लखनऊ : वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार बनते ही दावे किए गए कि अपराधी या तो जेल में होंगे या फिर यमराज के पास. जो यमराज के पास गए वो तो दुनिया से विदा हो गए, लेकिन जो जेल में हैं उनकी मौज बीते सरकार में भी जारी थी और आज भी. जेल में सख्ती 'ये सिर्फ तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है' कहावत को ही चरितार्थ कर रहे हैं. इसकी तस्दीक बागपत जेल में युद्ध का मैदान, देवरिया जेल में अतीक अहमद की अदालत, रायबरेली जेल में अंशु दीक्षित का दस्तरखान, चित्रकूट जेल में अब्बास की अय्याशी और बरेली जेल में अशरफ की बेधड़क शूटर्स से मुलाकातें कर रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सच में कभी यूपी की जेल असल में जेल बन पाएंगी.
वर्ष 2018, देवरिया जेल में बंद माफिया अतीक अहमद पर योगी सरकार की सख्त पॉलिसी का कोई भी असर नहीं दिख रहा था. सरकार के दावों की पोल तब खुली जब राजधानी लखनऊ से एक व्यापारी मोहित जायसवाल का अतीक का बेटा उमर अपहरण करता है और उसे लेकर बेधड़क देवरिया जेल पहुंच जाता है. जेल में अतीक का साम्राज्य चल रहा था, लिहाजा वहां मोहित जयसवाल की पिटाई की गई. उसकी कंपनियों और जमीनों को अतीक ने अपने रिश्तेदारों के नाम करवा दी और उसे जेल से बाहर फिकवा दिया. इसी साल रायबरेली की जेल में अंशु दीक्षित नाम का कुख्यात अपराधी मुर्गे और दारू की पार्टी करता है. उसके एक साथी के पास स्मार्टफोन मौजूद रहता है और अंशु जेल से ही फोन पर अपने गुर्गों को रंगदारी और अपहरण जैसे अपराधों को करने के निर्देश देता है. वर्ष 2018 में न सिर्फ देवरिया और रायबरेली बल्कि आगरा, गाजीपुर, नैनी, उन्नाव और आजमगढ़ जेल में अपराधी मौज करते दिखे. नियमों को ताक पर रखकर उनकी मुलाकातें होती रहीं और फोन, शराब उन तक पहुंचाया जाता रहा. इन सभी कांड से सरकार और विभाग की काफी किरकिरी हुई. उस समय सरकार का पक्ष आया कि पिछली सरकार में मची अंधेरगर्दी को खत्म करने में थोड़ा वक्त लगेगा, जिसके बाद कई कड़े नियम लागू किए गए.
मौज रोकने के लिए बनाए गए सख्त नियम : वर्ष 2019 में योगी सरकार के पहले टर्म के दूसरे साल ही डीजी जेल ने राज्य भर की जेलों में बंद कुख्यात अपराधी, आतंकी और माफिया से मुलाकात करने के लिए कई कड़े नियम तय कर दिए. जिसके मुताबिक, इन कुख्यात अपराधियों की मुलाकात सीसीटीवी सर्विलांस में ही कराई जाए. इसके अलावा मुलाकात सिर्फ खून से संबधित रिश्तेदारों को ही करने की इजाजत होगी, वह भी जेलर या डिप्टी जेलर वहां मौजूद होना आवश्यक होगा. कुख्यात बंदियों से हर मुलाकाती की डिटेल रजिस्टर में लिखी जाएगी. मुलाकात सिर्फ उन्हीं से कराई जाएगी, जिनका बंदी के जेल आते समय रजिस्टर में नाम लिखा गया होगा. अधिकारियों ने इन सख्त निर्देशों को जारी तो कर दिया, लेकिन उनका पालन हो रहा है या नहीं इसका परीक्षण बीते पांच वर्षों में किया ही नहीं गया, लिहाजा सूबे भर की जेलों में बंद माफिया और कुख्यात अपराधी मनमाफिक मुलाकातें करते रहे और जेल से ही अपना गैंग ऑपरेट करने लगे.
दो साल में ही सख्त नियमों की उड़ गई धज्जियां
- जेल विभाग के सख्त निर्देशों के बाद भी नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही थीं. इसकी तस्दीक तब हुई जब 2021 में चित्रकूट जेल में उसी कुख्यात अपराधी अंशु दीक्षित के पास पिस्टल पहुंच गई, जो रायबरेली जेल में अय्याशी कर रहा था. चित्रकूट जेल में अंशु दीक्षित ने पिस्टल से तीन बंदियों की हत्या कर दी.
- वर्ष 2023 में डीजी जेल के सख्त निर्देशों के बाद भी अब्बास अंसारी चित्रकूट जेल में अपनी पत्नी निखत के साथ अवैध रूप से प्राइवेट कमरे में मुलाकात कर रहा था. जेल के सभी अधिकारी इस मुलाकात को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अब्बास से महंगे-महंगे गिफ्ट ले रहे थे. डीएम और एसएसपी ने छापेमारी की तो अब्बास और उसकी पत्नी निखत को रंगे हाथ पकड़ा. इस मामले में जेल अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के साथ साथ गिरफ्तारियां भी की गईं.
- यही नहीं इसी साल बरेली जेल में बंद अतीक अहमद का भाई अशरफ प्रयागराज में उमेश पाल की हत्या करने की साजिश रच रहा था. जेल में अशरफ से कई बार शूटर्स मुलाकात करने पहुंचे थे. कुछ ऐसे भी अपराधी बरेली जेल में अशरफ से मुलाकात कर रहे थे, जो खुद कुख्यात अपराधी थे. बावजूद इसके जेल कर्मियों की संलिप्ता के चलते अशरफ से लोगों को अवैध मुलाकातें कराई जा रही थीं.
क्या कहते हैं जेल महानिदेशक? : जेल महानिदेशक आनंद कुमार कहते हैं कि 'राज्य की सभी जेलों के हाई सिक्योरिटी जेल में बंद कुख्यात अपराधियों की चौबीस घंटे मुख्यालय से नजर रखी जाती है, हालांकि कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जहां लापरवाही बरती गई है. जिसके चलते जेल अधिकारियों पर कार्रवाई भी की गई है. उन्होंने बताया एक बार फिर से सभी जेल अधीक्षकों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि 2019 में जारी किए गए दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन करने के साथ ही हर कुख्यात अपराधी की निगरानी कर रहे सीसीटीवी की लाइव फीड हर हाल में मुख्यालय को मिलनी चाहिए.
पूर्व डीजीपी एके जैन कहते हैं कि 'यूपी की जेलों के सुधार के लिए काम हो रहा है ये सच है, लेकिन ये भी सच है कि जेल से समय समय पर ऐसी सूचनाएं आती हैं जो सोचने को मजबूर कर देती हैं. जैन के मुताबिक, जेल से भ्रष्टाचार को दूर करने का एक ही उपाय है कि जो नए जेल आरक्षी भर्ती हुए हैं उन्हें जल्द तैनाती देकर जेलों में पहले से तैनात आरक्षियों और वॉर्डर को सुदूर जेलों में तैनात किया जाए. यही नहीं जिनकी शिकायतें अधिक हों उन्हें तो प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरित कर दूर की जेलों में भेजें. जैन के मुताबिक, मौजूदा समय जेल विभाग के पास आधुनिक उपकरणों की कमी नहीं है. सीसीटीवी कैमरे लगभग हर जेल में लगाए जा चुके हैं, बॉडी वॉर्न कैमरे भी जेल कर्मियों के पास मौजूद हैं, बावजूद इसके लापरवाही बरती जा रही है. इसके पीछे का कारण आलाधिकारियों द्वारा समय-समय पर परीक्षण न करना और सीसीटीवी फुटेज न चेक करना ही है.'