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मॉब लिंचिंग के खिलाफ हथियार लाइसेंस के लिए करें आवेदन : महमूद प्राचा

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Published : Jul 15, 2019, 12:14 PM IST

मॉब लिंचिंग के बढते मामलों के चलते डर के साये में जीने वालों के लिए लखनऊ में अभियान शुरू किया जा रहा है. जिसमें उन्हें आत्मरक्षा के गुर सिखाने के साथ ही शस्त्र लाइसेंस की बात कही गई है.

आत्मरक्षा के लिए हथियार लाइसेंस के लिए करे आवेदन

लखनऊ: बीते कई महीनों में देशभर में मॉब लिंचिंग के मामले सामने आए हैं. यूपी भी इससे अछूता नहीं है. इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश के छह जिलों समेत देशभर में कैंप लगाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के वकील महमूद प्राचा ने कहा कि दलितों, आदिवासियों और मुसलमानों को मॉब लिंचिंग से बचने के लिए आत्मरक्षा के गुर सीखने होंगे. इसके साथ ही उन्हें शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन भी करना चाहिए, जिसके लिए 26 जुलाई से लखनऊ में अभियान शुरू किया जाएगा.

शिया मौलवी और मजलिस-ए-उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जव्वाद और सुप्रीम कोर्ट के वकील महमूद प्राचा के सुझाव पर लखनऊ में इस आंदोलन के लिए पहला शिविर आयोजित किया जाएगा. ये शिविर देश के 12 शहरों में आयोजित किए जाएंगे, जिनमें 6 उत्तर प्रदेश में होगे. प्राचा ने कहा कि एससी /एसटी और अल्पसंख्यकों को सरकार द्वारा दरकिनार कर दिया गया है. ऐसे में ये लोग आसानी से भीड़ का शिकार हो जाते हैं. इस तरह के परिवेश में आत्मरक्षा के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.

प्राचा ने कहा, अगर सरकार घृणा अपराध के अपराधियों के खिलाफ कड़े कदम उठाती, तो हमें ऐसा कोई उपाय नहीं करना पड़ता. संविधान और भारतीय दंड संहिता (IPC) में कठोर कानून हैं, जिन्हें सरकार को लागू करना चाहिए, अगर सरकार कोई कठोर कदम उठाएगी तो हम आंदोलन वापस ले लेंगे.

लखनऊ: बीते कई महीनों में देशभर में मॉब लिंचिंग के मामले सामने आए हैं. यूपी भी इससे अछूता नहीं है. इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश के छह जिलों समेत देशभर में कैंप लगाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के वकील महमूद प्राचा ने कहा कि दलितों, आदिवासियों और मुसलमानों को मॉब लिंचिंग से बचने के लिए आत्मरक्षा के गुर सीखने होंगे. इसके साथ ही उन्हें शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन भी करना चाहिए, जिसके लिए 26 जुलाई से लखनऊ में अभियान शुरू किया जाएगा.

शिया मौलवी और मजलिस-ए-उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जव्वाद और सुप्रीम कोर्ट के वकील महमूद प्राचा के सुझाव पर लखनऊ में इस आंदोलन के लिए पहला शिविर आयोजित किया जाएगा. ये शिविर देश के 12 शहरों में आयोजित किए जाएंगे, जिनमें 6 उत्तर प्रदेश में होगे. प्राचा ने कहा कि एससी /एसटी और अल्पसंख्यकों को सरकार द्वारा दरकिनार कर दिया गया है. ऐसे में ये लोग आसानी से भीड़ का शिकार हो जाते हैं. इस तरह के परिवेश में आत्मरक्षा के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.

प्राचा ने कहा, अगर सरकार घृणा अपराध के अपराधियों के खिलाफ कड़े कदम उठाती, तो हमें ऐसा कोई उपाय नहीं करना पड़ता. संविधान और भारतीय दंड संहिता (IPC) में कठोर कानून हैं, जिन्हें सरकार को लागू करना चाहिए, अगर सरकार कोई कठोर कदम उठाएगी तो हम आंदोलन वापस ले लेंगे.

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