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अचानक क्यों हुआ कोलकाता से अखिलेश को प्यार, कहीं यह टोटका तो नहीं

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Published : Mar 27, 2023, 2:46 PM IST

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी चुनावों में अच्छे नतीजों के लिए टोटके आजमा रहे हैं. यह खुलासा खुद सपा के उपाध्यक्ष किरनमय नंदा ने की है. अखिलेश यादव ने कोलकाता में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग की. जानिए कोलकाता शहर क्यों है सपा के लिए लकी फैक्टर...

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लखनऊ : साल 2017 में यूपी की सत्ता से बाहर हुई समाजवादी पार्टी अब सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने के लिए हर तरह के जतन कर रही है. लाख कोशिशों के बाद लगातार तीन चुनावों में मिली पटखनी ने सपा मुखिया अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. ऐसे में उन्हें कोलकाता शहर की याद आई. पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता को याद करने को सियासी हल्के में एक्सपर्ट राजनीतिक टोटका मान रहे हैं. दरअसल पहली बार कोलकाता में सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित करने के बाद सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को सत्ता हासिल हुई थी. अब अखिलेश ने यहीं पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी आयोजित कराई. उन्हें भरोसा है कि जिस तरह नेताजी के लिए कोलकाता लकी साबित हुआ था, उसी तरह सपा को एक बार फिर कुर्सी दिलाने में यह शहर लकी जरूर साबित होगा.

कोलकाता में हुई सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की जानकारी देते सपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा.

साल 2017 का विधानसभा चुनाव, साल 2019 का लोकसभा चुनाव और साल 2022 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद अखिलेश यादव को तगड़ा झटका लगा है. पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान सत्ता में वापसी के लिए अखिलेश ने तमाम प्रयास किए लेकिन सफलता नहीं मिली. 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कांग्रेस पार्टी से गठबंधन किया, लेकिन उनका सपना चकनाचूर हो गया. समाजवादी पार्टी सरकार की वापसी नहीं हो पाई. भारतीय जनता पार्टी ने यूपी की कुर्सी पर कब्जा जमा लिया.

kolkata is lucky for mulayam Singh
कोलकाता में मीटिंग के बाद मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री बने थे.

साल 2019 का लोकसभा चुनाव हुआ. अखिलेश ने इस बार धुर विरोधी बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती से गठबंधन किया, लेकिन कहानी वही रही. पार्टी के सिर्फ पांच सांसद ही चुनाव जीत पाए. इसके बाद साल 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव हुआ. सपा मुखिया को पूरी उम्मीद थी कि इस बार किस्मत उनका साथ जरूर देगी , लेकिन अखिलेश की उम्मीदों को जोरदार झटका लगा. वह लगातार तीसरा चुनाव भी हार गए.

kolkata is lucky for mulayam Singh
2011 में सपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग कोलकाता में हुई तो 2012 में अखिलेश सीएम बने थे.

लगातार मिल रही हार के बीच सपा ने संगठन में बदलाव और नेतृत्व में उलटफेर समेत कई दांव को आजमाया है. इसी क्रम में अखिलेश यादव ने सपा की कामयाबी का इतिहास खंगाला तो कोलकाता शहर को पार्टी के लिए लकी पाया. इसके बाद उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा से सलाह ली. उनसे पूछा कि कोलकाता में पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित हो सकता है? किरणमय नंदा से इसलिए जानकारी ली, क्योंकि उनका ताल्लुक कोलकाता शहर से ही है. इसके बाद जब नंदा ने हामी भरी तो अखिलेश ने कोलकाता शहर को राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए चुना. अखिलेश यादव को इस उम्मीद है कि यह शहर सपा के लिए सत्ता तक पहुंचने का माध्यम बन सकता है.

National Executive Meeting in Kolkata
सत्ता पाने के लिए अखिलेश ने संगठन में काफी बड़ा फेरबदल किया है.

कोलकाता में सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित क्यों किया गया, इसका खुलासा खुद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने ही किया. उन्होंने बताया कि 1992 में जब समाजवादी पार्टी की स्थापना हुई थी तब राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कोलकाता में हुई थी. नेताजी मुलायम सिंह यादव की अध्यक्षता में अधिवेशन हुआ. जब यह अधिवेशन समाप्त हो गया, उसके बाद नेताजी डिफेंस मिनिस्टर बन गए. उसके बाद फिर से कोलकाता में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की 2011 में मीटिंग हुई. इसके बाद अखिलेश यादव 2012 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए. इस बार फिर राष्ट्रीय कार्यकारिणी का अधिवेशन कोलकाता में हुआ है, जिसका पूरे देश में मैसेज चला गया है. अब यह तय है कि लोकसभा चुनाव में देश की जनता भाजपा को हटाना चाहती है. समाजवादी पार्टी को लाना चाहती है. इस अधिवेशन में एक शपथ ली गई है कि इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हटाएंगे. हमें पूरी उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश से 40 सीटें जीतकर हम आएंगे. 2024 सपा के लिए लकी साबित होगा.

पढ़ें : सारस और मोर में उलझे अखिलेश यादव बोले- हाथी पालने वाले पर सरकार ने क्यों नहीं की कार्रवाई

लखनऊ : साल 2017 में यूपी की सत्ता से बाहर हुई समाजवादी पार्टी अब सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने के लिए हर तरह के जतन कर रही है. लाख कोशिशों के बाद लगातार तीन चुनावों में मिली पटखनी ने सपा मुखिया अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. ऐसे में उन्हें कोलकाता शहर की याद आई. पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता को याद करने को सियासी हल्के में एक्सपर्ट राजनीतिक टोटका मान रहे हैं. दरअसल पहली बार कोलकाता में सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित करने के बाद सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को सत्ता हासिल हुई थी. अब अखिलेश ने यहीं पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी आयोजित कराई. उन्हें भरोसा है कि जिस तरह नेताजी के लिए कोलकाता लकी साबित हुआ था, उसी तरह सपा को एक बार फिर कुर्सी दिलाने में यह शहर लकी जरूर साबित होगा.

कोलकाता में हुई सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की जानकारी देते सपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा.

साल 2017 का विधानसभा चुनाव, साल 2019 का लोकसभा चुनाव और साल 2022 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद अखिलेश यादव को तगड़ा झटका लगा है. पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान सत्ता में वापसी के लिए अखिलेश ने तमाम प्रयास किए लेकिन सफलता नहीं मिली. 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कांग्रेस पार्टी से गठबंधन किया, लेकिन उनका सपना चकनाचूर हो गया. समाजवादी पार्टी सरकार की वापसी नहीं हो पाई. भारतीय जनता पार्टी ने यूपी की कुर्सी पर कब्जा जमा लिया.

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कोलकाता में मीटिंग के बाद मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री बने थे.

साल 2019 का लोकसभा चुनाव हुआ. अखिलेश ने इस बार धुर विरोधी बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती से गठबंधन किया, लेकिन कहानी वही रही. पार्टी के सिर्फ पांच सांसद ही चुनाव जीत पाए. इसके बाद साल 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव हुआ. सपा मुखिया को पूरी उम्मीद थी कि इस बार किस्मत उनका साथ जरूर देगी , लेकिन अखिलेश की उम्मीदों को जोरदार झटका लगा. वह लगातार तीसरा चुनाव भी हार गए.

kolkata is lucky for mulayam Singh
2011 में सपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग कोलकाता में हुई तो 2012 में अखिलेश सीएम बने थे.

लगातार मिल रही हार के बीच सपा ने संगठन में बदलाव और नेतृत्व में उलटफेर समेत कई दांव को आजमाया है. इसी क्रम में अखिलेश यादव ने सपा की कामयाबी का इतिहास खंगाला तो कोलकाता शहर को पार्टी के लिए लकी पाया. इसके बाद उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा से सलाह ली. उनसे पूछा कि कोलकाता में पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित हो सकता है? किरणमय नंदा से इसलिए जानकारी ली, क्योंकि उनका ताल्लुक कोलकाता शहर से ही है. इसके बाद जब नंदा ने हामी भरी तो अखिलेश ने कोलकाता शहर को राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए चुना. अखिलेश यादव को इस उम्मीद है कि यह शहर सपा के लिए सत्ता तक पहुंचने का माध्यम बन सकता है.

National Executive Meeting in Kolkata
सत्ता पाने के लिए अखिलेश ने संगठन में काफी बड़ा फेरबदल किया है.

कोलकाता में सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित क्यों किया गया, इसका खुलासा खुद राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने ही किया. उन्होंने बताया कि 1992 में जब समाजवादी पार्टी की स्थापना हुई थी तब राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कोलकाता में हुई थी. नेताजी मुलायम सिंह यादव की अध्यक्षता में अधिवेशन हुआ. जब यह अधिवेशन समाप्त हो गया, उसके बाद नेताजी डिफेंस मिनिस्टर बन गए. उसके बाद फिर से कोलकाता में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की 2011 में मीटिंग हुई. इसके बाद अखिलेश यादव 2012 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए. इस बार फिर राष्ट्रीय कार्यकारिणी का अधिवेशन कोलकाता में हुआ है, जिसका पूरे देश में मैसेज चला गया है. अब यह तय है कि लोकसभा चुनाव में देश की जनता भाजपा को हटाना चाहती है. समाजवादी पार्टी को लाना चाहती है. इस अधिवेशन में एक शपथ ली गई है कि इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हटाएंगे. हमें पूरी उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश से 40 सीटें जीतकर हम आएंगे. 2024 सपा के लिए लकी साबित होगा.

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