लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में राज्य सरकार ने राजधानी के बिजनौर तहसील स्थित 202 एकड़ की वन विभाग की जमीन का मुकदमा जीत लिया है. हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा जारी 70 साल पुराने अधिसूचना को बहाल करते हुए, अपीलीय प्राधिकारी के उस आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें उक्त अधिसूचना को खारिज कर दिया गया था. यह निर्णय न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने उत्तर प्रदेश वन विभाग की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया. याचिका में सरकार के 11 अक्टूबर 1952 व 23 नवम्बर 1955 के अधिसूचनाओं को निरस्त करने सम्बंधी अपीलीय प्राधिकारी के 23 सितम्बर 2020 के आदेश को चुनौती दी गई थी.
दरअसल सरकार ने 11 अक्टूबर 1952 व 23 नवम्बर 1955 को अधिसूचना जारी करते हुए, बिजनौर के खटोला गांव की 202 एकड़ जमीन समेत लखनऊ के विभिन्न तहसीलों की कुछ जमीनों को रिजर्व फॉरेस्ट के तौर अधिसूचित किया गया था. वर्ष 1995 में मेजर जय सिंह गिल ने एक वाद दाखिल करते हुए, उक्त 202 एकड़ की जमीन पर अपने हक का दावा किया. उक्त वाद खारिज हो गया. इसके बाद उन्होंने पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र दिया. उक्त प्रार्थना पत्र भी खारिज कर दिया गया.
वर्ष 2012 में मेजर गिल ने हाईकोर्ट की शरण ली. इस पर हाईकोर्ट ने फॉरेस्ट सेटलमेंट ऑफिसर को मामले को देखने का आदेश दिया. 4 मार्च 2017 को फॉरेस्ट सेटलमेंट ऑफिसर ने भी मेजर गिल के दावे को खारिज कर दिया. इसके बाद उनके वारिसानों ने अपील दाखिल की. उक्त पील को 23 सितम्बर 2020 को मंजूर करते हुए. अपीलीय प्राधिकारी ने 1952 व 1955 के अधिसूचनाओं को खारिज कर दिया. न्यायालय ने अपीलीय प्राधिकारी के उक्त आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि अधिसूचना को खारिज किया जाना अपीलीय प्राधिकारी के क्षेत्राधिकार से बाहर था. न्यायालय ने कहा कि उक्त जमीन 26 जनवरी 1951 को ही राज्य सरकार में निहित हो गई थी. लिहाजा पूर्व के जमींदार को मेजर गिल को कोई पट्टा देने का अधिकार भी नहीं था.