लखनऊ: हाईकोर्ट (high court) की लखनऊ बेंच ने साइलेंसर मोडिफाई कराके तेज आवाज में बुलेट समेत दूसरी बाइकों द्वारा ध्वनि प्रदूषण (noise pollution) फैलाने पर सख्त रुख अपनाया है. न्यायालय ने इस मुद्दे को 'मोडिफाइड साइलेंसरों से ध्वनि प्रदूषण' टाइटिल से जनहित याचिका के तौर पर दर्ज करते हुए राज्य सरकार से कार्रवाई कर जवाब देने का आदेश दिया है. इस मामले में अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने पारित किया.
हाईकोर्ट ने कहा कि बुलेट व दूसरी बाइकों में आजकल साइलेंसर को मोडिफाई करके तेज आवाज सुनाने का फैशन हो गया है. ऐसे मोडिफाइड साइलेंसरों से इतनी तेज आवाज निकलती है कि सौ मीटर दूर से भी सुनी जा सकती है. इससे बीमार लोगों, बुजुर्गों और बच्चों को खास तौर पर भारी दिक्कतें होती हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में मोटर वेहिकल एक्ट की धारा 52 का भी उल्लेख किया है. इसके तहत वाहनों में मोडिफिकेशन प्रतिबंधित है.
हाईकोर्ट ने इसी एक्ट की धारा 190(2) का भी जिक्र किया है. इसके तहत ध्वनि व वायु प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर कार्रवाई का प्रावधान है. न्यायालय ने आगे कहा कि ध्वनि प्रदूषण (विनियमन व नियंत्रण) नियम 2000 विदेशी बाइकों पर भी लागू होता है. इन टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने आदेश की प्रति प्रमुख सचिव परिवहन, प्रमुख सचिव गृह, पुलिस महनिदेशक, चेयरमैन यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और डीसीपी (यातायात) लखनऊ को भेजने के आदेश दिए हैं. साथ ही इन सभी से इस मामले में कार्रवाई कर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है.
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इस मामले में पारित आदेश में न्यायालय ने टिप्पणी की कि ध्वनि प्रदूषण की तुलना किवदंतियों के एक जीव हाइड्रा से की जा सकती है. जैसे हाइड्रा का एक सिर काटने पर दो और सिर पैदा हो जाते थे, वही हाल ध्वनि प्रदूषण का हो गया है.