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चंद्रभानु गुप्ता महाविद्यालय में विश्व आर्द्रभूमि दिवस पर व्याख्यान का आयोजन

लखनऊ के चंद्रभानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय में मंगलवार को विश्व आर्द्रभूमि दिवस के उपलक्ष पर एक ऑनलाइन वार्ता का आयोजन किया गया. राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान लखनऊ के पूर्व उपनिदेशक प्रोफेसर एससी शर्मा ने बताया कि कम हो रही आर्द्रभूमि तथा क्लाइमेंट चेंज खतरे का संकेत है.

चंद्रभानु गुप्ता महाविद्यालय
चंद्रभानु गुप्ता महाविद्यालय
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Published : Feb 3, 2021, 9:36 AM IST

लखनऊ : जिले के बख्शी का तालाब स्थित चंद्रभानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय में मंगलवार को विश्व आर्द्रभूमि दिवस के उपलक्ष पर एक ऑनलाइन वार्ता का आयोजन किया गया. इस ऑनलाइन वार्ता में प्रमुख रूप से राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान लखनऊ के पूर्व उपनिदेशक प्रोफेसर एससी शर्मा के साथ अन्य लोग मौजूद रहे. इस दौरान उन्होंने बताया कि कम हो रही आर्द्रभूमि तथा क्लाइमेंट चेंज खतरे का संकेत है, इसके चलते उपयोगी औषधियों के पौधे तथा वनस्पतियां समाप्त हो जाएंगी.

इस दौरान प्रोफेसर शर्मा ने आर्द्रभूमि को बचाए रखने पर जोर दिया. वहीं महाविद्यालय के संस्थापक बाबू भगवती सिंह ने बताया कि जिस तरह से तालाब और झील कम हो रहे हैं वह चिंताजनक है. इन्हें बचाकर रखने की जरूरत है. ताकि जलस्तर अपने लेबल पर बना रहे और पानी की कमी न हो सके.

आर्द्रभूमि भविष्य के लिए टिकाऊ आजीविका

महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर योगेश कुमार शर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम से आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए जागरूकता उत्पन्न होगी, इसे बचाने के लिए लोग बढ़-चढ़कर आगे आएंगे. महाविद्यालय के आइक्यूएसी के संयोजक डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि आर्द्रभूमि संरक्षण से प्राकृतिक संपदा और तरल संपत्ति का नुकसान कम होगा तथा एक अच्छा जैविक सुपरमार्केट का विकास होगा. आर्द्रभूमि भविष्य के लिए टिकाऊ आजीविका है और भविष्य के लिए धान की खेती, मछली पालन, झींगा पालन, सिंघाड़े की खेती के साथ पान की खेती में बढ़ावा मिलेगा. इस विशेष वार्ता में डॉ. दिनेश तिवारी, डॉ. रजनी शुक्ला, सहित 86 छात्र-छात्राओं और कृषि वैज्ञानिकों एवं शिक्षक कर्मचारियों ने हिस्सा लिया.

लखनऊ : जिले के बख्शी का तालाब स्थित चंद्रभानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय में मंगलवार को विश्व आर्द्रभूमि दिवस के उपलक्ष पर एक ऑनलाइन वार्ता का आयोजन किया गया. इस ऑनलाइन वार्ता में प्रमुख रूप से राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान लखनऊ के पूर्व उपनिदेशक प्रोफेसर एससी शर्मा के साथ अन्य लोग मौजूद रहे. इस दौरान उन्होंने बताया कि कम हो रही आर्द्रभूमि तथा क्लाइमेंट चेंज खतरे का संकेत है, इसके चलते उपयोगी औषधियों के पौधे तथा वनस्पतियां समाप्त हो जाएंगी.

इस दौरान प्रोफेसर शर्मा ने आर्द्रभूमि को बचाए रखने पर जोर दिया. वहीं महाविद्यालय के संस्थापक बाबू भगवती सिंह ने बताया कि जिस तरह से तालाब और झील कम हो रहे हैं वह चिंताजनक है. इन्हें बचाकर रखने की जरूरत है. ताकि जलस्तर अपने लेबल पर बना रहे और पानी की कमी न हो सके.

आर्द्रभूमि भविष्य के लिए टिकाऊ आजीविका

महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर योगेश कुमार शर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम से आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए जागरूकता उत्पन्न होगी, इसे बचाने के लिए लोग बढ़-चढ़कर आगे आएंगे. महाविद्यालय के आइक्यूएसी के संयोजक डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि आर्द्रभूमि संरक्षण से प्राकृतिक संपदा और तरल संपत्ति का नुकसान कम होगा तथा एक अच्छा जैविक सुपरमार्केट का विकास होगा. आर्द्रभूमि भविष्य के लिए टिकाऊ आजीविका है और भविष्य के लिए धान की खेती, मछली पालन, झींगा पालन, सिंघाड़े की खेती के साथ पान की खेती में बढ़ावा मिलेगा. इस विशेष वार्ता में डॉ. दिनेश तिवारी, डॉ. रजनी शुक्ला, सहित 86 छात्र-छात्राओं और कृषि वैज्ञानिकों एवं शिक्षक कर्मचारियों ने हिस्सा लिया.

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