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मुख्तार अंसारी को फिर नहीं किया गया पेश, कोर्ट ने मुख्य सचिव को जारी किया पत्र

मुख्तार अंसारी को एक बार फिर पेश न किए जाने से एमपी-एमएलए कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने मुख्य सचिव को पत्र जारी करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मामला 20 साल से लम्बित है, लेकिन कई आदेशों के बावजूद मुख्तार अंसारी को पेश नहीं किया जा रहा है.

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Published : Sep 10, 2021, 10:08 PM IST

मुख्तार अंसारी को फिर नहीं किया गया पेश
मुख्तार अंसारी को फिर नहीं किया गया पेश

लखनऊः एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने कारापाल व उपकारापाल पर हमला, जेल में पथराव व जानमाल की धमकी देने के एक मामले में अभियुक्त मुख्तार अंसारी को शुक्रवार को भी पेश नहीं करने पर गहरी नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने एक बार फिर से मुख्तार की व्यक्तिगत पेशी के लिए प्रमुख सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त महानिदेशक कारागार, पुलिस कमिश्नर लखनऊ व बांदा जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक को पत्र भेजने का आदेश दिया है. वहीं कोर्ट ने इस बार मुख्य सचिव को भी पत्र भेजने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि यह मामला 20 साल से लम्बित है, लेकिन कई आदेशों के बावजूद मुख्तार अंसारी को पेश नहीं किया जा रहा है. कोई आख्या भी नहीं भेजी जा रही है. जबकि उसके खिलाफ आरोप तय होना है. इसी के चलते पिछली सुनवाई पर मुख्तार की पत्रावली अलग कर अन्य मुल्जिम लाल जी यादव, कल्लू पंडित, युसुफ चिश्ती व आलम के खिलाफ आरोप तय कर दिया गया.

अब साक्ष्य की कार्यवाही शुरु होनी है. ऐसी स्थिति में मुख्तार अंसारी के संदर्भ में आख्या आना आवश्यक है. बावजूद इसके अभियोजन कोई रुचि नहीं ले रहा है, जिससे कार्यवाही आगे नहीं बढ़ पा रही है. यह आपत्तिजनक स्थिति है. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 सितंबर की तिथि तय की है.


इस मामले की एफआईआर 3 अप्रैल 2000 को लखनऊ के कारापाल एसएन द्विवेदी ने थाना आलमबाग में दर्ज कराई थी. इस मामले में मुख्तार अंसारी, युसुफ चिश्ती, आलम, कल्लू पंडित व लालजी यादव आदि को नामजद किया गया था.

पढ़ें- बड़ा फैसला: मथुरा-वृंदावन तीर्थस्थल घोषित, शराब और मांस की बिक्री पर प्रतिबंध

लखनऊः एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार राय ने कारापाल व उपकारापाल पर हमला, जेल में पथराव व जानमाल की धमकी देने के एक मामले में अभियुक्त मुख्तार अंसारी को शुक्रवार को भी पेश नहीं करने पर गहरी नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने एक बार फिर से मुख्तार की व्यक्तिगत पेशी के लिए प्रमुख सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त महानिदेशक कारागार, पुलिस कमिश्नर लखनऊ व बांदा जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक को पत्र भेजने का आदेश दिया है. वहीं कोर्ट ने इस बार मुख्य सचिव को भी पत्र भेजने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि यह मामला 20 साल से लम्बित है, लेकिन कई आदेशों के बावजूद मुख्तार अंसारी को पेश नहीं किया जा रहा है. कोई आख्या भी नहीं भेजी जा रही है. जबकि उसके खिलाफ आरोप तय होना है. इसी के चलते पिछली सुनवाई पर मुख्तार की पत्रावली अलग कर अन्य मुल्जिम लाल जी यादव, कल्लू पंडित, युसुफ चिश्ती व आलम के खिलाफ आरोप तय कर दिया गया.

अब साक्ष्य की कार्यवाही शुरु होनी है. ऐसी स्थिति में मुख्तार अंसारी के संदर्भ में आख्या आना आवश्यक है. बावजूद इसके अभियोजन कोई रुचि नहीं ले रहा है, जिससे कार्यवाही आगे नहीं बढ़ पा रही है. यह आपत्तिजनक स्थिति है. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 सितंबर की तिथि तय की है.


इस मामले की एफआईआर 3 अप्रैल 2000 को लखनऊ के कारापाल एसएन द्विवेदी ने थाना आलमबाग में दर्ज कराई थी. इस मामले में मुख्तार अंसारी, युसुफ चिश्ती, आलम, कल्लू पंडित व लालजी यादव आदि को नामजद किया गया था.

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