लखनऊ: संगठित गिरोह बनाकर, लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर करके, कूटरचित दस्तावेज के सहारे गोमती नगर की बहुमूल्य जमीन को बेचने के आरोपी प्राधिकरण के कनिष्ठ लिपिक पवन कुमार गौतम की अग्रिम जमानत अर्जी को अपर सत्र न्यायाधीश लोकेश वरुण ने खारिज कर दिया है.
कोर्ट में सरकारी वकील एमके सिंह ने अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि लखनऊ विकास प्राधिकरण के नजूल अधिकारी आनंद कुमार सिंह ने गोमती नगर में 8 अक्टूबर 2021 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि गोमती नगर के विनम्र खण्ड की भूखण्ड संख्या 2/202-ए1 एलडीए के अभिलेखों के अनुसार किसी को आवंटित नहीं की गई है.
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आगे कहा गया कि 14 जुलाई 2021 को बाराबंकी के रहने वाले उमाशंकर के पक्ष में उक्त भूखण्ड की फर्जी रजिस्ट्री लखनऊ के रजिस्ट्रार के कार्यालय में कराई गई. दलील दी गई कि इस रजिस्ट्री पर विक्रेता के रुप में वादी के फर्जी और कूटरचित हस्ताक्षर बनाए गए हैं. इसके अलावा प्रथम गवाह के तौर पर रविन्द्र नाथ तिवारी जबकि विलेखकर्ता के तौर पर विवेक कुमार सिंह के जाली और कूटरचित हस्ताक्षर बनाए गए है.
आरोप लगाया गया कि उमाशंकर ने अनूप कुमार और लखनऊ विकास प्राधिकरण के कनिष्ठ लिपिक पवन कुमार और अन्य के साथ मिलकर षड्यंत्र के तहत फर्जी रजिस्ट्री कराकर जमीन अपने नाम कराई है. वहीं, अभियुक्त की ओर से दलील दी गई कि अब तक ऐसा कोई साक्ष्य सामने नहीं आया है, जिससे प्रकरण में अभियुक्त की भूमिका स्पष्ट तौर पर सामने आती हो, हालांकि कोर्ट अभियुक्त पक्ष की दलीलों से संतुष्ट नहीं हुई.
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