लखनऊ: सीएम योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देश के बावजूद राज्यमंत्रियों को उनके कैबिनेट मंत्रियों और स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्रियों से कामकाज आवंटित नहीं हो रहा है. जिससे नाराजगी बढ़ती चली जा रही है. कई बैठकों में मुख्यमंत्री की तरफ से लगातार कैबिनेट मंत्रियों स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों को राज्यमंत्रियों के साथ समन्वय बनाकर उनके साथ कामकाज का बंटवारा करते हुए सरकार के कामकाज आगे बढ़ाने को लेकर न सिर्फ हिदायत दी जाती है बल्कि दिशा निर्देश भी दिए जाते हैं, लेकिन इन सबके बावजूद राज्यमंत्रियों को काम आवंटित न होने से नाराजगी बढ़ रही है और उसको लेकर सरकार की भी खूब किरकिरी हो रही है. जहां लोगों में ऐसा संदेश जा रहा है कि योगी सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.
दरअसल, जल शक्ति विभाग के राज्यमंत्री दिनेश खटीक की नाराजगी और इस्तीफा देने के चलते योगी सरकार की खूब फजीहत हो गई. दिनेश खटीक ने अपना इस्तीफा न सिर्फ राजभवन भेजा है बल्कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखकर अपनी पीड़ा बयां की है. उस पत्र में यह कहा गया है कि विभाग में भ्रष्टाचार हुआ है ट्रांसफर में अनियमितता बढ़ती गई है और 'नमामि गंगे योजना' सहित तमाम योजनाओं में भ्रष्टाचार की बात उजागर की है. यहां तक अफसरों की मनमानी का भी जिक्र उन्होंने किया है.
जल शक्ति विभाग के कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को लेकर भी उन्होंने नाराजगी जताई है. दिनेश खटीक की नाराजगी और इस्तीफा देने के चलते लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मचा हुआ है और बीजेपी नेतृत्व इससे न सिर्फ चिंतित हो गया बल्कि अजहज हो गया और डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू हो गई है.
वहीं दूसरी तरफ अपने विभाग के मंत्री और विभाग में कामकाज आवंटित न होने से सिर्फ दिनेश खटीक ही नाराज नहीं है बल्कि योगी सरकार के कई राज्यमंत्री भी नाराज चल रहे हैं और उन्होंने अपनी पीड़ा सरकार व संगठन के स्तर पर व्यक्त की है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के बावजूद कैबिनेट मंत्रियों, स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों ने अपने मातहत यानी राज्य मंत्रियों को विभागों में कामकाज आवंटित नहीं किया हुआ है. सरकार गठन के 100 दिनों के बाद भी यही स्थिति है. जिससे राज्यमंत्रियों में लगातार नाराजगी बढ़ रही है.
जल शक्ति विभाग के एक दूसरे राज्यमंत्री रामकेश निषाद को भी जलशक्ति विभाग के कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह की तरफ से कामकाज का आवंटन नहीं किया गया. इसी प्रकार ग्रामीण विकास राज्य मंत्री विजय लक्ष्मी गौतम को केवल गांव में जाकर ग्राम विकास परियोजनाओं का निरीक्षण करने के लिए कहा गया है. श्रम एवं सेवायोजन राज्य मंत्री मनोहर लाल को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से जुड़ा हुआ ही काम दिया गया है. इससे वह नाराज बताए जा रहे हैं.
संसदीय कार्य और औद्योगिक विकास राज्य मंत्री जसवंत सैनी, कारागार राज्य मंत्री सुरेश राही, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी को भी कामकाज का आवंटन नहीं किया गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने साथ सम्बद्ध सभी राज्य मंत्रियों को कार्य आवंटित कर दिए हैं और समय-समय पर बतौर प्रतिनिधि क्षेत्रों में भेजते हैं. जबकि कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र वाले राज्य मंत्रियों की तरफ से अपने राज्य मंत्रियों को कामकाज न मिलने से नाराजगी भी बढ़ रही है. इसके अलावा जब मंत्री की तरफ से कामकाज का आवंटन नहीं किया गया और उन्हें अधिकारियों की तरफ से भी ठीक ढंग से सम्मान नहीं मिल रहा. यहां तक बैठक आदि की भी सूचना नहीं मिलती. जिस बात का जिक्र दिनेश खटीक ने अपने पत्र में किया है. इसके अलावा ट्रांसफर पोस्टिंग आदि की सिफारिश भी नहीं सुनी जाती. इन सब वजहों से सरकार के राज्यमंत्री काफी परेशान हैं और खुद को असहज महसूस कर रहे हैं. जिसको लेकर उन्होंने अपनी पीड़ा सरकार व संगठन के उच्च स्तर पर व्यक्त की है.
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