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Medical News : 2डी इको मशीन लाने की एक साल से चल रही कवायद, फैसेलिटीज न मिलने से मरीज गवां रहे जान

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 3, 2023, 11:36 AM IST

बलरामपुर अस्पताल और लोकबंधु अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट होने के बावजूद मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है. इसका कारण है स्वास्थ्य विभाग की लचर कार्यशैली. बीते एक साल इन अस्पतालों में एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टिक के लिए 2डी इको मशीन लाने की कवायद सिर्फ कागजों पर हो रही है. नतीजतन मरीजों को भटकना पड़ रहा है.

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2डी इको मशीन ने होने से परेशानी. देखें खबर

लखनऊ : बलरामपुर अस्पताल और लोकबंधु अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट तो है, लेकिन इन अस्पतालों में हार्ट के मरीजों को इलाज नहीं मिलता है. जब भी कोई मरीज इन अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचता है तो प्राथमिक इलाज देकर इन्हें बड़े मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया जाता है. जिस कारण उन मेडिकल संस्थानों में मरीजों की काफी भीड़ रहती है. इन अस्पतालों में कार्डियोलॉजिस्ट होने के बावजूद फैसेलिटीज की इतनी कमी है कि मरीज को कई बार जान से हाथ भी धोना पड़ जाता है. एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टिक के लिए 2डी इको मशीन की आवश्यकता होती है. कागजों पर इस मशीन को पिछले एक साल से लाने की कवायद चल रही है, लेकिन अभी तक अस्पताल में पहुंची नहीं है.

यूपी स्वास्थ्य न्यूज.
यूपी स्वास्थ्य न्यूज.



बलरामपुर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला अस्पताल है, लेकिन यहां एक भी हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं है. विशेषज्ञ तो दूर की बात है, डिप्लोमाधारी कार्डियोलाजिस्ट भी नहीं हैं. एक प्रशिक्षण प्राप्त डाॅक्टर के भरोसे कार्डियोलाजी की ओपीडी चल रही है. सबसे खास बात यह है कि यहां ईको और टीएमटी जांच की सुविधा नहीं है. अस्पताल को लंबे समय से दोनों जांच मशीन का इंतजार है. बलरामपुर की कार्डियोलाजी ओपीडी में लखनऊ के आलावा आसपास के जिलों से लगभग 150- 200 मरीज हर दिन पहुंचते हैं. इनमें करीब 15-20 गंभीर होते हैं, जिन्हें प्राथमिक इलाज देकर उच्च संस्थानों के लिए रेफर कर दिया जाता है. अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. अतुल मेहरोत्रा के मुताबिक टूडी- ईको और टीएमटी मशीन खरीदने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. जल्द ही दोनों मशीनें स्थापित की जाएंगी और कार्डियोलाजिस्ट की भी तैनाती की जाएगी.

लोकबंधु अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग को कई साल से विशेषज्ञ डाॅक्टर का इंतजार है. अस्पताल में हृदय रोगी की ओपीडी मेडिसिन के डाॅक्टर के भरोसे चल रही है. यहां रोजाना 50-60 हृदय रोगी आते हैं. इनमें 5-6 गंभीर मरीज होते हैं, लेकिन अस्पताल में प्राथमिक जांच की भी सुविधा नहीं होने से तत्काल रेफर कर दिया जाता है. लोकबंधु अस्पताल के एमएस डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि अस्पताल प्रशासन की ओर से ईको और टीएमटी मशीन लगाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन अभी मंजूरी नहीं मिली है. खास बात यह है कि कई तरह की सर्जरी में भी ईको और टीएमटी की जांच की जरूरत होती है. मरीज निजी डायग्नोस्टिक सेंटर से जांच कराने को मजबूर हैं.

यह भी पढ़ें : स्वास्थ्य पर रहेगा सरकार का फोकस, सुनिए आर्थिक विशेषज्ञ की राय

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2डी इको मशीन ने होने से परेशानी. देखें खबर

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यूपी स्वास्थ्य न्यूज.
यूपी स्वास्थ्य न्यूज.



बलरामपुर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला अस्पताल है, लेकिन यहां एक भी हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं है. विशेषज्ञ तो दूर की बात है, डिप्लोमाधारी कार्डियोलाजिस्ट भी नहीं हैं. एक प्रशिक्षण प्राप्त डाॅक्टर के भरोसे कार्डियोलाजी की ओपीडी चल रही है. सबसे खास बात यह है कि यहां ईको और टीएमटी जांच की सुविधा नहीं है. अस्पताल को लंबे समय से दोनों जांच मशीन का इंतजार है. बलरामपुर की कार्डियोलाजी ओपीडी में लखनऊ के आलावा आसपास के जिलों से लगभग 150- 200 मरीज हर दिन पहुंचते हैं. इनमें करीब 15-20 गंभीर होते हैं, जिन्हें प्राथमिक इलाज देकर उच्च संस्थानों के लिए रेफर कर दिया जाता है. अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डाॅ. अतुल मेहरोत्रा के मुताबिक टूडी- ईको और टीएमटी मशीन खरीदने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. जल्द ही दोनों मशीनें स्थापित की जाएंगी और कार्डियोलाजिस्ट की भी तैनाती की जाएगी.

लोकबंधु अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग को कई साल से विशेषज्ञ डाॅक्टर का इंतजार है. अस्पताल में हृदय रोगी की ओपीडी मेडिसिन के डाॅक्टर के भरोसे चल रही है. यहां रोजाना 50-60 हृदय रोगी आते हैं. इनमें 5-6 गंभीर मरीज होते हैं, लेकिन अस्पताल में प्राथमिक जांच की भी सुविधा नहीं होने से तत्काल रेफर कर दिया जाता है. लोकबंधु अस्पताल के एमएस डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि अस्पताल प्रशासन की ओर से ईको और टीएमटी मशीन लगाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन अभी मंजूरी नहीं मिली है. खास बात यह है कि कई तरह की सर्जरी में भी ईको और टीएमटी की जांच की जरूरत होती है. मरीज निजी डायग्नोस्टिक सेंटर से जांच कराने को मजबूर हैं.

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