐसी पड़ी कि उसे चार कंधे भी नसीब नहीं हुए, जबकि उसका परिवार काफी समृद्ध है.

14 बच्चों के बाप की अर्थी को नहीं मिला अपनों का सहारा

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में सिपाही रहे 70 वर्षीय जयराम महतो की गढ़वा में लू लगने से मौत हो गई. उसके परिवारवालों ने उससे मुंह मोड़ लिया था. इसके बाद वह भटकते हुए गढ़वा पहुंचा. उसकी छह बेटियां और आठ बेटे हैं. गढ़वा में वह तंगहाली में जिंदगी गुजारा करता था. इसी दौरान सड़क पर भटकती गढ़वा जिले के अटेला गांव की मंजरी से उसकी मुलाकात हो गई. इसके बाद दोनों साथ रहने लगे.

ये भी पढ़ेंः हजारीबाग की कटकमसांडी प्रमुख कुमारी श्रीति ने खाया जहर

मंजरी ने बताया कि वो लोग तीन साल से साथ रह रहे थे. लू लगने की वजह से अचानक उसकी मौत हो गई. हद तो यह है कि इस घटना की जानकारी बाजार समिति प्रशासन, पुलिस और सदर एसडीओ को दी गई, लेकिन कहीं से भी कोई व्यवस्था नहीं की गई. बाद में उसे नगर परिषद की गंदगी उठाने वाले ठेले में लादकर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया.

गढ़वाः जिले में एक बुजुर्ग शख्स की मौत लू लगने से हो गई. वह भीख मांगकर गुजारा करता था. किस्मत की मार उस पर ऐसी पड़ी कि उसे चार कंधे भी नसीब नहीं हुए, जबकि उसका परिवार काफी समृद्ध है.

14 बच्चों के बाप की अर्थी को नहीं मिला अपनों का सहारा

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में सिपाही रहे 70 वर्षीय जयराम महतो की गढ़वा में लू लगने से मौत हो गई. उसके परिवारवालों ने उससे मुंह मोड़ लिया था. इसके बाद वह भटकते हुए गढ़वा पहुंचा. उसकी छह बेटियां और आठ बेटे हैं. गढ़वा में वह तंगहाली में जिंदगी गुजारा करता था. इसी दौरान सड़क पर भटकती गढ़वा जिले के अटेला गांव की मंजरी से उसकी मुलाकात हो गई. इसके बाद दोनों साथ रहने लगे.

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मंजरी ने बताया कि वो लोग तीन साल से साथ रह रहे थे. लू लगने की वजह से अचानक उसकी मौत हो गई. हद तो यह है कि इस घटना की जानकारी बाजार समिति प्रशासन, पुलिस और सदर एसडीओ को दी गई, लेकिन कहीं से भी कोई व्यवस्था नहीं की गई. बाद में उसे नगर परिषद की गंदगी उठाने वाले ठेले में लादकर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया.

Intro:गढ़वा।लिव इन रिलेशन की समझ नहीं होते हुए भी 3 वर्ष से एक साथ जीवन वसर कर रहे दो बुजुर्गों की जोड़ी सोमवार को तब टूट गयी जब पुरुष बुजुर्ग की गर्मी-लू से मौत हो गयी। महिला बुजुर्ग रो-रोकर अपने प्यार का इजहार कर रही थी। पर विडम्बना यह रही कि इस घटना को बाजार समिति प्रशासन, पुलिस और सदर एसडीओ के संज्ञान में देने बाद भी उस बुजुर्ग को अंतिम संस्कार के लिए चार कंधे नहीं मिले। उसे नगर परिषद की गंदगी उठाने वाले ठेला में लादकर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया।


Body:जानते चले कि उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में सिपाही रहे जयराम महतो का पत्नी के निधन के बाद उसके छह बेटियों और आठ बेटों के साथ निर्वाह नहीं हो सका। वह भटकते हुए गढ़वा आ गया। गन्दे-फ़टे रोड पर फेंके कपड़ों को चुनकर-बेचकर अपनी बची-खुची जीवन को चलाने का जदोजहद करने लगा। इसी दौरान सड़क पर भटक थी गढ़वा जिले के अटेला गांव की मंजरी से उसकी मुलाकात हो गयी। पति के निधन के बाद बेटा-बेटी भी मंजरी से मुंह मोड़ लिए थे। तीन वर्षों से लगभग 70 वर्ष के जयराम और 65 वर्ष की मंजरी एक ही चादर ने नीचे जीवन वसर कर रहे थे।


Conclusion:मंजरी ने बताया कि उन दोनों के बीच शादी नहीं हुई थी, फिर भी 3 वर्ष से एक साथ थे। अब वह अकेला हो गयी है। वह कहां जाएगी, उसकी बची जीवन कैसे कटेगी, कुछ भी समझ नहीं पा रही है। विजुअल- बाइट-मंजरी
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