लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मुख्तार अंसारी के बेटों अब्बास अंसारी व उमर अंसारी की एक याचिका को खारिज कर दिया है. उक्त याचिका में डालीबाग की एक निष्क्रांत सम्पत्ति पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए कब्जा करने के मामले को लेकर दर्ज एफआईआर को चुनौती दी गई थी.
यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने अब्बास अंसारी और उमर अंसारी की याचिका पर पारित किया. बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता वीके शाही ने न्यायालय को बताया कि मामले में जांच के उपरांत दोनों याचियों के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है. लिहाजा इस स्टेज पर एफआईआर खारिज करने की मांग पोषणीय नहीं रही गई है.
उन्होंने बताया कि मुख्तार अंसारी के खिलाफ विवेचना अभी चल रही है. वहीं याचियों की ओर से दलील दी गई थी कि एफआईआर को पढ़ने से ही याचियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता. कहा गया था कि जब अपराध कारित करने की बात कही जा रही है. तब तो याचियों का जन्म भी नहीं हुआ था. याचियों की ओर से आरोप लगाया गया था कि दुर्भावना के कारण प्राथमिकी लिखाई गई है.
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उल्लेखनीय है कि जियामऊ के प्रभारी लेखपाल सुरजन लाल ने 27 अगस्त 2020 को मुख्तार अंसारी और उसके बेटों के खिलाफ हजरतगंज थाने में इस मामले को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई थी. इसके पूर्व 21 अक्टूबर 2020 को न्यायालय ने मुख्तार के दोनों बेटों को अंतरिम राहत देते हुए, उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. हालांकि मुख्तार की याचिका को खारिज कर दिया था.