लखनऊ: भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाई जा रही है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. इस पावन मौके पर भगवान कान्हा की मोहक छवि को भक्त पूजते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस दिन भक्त भगवान की मोहक झांकी तैयार कर कान्हा को झूला झुलाते हैं. रातभर मंदिरों में भजन-कीर्तन होता है.
धूमधाम से मनाई जा रही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर भागवताचार्य ज्ञानेश त्रिपाठी ने बताया कि आज हर्षोउल्लास के साथ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है. कोरोना की वजह से इस बार सावधानी रखनी होगी. बाहर से लाने वाले सामान को धुल कर रखें. मुरली मनोहर भगवान श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र की अष्टमी तिथि में हुआ था, जिस वजह से भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस बार तिथियों में कुछ उतार चढ़ाव है.
'घर पर रहकर मनाएं त्योहार'
मध्य रात्रि में हम लोग बड़े धूमधाम से मंदिरों को सजा कर अपनी भावना के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाते हैं. पंचामृत से हम उनको नहलाते हैं, प्रसाद चढ़ाते हैं. कृष्ण जन्माष्टमी दो दिन मनायी जाती है. "श्री कृष्ण गोविंद मोहन मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवाय" इस मंत्र का जाप करें. इस त्योहार में व्रत रहें. व्रत में कोई न कोई संकल्प लें. हम अपनी गलतियां सुधारने का संकल्प ले सकते हैं. कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए भी आचार्य ज्ञानेश त्रिपाठी ने लोगों से यह अपील की है कि लोग घरों में ही रहकर भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव मनाएं.