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लखनऊ इस्कॉन मंदिर में पूजा शुरू, जानें श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजन विधि - लखनऊ इस्कॉन मंदिर

राजधानी लखनऊ में स्थित इस्कॉन मंदिर में पूजा पाठ शुरू हो चुकी है. मंदिर में बाहरी लोगों का आना वर्जित किया गया है.

लखनऊ इस्कॉन मंदिर में शुरू हुई पूजा
लखनऊ इस्कॉन मंदिर में शुरू हुई पूजा.
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Published : Aug 12, 2020, 11:22 AM IST

लखनऊः राजधानी के इस्कॉन मंदिर में सुबह चार बजे से पंचामृत अभिषेक, शंख ध्वनि और घंटियों की गूंज के बीच 'नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की' के साथ कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है. कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए मंदिर में पूजा-पाठ हो रही है. मंदिर परिसर में सिर्फ वहां के लोग शामिल हो रहे हैं. बाहरी लोगों के लिए प्रवेश की अनुमति नहीं है.

लखनऊ इस्कॉन मंदिर में शुरू हुई पूजा.
जानें महत्वपूर्ण बातें -गर्ग संहिता और श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार, रोहिणी नक्षत्र में हुआ था भगवान कृष्ण का जन्म.-बुधवार को पूरे देश में श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है. -गर्ग संहिता और श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार, द्वापर युग में भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि पर आधी रात में रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था.-इस दौरान चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृष में था. ग्रह नक्षत्र की ऐसी ही स्थिति आज बनने पर रात में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी.

ऐसे करें पूजा

जन्माष्टमी व्रत के लिए सुबह जल्दी उठकर श्रीकृष्ण की सामान्य पूजा करनी चाहिए. इसके बाद हाथ में पानी, फूल और चावल रखकर पूरे दिन व्रत रखने और रात में पूजा करने का संकल्प लेना चाहिए. संकल्प लेते समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए. इसके बाद श्रीकृष्ण मंदिर जाकर भगवान को फूल, तुलसी पत्र और मोर पंख चढ़ाएं. इसके बाद प्रसाद चढ़ाएं. फिर गौमाता की सेवा करें. किसी गौशाला में धन या हरी घास का दान करें. जन्माष्टमी के व्रत में एक बार ही भोजन करना चाहिए.

जन्माष्टमी पर शाम को श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा करने का महत्व है. इसके साथ ही भगवान विष्णु के अवतारों की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन बाल गोपाल की विशेष पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है. श्रीकृष्ण की पूजा के लिए दिन में भी शुभ मुहूर्त हैं, जिनमें अभिषेक, श्रृंगार और भजन किए जा सकते हैं. इसके साथ ही मध्यरात्रि यानी निशिता मुहूर्त में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है.

पूजा विधि

घर के मंदिर में पूजा की व्यवस्था करें. सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें. गणेशजी पर शुद्ध जल चढ़ाएं. वस्त्र चढ़ाएं. चंदन लगाकर चावल चढ़ाएं. फूल चढ़ाएं. धूप-दीप जलाएं. गणेशजी के बाद श्रीकृष्ण की पूजा करें. श्रीकृष्ण को स्नान करवाएं. इसके बाद क्लीं कृष्णाय नम: मंत्र बोलते हुए श्रीकृष्ण की मूर्ति को शुद्ध जल से फिर पंचामृत और उसके बाद फिर शुद्ध जल से स्नान करवाएं. इसके बाद वस्त्र अर्पित करें. वस्त्र के बाद आभूषण पहनाएं. इसके बाद चंदन, चावल, अबीर, गुलाल, अष्टगंध, फूल, इत्र, जनेउ और तुलसी चढ़ाएं. हार-फूल, फल, मिठाई, जनेऊ, नारियल, सूखे मेवे, पान, दक्षिणा और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं. धूप-दीप जलाएं. तुलसी के पत्ते डालकर माखन-मिश्री का भोग लगाएं. इसके बाद पान चढ़ाएं, फिर दक्षिणा चढ़ाएं. ऊँ कृष्णाय गोविन्दाय नमो नम: मंत्र का जाप करें. कपूर जलाएं. आरती करें. आरती के बाद परिक्रमा करें. पूजा के दौरान हुई भूल के लिए क्षमा याचना करें.

इसके बाद अन्य भक्तों को प्रसाद बांट दें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें. इस बार मंगलवार और बुधवार दो दिन जन्माष्टमी मनाई जा रही है. इसकी रौनक पूरे देश में देखी जा रही है.

लखनऊः राजधानी के इस्कॉन मंदिर में सुबह चार बजे से पंचामृत अभिषेक, शंख ध्वनि और घंटियों की गूंज के बीच 'नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की' के साथ कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है. कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए मंदिर में पूजा-पाठ हो रही है. मंदिर परिसर में सिर्फ वहां के लोग शामिल हो रहे हैं. बाहरी लोगों के लिए प्रवेश की अनुमति नहीं है.

लखनऊ इस्कॉन मंदिर में शुरू हुई पूजा.
जानें महत्वपूर्ण बातें -गर्ग संहिता और श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार, रोहिणी नक्षत्र में हुआ था भगवान कृष्ण का जन्म.-बुधवार को पूरे देश में श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है. -गर्ग संहिता और श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार, द्वापर युग में भाद्रपद महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि पर आधी रात में रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था.-इस दौरान चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृष में था. ग्रह नक्षत्र की ऐसी ही स्थिति आज बनने पर रात में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी.

ऐसे करें पूजा

जन्माष्टमी व्रत के लिए सुबह जल्दी उठकर श्रीकृष्ण की सामान्य पूजा करनी चाहिए. इसके बाद हाथ में पानी, फूल और चावल रखकर पूरे दिन व्रत रखने और रात में पूजा करने का संकल्प लेना चाहिए. संकल्प लेते समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए. इसके बाद श्रीकृष्ण मंदिर जाकर भगवान को फूल, तुलसी पत्र और मोर पंख चढ़ाएं. इसके बाद प्रसाद चढ़ाएं. फिर गौमाता की सेवा करें. किसी गौशाला में धन या हरी घास का दान करें. जन्माष्टमी के व्रत में एक बार ही भोजन करना चाहिए.

जन्माष्टमी पर शाम को श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा करने का महत्व है. इसके साथ ही भगवान विष्णु के अवतारों की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन बाल गोपाल की विशेष पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है. श्रीकृष्ण की पूजा के लिए दिन में भी शुभ मुहूर्त हैं, जिनमें अभिषेक, श्रृंगार और भजन किए जा सकते हैं. इसके साथ ही मध्यरात्रि यानी निशिता मुहूर्त में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है.

पूजा विधि

घर के मंदिर में पूजा की व्यवस्था करें. सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें. गणेशजी पर शुद्ध जल चढ़ाएं. वस्त्र चढ़ाएं. चंदन लगाकर चावल चढ़ाएं. फूल चढ़ाएं. धूप-दीप जलाएं. गणेशजी के बाद श्रीकृष्ण की पूजा करें. श्रीकृष्ण को स्नान करवाएं. इसके बाद क्लीं कृष्णाय नम: मंत्र बोलते हुए श्रीकृष्ण की मूर्ति को शुद्ध जल से फिर पंचामृत और उसके बाद फिर शुद्ध जल से स्नान करवाएं. इसके बाद वस्त्र अर्पित करें. वस्त्र के बाद आभूषण पहनाएं. इसके बाद चंदन, चावल, अबीर, गुलाल, अष्टगंध, फूल, इत्र, जनेउ और तुलसी चढ़ाएं. हार-फूल, फल, मिठाई, जनेऊ, नारियल, सूखे मेवे, पान, दक्षिणा और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं. धूप-दीप जलाएं. तुलसी के पत्ते डालकर माखन-मिश्री का भोग लगाएं. इसके बाद पान चढ़ाएं, फिर दक्षिणा चढ़ाएं. ऊँ कृष्णाय गोविन्दाय नमो नम: मंत्र का जाप करें. कपूर जलाएं. आरती करें. आरती के बाद परिक्रमा करें. पूजा के दौरान हुई भूल के लिए क्षमा याचना करें.

इसके बाद अन्य भक्तों को प्रसाद बांट दें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें. इस बार मंगलवार और बुधवार दो दिन जन्माष्टमी मनाई जा रही है. इसकी रौनक पूरे देश में देखी जा रही है.

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