लखनऊ: नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर नमक विधेयक के मुद्दे पर रविवार को एक बैठक आयोजित की गई. बैठक में राजधानी के तमाम संगठन सामाजिक कार्यकर्ता और जिलेभर से कई लोग कैफी आजमी अकादमी लखनऊ में एकत्र हुए. सभी ने एक स्वर में इस विधेयक के विरोध में अपनी बात रखी.
NRC और सीएबी बिल के विरोध में बैठक
इस बैठक में नागरिकता संशोधन विधेयक और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी सीएबी और एनआरसी से संबंधित व्यापक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई. बैठक में अमीक जामई ने कहा कि लोगों को सरकार के असंवैधानिक कदमों का खुलकर विरोध करना चाहिए. सीएबी और एनआरसी के बारे में जागरुकता लोगों में फैले जरूरी है, लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि यह दोनों प्रावधान भारत की छवि को खराब कर देंगे.
वहीं सरकार असली मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाना चाहती है. इसके साथ ही यह सरकार सांप्रदायिक विभाजन भी पैदा करने की कोशिश कर रही है, इसलिए हमें एक साथ इस विधेयक के खिलाफ आना होगा.
सपा के प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी ने कहा कि भारत में धर्म कभी भी नागरिकता का आधार नहीं रहा है. धर्मनिरपेक्षता संविधान की मूल संरचना है. सीएबी और एनआरसी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और हमारे देश के संविधान को बचाने के लिए इसका विरोध किया जाना जरूरी है.
वुमन एक्टिविस्ट ताहिरा हसन ने कहा कि एनआरसी और सीएबी भारत को अलग और लोगों में फूट डालने का काम करेंगे. इससे सरकार की मंशा जाहिर हो रही है. इस वजह से हम इसके खिलाफ प्रदर्शन भी करने जा रहे हैं.
इस बैठक में मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली, प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद, प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा, प्रोफेसर रमेश दीक्षित, प्रोफेसर पवन राव अंबेडकर, ओवैस सुल्तान खान और मानवाधिकार कार्यकर्ता खालिद चौधरी समेत कई लोग शामिल हुए.
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