लखनऊ : बिजली विभाग तकरीबन एक लाख करोड़ रुपए के घाटे में है. घाटा जहां बिलिंग की वसूली में लापरवाही के चलते हुआ है तो इसमें बड़ा कारण बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का भ्रष्टाचार में लिप्त होना माना जा रहा है. जिसके बाद बिजली विभाग को नुकसान पहुंचाने वाले ऐसे दो कर्मचारियों पर मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के एमडी ने कड़ा एक्शन लेते हुए बर्खास्तगी और निलंबन की कार्रवाई की है.
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड की जनसंपर्क अधिकारी शालिनी यादव ने बताया कि 'विद्युत वितरण खंड गोला में तैनात कार्यालय सहायक-तृतीय इशरत खां के खिलाफ राजस्व तिजोरी चोरी की 62 लाख रुपए की एफआईआर दर्ज कराई गई थी. जांच समिति ने एक जनवरी 2010 से 20 मार्च 2010 तक सभी राजस्व अभिलेखों के आधार पर राजस्व की कैश बुक की धनराशि का मिलान किया. इसमें राजस्व की कैश बुक में 84,83,136 (चौरासी लाख, तिरासी हजार, एक सौ छत्तीस) और डिपाॅजिट की कैश बुक में 2,02,150 (दो लाख, दो हजार, एक सौ पचास) कुल बैलेंस 86,85,286 (छियासी लाख, पच्चासी हजार दो सौ छियासी) आगणित किया गया, लेकिन इशरत खां ने सिर्फ 62 लाख की ही प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई. राजस्व कैशचेस्ट 37 लाख के लिए ही सीमित था, जिसमें उपरोक्त धनराशि संग्रह करके रखना फिर कैशचेस्ट का चोरी होना आरोप की सत्यनिष्ठा को संदिग्ध बनाता है. इशरत खां ने नौ मार्च 2010 के बाद कैश बुक को न लिखा जाना, तिजोरी चोरी होना, जिसमें 22.04 लाख की अभियुक्तों से बरामदगी होना. जानबूझ कर चोरी होना दर्शाता है. कार्यालय सहायक-तृतीय इशरत खां से शेष धनराशि 64 लाख 81 हजार 286 रुपए की वसूली करने और सेवा से बर्खास्त किया गया है.'
इसके अलावा पिछले दिनों कार्यालय परिक्षेत्रीय लेखा (वितरण) लखनऊ क्षेत्र के सहायक लेखाकार विक्रम भोला को एंटी करप्शन टीम ने घूस लेते पकड़ा था. बिजली विभाग के रिटायर्ड कर्मचारी से विक्रम भोला ₹5000 रिश्वत मांग रहा था. एंटी करप्शन ने रंगे हाथों उसे पकड़ा था और पुलिस ने जेल भेज दिया था. मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक भवानी सिंह खंगारौत ने सहायक लेखाकार को साक्ष्यों के आधार पर प्रथम दृष्टया दोषी पाये जाने पर निलम्बित कर दिया.
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