लखनऊ: माफिया मुख़्तार अंसारी ने अपने ऊपह हुए हमले में गवाहों के टूटने की आशंका के चलते गवाही न कराने की मांग की है. इस पर एमपी एमएलए के विशेष न्यायाधीश हरबंस नारायण ने मुख़्तार के गवाह रमेश की गवाही को समाप्त कर दिया है. कोर्ट ने मामले में अगली गवाही दर्ज करने के लिए 16 अक्टूबर की तारीख तय की है.
इसके पहले मुख़्तार अंसारी की ओर से कोर्ट में एक अर्जी देकर बताया गया कि वह मामले का वादी है तथा उसने घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए रमेश को तहरीर लेकर भेजा था, जिसकी आज गवाही होनी है. अर्जी में कहा गया कि वादी मुख़्तार अंसारी को इस बात का व्यक्तिगत ज्ञान है कि विपक्षी बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह समेत अन्य ने गवाह रमेश को आर्थिक लाभ और धमकी देकर अपने पक्ष में गवाही देने के लिए मजबूर कर दिया है. लिहाज़ा गवाह रमेश की गवाही न कराकर उसे डिस्चार्ज कर दिया जाए.
वहीं, ब्रजेश सिंह के वकील अवधेश सिंह और वरुण चंद्रा ने मुख़्तार अंसारी की इस अर्जी पर आपत्ति जताते हुए कहा कि मुख़्तार के द्वारा गवाह पर लगाए गए सभी आरोप झूठे और निराधार है. मुख़्तार अंसारी की ओर से पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर अर्जी दी गई है. वहीं, सरकारी वकील ने भी मुख़्तार की अर्ज़ी का समर्थन करते हुए बताया कि गवाह रमेश ने मुख़्तार अंसारी के खिलाफ गाजीपुर जनपद के मरदह थाने में 15 सितंबर को रिपोर्ट दर्ज कराई है. लिहाजा गवाह की गवाही नहीं करानी चाहिए. इसके बाद कोर्ट ने गवाह रमेश को गवाही से डिस्चार्ज करने का आदेश दिया.
पत्रावली के अनुसार, तत्कालीन विधायक मुख़्तार अंसारी ने कैंट थाने में 13 जनवरी 2004 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वह अपनी गाड़ी से परिवार के साथ गाजीपुर से लखनऊ आ रहा था. तभी रात आठ बजे जब वह कैंटोनमेंट चौराहे पर पहुंचा. तो वहां पर कई गाड़ियो में मौजूद विधायक कृष्णानन्द राय, बृजेश सिंह, त्रिभुवन सिंह और अजय सिंह ने एके 47 समेत अन्य हथियारों से लैस थे. जो अपने साथियों के साथ मिलकर मुख़्तार अंसारी और उसके साथियों पर गोलिया चलाने लगे.
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