लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने नई शिक्षा नीति 2020 को प्रदेश में सबसे पहले लागू किया है. जिस महाविद्यालय में नई शिक्षा नीति के तहत 2 वर्ष की पढ़ाई पूर्ण हो चुकी है. ऐसे में अगले 2 वर्षों में विश्वविद्यालय को नए स्तर से पीएचडी में प्रवेश कराने की प्रक्रिया शुरू करनी है. ज्ञात हो की नई शिक्षा नीति के तहत 4 वर्ष का स्नातक कोर्स करने वाले छात्रों को पीएचडी में प्रवेश दिया जाना है. सत्र 2023-24 के शुरू होने के साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन पीएचडी का नया ऑर्डिनेंस तैयार कर लेना चाहता है. इसके लिए विश्वविद्यालय ने 5 सदस्य कमेटी का गठन किया है जो नया पीएचडी ऑर्डिनेंस तैयार करेगा.
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलसचिव संजय मेधावी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि कुलाधिपति के प्रमुख सचिव की ओर से जारी आदेश के बाद डीन एकेडमिक द्वारा छात्र हित में नए संशोधनों को शामिल करने के प्रस्ताव को कुलपति ने मंजूरी प्रदान कर दी है. जिसके बाद नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप पीएचडी कोर्स में प्रवेश के लिए न ऑर्डिनेंस तैयार करने के लिए समिति का गठन किया गया है. इस समिति में भूगर्भ विभाग के प्रोफेसर विभूति राय, विधि विभाग के प्रोफेसर आरके सिंह, अप्लाइड इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर विमल जायसवाल, अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर आरपी सिंह को सदस्य के तौर पर व डीन अकैडमी प्रोफेसर पूनम टंडन को कोऑर्डिनेटर के रूप में नियुक्त किया गया है.
विश्वविद्यालय का दावा पीएचडी सेशन पटरी पर आया : लखनऊ विश्वविद्यालय का दावा है कि कोविड-19 के बाद पिछड़ रहे पीएचडी सत्र को लखनऊ विश्वविद्यालय ने पटरी पर लाने में कामयाब रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से जारी सूचना के अनुसार विश्वविद्यालय के पीएचडी प्रवेश का सत्र नियमित होकर पटरी पर आ गया है. लखनऊ विश्वविद्यालय ने दावा किया है कि नैक ए++ होने के बाए शोध के लिए आने वाले अभ्यर्थियों की संख्या में तो वृद्धि हुई ही है. साथ ही महिला शोधार्थियों की संख्या में जबरदस्त प्रगति हुई है.
सत्र 2020-21 में जहाँ 213 महिला शोधार्थियों ने पीएचडी में प्रवेश लिया था. वहीं नैक ग्रेड मिलने के बाद सत्र 21-22 में 632 महिला शोधार्थियों ने शोध में प्रवेश लिया है. जो की पिछले वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में 200 प्रतिशत अधिक है. सत्र 2021-22 में पुरुष शोधार्थियों की अपेक्षा महिला शोधार्थियों ने अधिक संख्या में प्रवेश लिया. सत्र 2022-23 के आवेदन चल रहे हैं. इसमें भी अभी तक लगभग 60 प्रतिशत आवेदन महिला शोधार्थियों के आ चुके हैं. इसके अलावा बीते 2 सालों में विभिन्न देशों के 35 अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों ने शोध में प्रवेश लिया है. जो सत्र 2020-21 की तुलना में 100 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. साथ ही सत्र 2021-22 में देश के 19 राज्यों के शोध विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया है.