लखनऊ : मोहनलालगंज में बीते 30 दिसंबर को अधिवक्ताओं की कार से बाइक सवार स्वास्थ्यकर्मी घायल हो गया था. इस हादसे के बाद पुलिस ने अधिवक्ताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. मुकदमा दर्ज किए जाने से नाराज बार एसोसिएशन ने 31 दिसंबर को नेशनल हाईवे जाम कर दिया था. इस मामले में पुलिस और वकीलों ने एक दूसरे पर कई आरोप लगाए थे. हाईवे जाम करने के मामले में पुलिस ने अधिवक्ताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. बहरहाल अब लखनऊ पुलिस बैकफुट पर नजर आ गई है और अंतिम रिपोर्ट लगा दी है. हालांकि अधिवक्ताओं ने हड़ताल जारी रखने की घोषणा की है. 31 जनवरी को अधिवक्ताओं की संयुक्त सभा में संचालन अध्यक्ष द्वारा आगे की रणनीति बनाई जाएगी.
मोहनलालगंज बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कौशलेंद्र शुक्ला, मंत्री राम लखन यादव व पूर्व अध्यक्ष व एल्डर कमेटी के अध्यक्ष केपी सिंह ने बताया कि पूर्व में कमेटी द्वारा निर्धारित किया गया था कि 28 जनवरी से 31 जनवरी तक अधिवक्ता सभी तहसीलों में कार्य बहिष्कार सहित रजिस्ट्री के कार्य से विरत रहेंगे. पुलिस द्वारा सोशल मीडिया पर 300 अधिवक्ताओं के विरुद्ध दर्ज की एफआईआर के वापस लेने का मामला चल रहा है, लेकिन हमारे किसी भी कमेटी के अध्यक्ष अधिवक्ताओं को पुलिस द्वारा इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है. इसलिए अभी हमारी हड़ताल जारी रहेगी. 31 जनवरी को अधिवक्ताओं का संयुक्त सभा होना है जिसमें आगे का निर्णय लिया जाएगा.
दरअसल, लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के मोहनलालगंज कोतवाली क्षेत्र के कस्बे में हुए सड़क हादसे के बाद पुलिस ने अधिवक्ता अश्वनी सिंह और अरुण ओझा को हिरासत में लिया था. अधिवक्ताओं ने पुलिस पर हिरासत में लेकर पीटने का आरोप लगाया था. इसके बाद अधिवक्ताओं ने प्रदर्शन करते हुए लखनऊ-प्रयागराज नेशनल हाईवे 9 घंटे के लिए जाम कर दिया था. इस पर पुलिस ने तीन सौ अज्ञात अधिवक्ताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद से अधिवक्ता कई बार हड़ताल कर चुके हैं. पुलिस ने दोनों ही मुकदमों में अंतिम रिपोर्ट लगाते हुए मुकदमों को समाप्त कर दिया है. मामले में पीड़ित से शपथ पत्र लेकर मुकदमे को समाप्त किया गया है.
पीड़ित ने कहा है कि वह इस मामले में आ गई कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं. वहीं प्रदर्शनकारी अधिवक्ताओं के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमे में पुलिस के मुताबिक अधिवक्ताओं की शिनाख्त नहीं हो सकी है.. ऐसे में सवाल यह भी है कि आखिर 9 घंटे नेशनल हाईवे जाम होने का जिम्मेदार कौन है. इसके पहले एसीपी धर्मेन्द्र सिंह रघुवंशी का ट्रांसफर भी किया जा चुका है. कोतवाली में वकीलों की पिटाई करने के आरोपी दारोगा राजकुमार और वीके सरोज को ट्रांसफर कर उनके विरुद्ध एफआईआर भी दर्ज की जा चुकी है.