लखनऊ : बीते दो हफ्तों में भूकंप ने उत्तर भारत को कई बार दहलाया है. इससे लोगों में डर का माहौल है. खासतौर पर दिल्ली व एनसीआर रीजन में रह रहे लोगों को भूकंप का डर ज्यादा सता रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि पूरे भारतवर्ष में पूरे साल में सैकड़ों भूकंप आते रहते हैं. इनमें से कुछ मध्यम दर्जे के होते हैं तो कुछ बहुत ही हल्के होते हैं. बड़ा भूकंप कब आएगा इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता. हमारा देश पांच भूकंप जोन में बंटा हुआ है. इमें से चार भूकंप जोन सबसे अधिक सक्रिय हैं. उत्तर प्रदेश के ऊपरी क्षेत्र भूकंप जोन चार में हैं. इसमें मेरठ व आसपास के जिले आते हैं. इसके नीचे वाला जोन तीन कहलाता है 'जिसे मॉडरेट क्षेत्र' कहा जाता है. यह असम, नेपाल व उत्तराखंड का क्षेत्र है, जहां सबसे अधिक भूकंप आते हैं.
बीरबल साहनी पुरावनस्पति संस्थान ( बीएसआईपी) के पूर्व वैज्ञानिक डॉक्टर सीएम नौटियाल (Former Scientist Dr Cm Nautiyal) ने बताया कि हमारे देश को पांच भूकंप जोन में बांटा गया है. इसमें देश के कुल भूखंड का 11 फ़ीसदी हिस्सा है. ऐसे में भूकंप को लेकर पूरे देश में जो डर का माहौल है वह नहीं होना चाहिए. हां एनसीआर सहित उत्तर भारत व आसाम के क्षेत्र जोक हिमालयन प्लेट से लगे हुए हैं. वहां पर भूकंप से खतरा रहता है. चौथे जोन में 18 फीसदी और तीसरे और दूसरे जोन में 30 फीसदी. सबसे ज्यादा खतरा जोन 4 और 5 वाले इलाकों को है. बीते 2 साल से देश में जो भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं. उनकी तीव्रता काफी कम है, लेकिन यह लगातार अंतराल पर आ रहे हैं. ऐसे लगातार भूकंप एक खतरनाक संदेश है.
विज्ञान में अभी ऐसा कोई आविष्कार या प्रणाली नहीं है. जिससे बड़े भूकंप का अनुमान लगाया जा सके. हमें बस इससे बचाव के लिए हमेशा तैयार रहने की जरूरत है. भूकंप के लिहाज से कई इलाके संवेदनशील इलाकों में आते हैं, इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक सिस्मिक जोन 5 है. यहां आठ से नौ तीव्रता वाले भूकंप के आने की संभावना रहती है. इस जोन में देश का पूरा पूर्वोत्तर इलाका, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तरांचल के इलाके, गुजरात का कच्छ, उत्तर बिहार और अंडमान निकोबार द्वीप शामिल है. कमजोर क्षेत्रों या फॉल्ट के माध्यम से तनाव ऊर्जा का मुक्त होना, जो भारतीय प्लेट के उत्तर की और खिसकने तथा यूरेशियन प्लेट के साथ इसकी टक्कर के परिणामस्वरूप जमा होती है.
हिमालय भूकंपीय बेल्ट, भारतीय तट यूरेशियन प्लेट से अभिसरण क्षेत्र में स्थित है. हिमालयी क्षेत्र में भूकंप मुख्यत: मेन सेंट्रल थ्रस्ट और हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट से बीच ही आते हैं. इन भूकंपों का कारण द्विध्रुवीय सतह पर प्लेटों का आपस में खिसकना है. दिल्ली-हरिद्वार कगार, महेंद्र गढ़-देहरादून भ्रंश, मुरादाबाद भ्रंश, सोहना भ्रंश, ग्रेट बाउंड्री भ्रंश, दिल्ली-सरगोडा कगार, यमुना तथा यमुना गंगा नदी की दरार रेखाएं जैसे कमजोर क्षेत्र और फॉल्ट स्थित है. इन कमजोर क्षेत्रों तथा भ्रंशों से आंतरिक तनाव ऊर्जा बाहर निकल सकती है और किसी बड़े भूकंप का कारण बन सकती है.
यह हैं जोन : पांचवां : जम्मू और कश्मीर का हिस्सा (कश्मीर घाटी), हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा, उत्तराखंड का पूर्वी हिस्सा, गुजरात में कच्छ का रण, उत्तरी बिहार का हिस्सा, भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं.
चौथा जोन : जम्मू और कश्मीर के शेष हिस्से, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बाकी हिस्से, हरियाणा के कुछ हिस्से, पंजाब के कुछ हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से, बिहार और पश्चिम बंगाल का छोटा हिस्सा, गुजरात, पश्चिमी तट के पास महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा और पश्चिमी राजस्थान का छोटा हिस्सा इस जोन में आता है.
तीसरा जोन : केरल, गोवा, लक्षद्वीप समूह, उत्तर प्रदेश और हरियाणा का कुछ हिस्सा, गुजरात और पंजाब के बचे हुए हिस्से, पश्चिम बंगाल का कुछ इलाका, पश्चिमी राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार का कुछ इलाका, झारखंड का उत्तरी हिस्सा और छत्तीसगढ़. महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक का कुछ इलाका. दूसरा जोन : राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु का बचा हुआ हिस्सा. पहले जोन से कोई खतरा नहीं होता.
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